वैचारिक लेख

कोलकाता की नाक के नीचे शाहजहां ने वहां की महिलाओं के लिए जितना भयंकर नर्क तैयार किया हुआ था, वह सरकारी मशीनरी की प्रत्यक्ष-परोक्ष सहायता के बिना संभव नहीं है। ममता बनर्जी ने संदेशखाली की इन महिलाओं को सबक सिखाने की सोची। उन्होंने संदेशखाली में किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी। धारा 144 लगा दी।

भैयाजी मंत्री बन गए थे। उन्हें बधाई देना मेरे लिए लाजमी था, सो उनके निवास पर पहुंचा तो वे प्लेट में गुलाब-जामुन का ढेर लगाए उन्हें गटक रहे थे। मैंने कहा-‘यह क्या, आप अकेले-अकेले ही खा रहे हैं गुलाब-जामुन, मंत्री बनने की मिठाई तो हम भी खाएंगे।’ वे गुलाब-जामुन को गले से नीचे उतारकर बोले-‘अब तो अकेले ही खाना है शर्मा। चुनाव में तुमने कम खाया क्या? अभी तो मैं ढाबे वालों का हिसाब भी चुकता नहीं कर पाया हूं।’ मैं बोला-‘अब चुनाव प्रचार में भैयाजी अपने घर से परांठे-अचार थोड़े ही बांधकर ले जाता। तुम्हें तो पता होगा मैंने कितनी मेहनत की है आपको जितवाने

मैं फिर से दोहराता हूं कि हमारी कामना के फलीभूत होने का सीक्रेट, यानी रहस्य यह है कि हम इच्छा करें, सपने देखें, और ग्रेटेस्ट सीक्रेट यह है कि हम जिस चीज के सपने देख रहे हों, उसे पाने के लिए सार्थक प्रयत्न भी करें, क्योंकि असली काम तो काम ही है। इसके बिना जो कुछ है वो केवल मुंगेरी लाल के हसीन सपने, या यूं कहें कि शेखचिल्ली के सपनों के समान है, जिसका अंत निराशा और हताशा में होने की संभावना सबसे ज्यादा है।

जब से जिंदगी से रुखसत लेने का समय करीब आता जा रहा है, हम एक ही बात बार-बार सोचने लगे हैं, कि क्या हमारी इस घडऩतख्ता जिंदगी और नामुक्कमल जिंदगी की नाकामयाबी के पीछे यह सच्चाई तो नहीं कि हम किसी भी क्षण जिंदगी के किसी भी आयाम में एक समझौतापरस्त टुकडख़ोर न बन सके? जी हां, जीवन में कामयाब होने के यही दो अचूक मंत्र हैं। पहला तो यह कि सबसे अच्छा लड़ाकू वह जो अपने से तगड़े को देख कर समझौता कर उसकी चरणवंदना कर ले, और अपने से कमजोर के सामने एक ऐसे पहाड़ पर खड़े होने का नजारा पेश करे कि जिसके नीचे कोई सीढ़ी भी नहीं। ऐसे पहाड़ पर वह हमेशा अकेला खड़े रहता है, और अपनी कल्पना में एक ऐसी भीड़ को अपना अनुसरण करते देखता है

केंद्र सरकार को यह भी ध्यान देना होगा कि पिछली बार के आंदोलन के दौरान किसानों ने हाड़ कंपा देने वाली ठंड, भीषण गर्मी और रिकॉर्ड बारिश का सामना भी किया था और साल भर चले आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई थी। लिहाजा वैसी परिस्थितियां दोबारा न पैदा हों, इसलिए इस बार किसान समस्याओं का समाधान हो...

हमारे राज्य भी शिक्षा पर काफी राशि खर्च करते हैं, लेकिन इस राशि को तार्किक तरीके से खर्च किए जाना नदारद पाया जाता है और काफी पैसे बेफिजूल खर्च किए जाते हैं। डिजिटल शिक्षा के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में, आज के शिक्षार्थियों की गतिशील जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी का एकीकरण अनिवार्य हो गया है। शिक्षा में प्रौद्योगिकी की कमी ने असंख्य चुनौतियां पैदा की हैं जो सीखने की प्रक्रिया की प्रभावशीलता, पहुंच और अनुकूलनशीलता में बाधा उत्पन्न करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में, शैक्षिक ऐप्स शिक्षा के सभी पहलुओं में एक महत्वपूर्ण घटक

महा पंचायत समाप्त होने के बाद भीड़ निर्माण स्थल में घुस गई और सोलन पुलिस से टकराव हो गया। निर्माण कार्य को भी क्षति हुई और कुछ लोगों को चोटें भी आईं, जो हिमाचल के शांतिपूर्ण माहौल के लिए चिंता की बात है, जिसकी निंदा करना भी जरूरी है। आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकद्दमे दर्ज कि

वे बहुत परेशान थे। उनकी परेशानी यह थी कि कल उनके देश के भविष्य के कर्णधार का पेपर था। पर एक मुआ पेपर था कि लीक नहीं हो रहा था। वे पेपर लीक होने की बाट वैसे ही जोह रहे थे जैसे कभी सावन में रीतिकालीन नायिका विदेस गए खलनायक की बाट जोहा करती थी। पेपर जैसे कैसे लीक हो उन तक पहुंचे तो उनका बेटा एक बार फिर परीक्षा के इतिहास में नया कीर्तिमान रचे। आजकल परीक्षाएं ईमानदारी से परीक्षा देने वालों के कारण सफल नहीं होतीं, पेपर लीक कराने वालों के सहयोग से शांतिपूर्वक संपन्न होती हैं। हालांकि मैंने आज तक कोई परी

इस प्रावधान पर सर्वोच्च न्यायालय ने आपत्ति जताई है और कहा है कि चुनावी चंदे के लेन-देन में समुचित पारदर्शिता होनी चाहिए। अभी इस ताजा फैसले में अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था को रोक दिया है और कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करना बंद कर दे। सर्वोच्च न्यायालय की प्रमुख आपत्ति पारदर्शिता को लेकर ही है। जो व्यवस्था इलेक्टोरल बॉन्ड के आने से पहले से थी और जिस प्रकार राज