वैचारिक लेख

भले ही केंद्र तथा राज्य सरकारें मिलकर कितने भी अभियान चला लें, सड़क पर जीवन तभी सुरक्षित हो सकता है जब इसके लिए समाज एकजुट हो जाए। लेकिन यह तभी संभव होगा जब लोग सड़क सुरक्षा के नियमों को अपने जीवन का अनिवार्य अंग बना लें। भले ही अपने गंतव्य पर पहुंच कर लोगों को

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक जबसे वह मुख्यमंत्री बने हैं, उन्हें डर है कि कहीं सरकार गिर न जाए। दरअसल उनके सामने एक फाइल बता रही थी कि प्रदेश में स्पीड ब्रेकर लगने से दोपहिया वाहन सवार धीमे चलने के बजाय गिर रहे हैं। उन्होंने राज्य से स्पीड ब्रेकर हटाने का ऐलान किया ताकि कोई खुद

बांध बनाने के पीछे चीन की निर्माण कंपनियों का लालच मुनाफा कमाने का भी होगा, लेकिन जिस तरह से भारत, चीन के बीच लगातार तनातनी बनी रहती है, उस पर वह पानी के कारोबार के नाम पर भारत के उत्तर-पूर्व हिस्सों में बाढ़ से तबाह करने की अनोखी जंग का सहारा ले सकता है। वैसे

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक पिछले सप्ताह भारतीय संसद में राष्ट्रपति अभिभाषण तथा बजट पर चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्ष के सांसदों का हर मुद्दे पर गंभीरता से बात करने के साथ-साथ आंदोलनजीवी और हम दो, हमारे दो जैसे वाक्यों के अलावा महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान गृहमंत्री की संसद से अनुपस्थिति एवं उसी

गांवों से चुन कर आए ये युवा राजमहलों में रहने के आदी हो चुके अब्दुल्ला परिवार व सैयद परिवार से ज़्यादा अच्छी तरह घाटी के युवा मानस को पहचानते हैं। यही कारण था नए समीकरणों में सैयद परिवार और अब्दुल्ला परिवार दोनों ही हाशिए पर आ गए। जिला परिषदों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पदों

पुरुष व महिला वर्ग में इस दौड़ की दूरी दस किलोमीटर व अंडर बीस वर्ष में लड़कों के लिए आठ किलोमीटर व लड़कियों के लिए छह किलोमीटर दौड़ना होता है। इस प्रतियोगिता का ट्रैक अधिकतर ग्रामीण इलाकों की सड़कों व रास्तों का होता है। इस प्रतियोगिता का आयोजन आज तक प्रदेश के विभिन्न जिला व

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक जब दिल हो हिंदुस्तानी यानी थोड़ी-सी होशियारी और थोड़ी-सी बेईमानी हो तो मैं यही तो कहूंगा कि न मिलो हमसे ज्यादा कहीं प्यार हो न जाए। यह सही भी है जो भी मुझसे ज्यादा मेलजोल बढ़ाता है मेरी गिरफ्त में आ ही जाता है। इसलिए मैं पहले ही आगाह कर देता

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com लगता है भारत ही नहीं, पड़ोसी देश भी डारविन महोदय के सिद्धांत को गलत सिद्ध करने पर तुल गए हैं। डारविन महोदय ने कहा था, इन्सान का विकास इतिहास बतलाता है कि उसके पूर्वज कभी वानर और चिम्पैंजी थे, फिर वनमानुस बने और अंततः इन्सान के रूप में नज़र आए। पहले चौपाये

यदि आप एवरेस्ट विजय करना चाहते हैं तो आप सैर करते हुए वहां नहीं पहुंच सकते। परिवर्तन की मानसिक यात्रा हमें सफलता की ओर ले चलती है। यदि हमें जीवन की बाधाओं से पार पाना है और सफल होना है तो हमें इस मानसिक यात्रा में भागीदार होना पड़ेगा जहां हम नए विचारों को आत्मसात