वैचारिक लेख

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक सवाल छिलकों का सदा ही रहा है, खास तौर पर प्याज के तो सर्वव्यापक हैं। आलू और प्याज का रिश्ता भी अपने -अपने छिलकों की वजह से नग्न यथार्थ  की तरह है। यह पक्ष और विपक्ष की तरह भी है और जरूरत पड़ने पर एक साथ चलने को तैयार हो जाता

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार इस सभ्यता को साधारण भाषा में मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। यह सप्त सिंधु क्षेत्र या पश्चिमोत्तर भारत में फैली हुई थी। यूरोप के तथाकथित विद्वानों ने यह अफवाह उड़ा दी कि इस क्षेत्र में विदेशी आर्यों ने हमला कर, यहां के निवासियों को मार कर उनको

सुखदेव सिंह लेखक, नूरपुर से हैं दशकों से विस्थापन का दंश झेल रहे पौंग बांध विस्थापितों को राजस्थान में मिलने वाले मुरब्बों की प्रक्रिया कब पूरी होगी, कोई नहीं जानता है। हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने राजस्थान सरकार से मिलकर कुछ पौंग बांध विस्थापितों को राजस्थान में मुरब्बे दिलाने की पहल की थी, मगर पौंग

कर्नल मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक ‘आवा’ यानी आर्मी वाइफ  वेलफेयर एसोसिएशन, शायद ही कोई सैनिक होगा जो इस नाम से परिचित न हो। वर्तमान में किसी सिपाही सूबेदार या जूनियर रैंक के अधिकारी से आवा के बारे में बात करेंगे तो उनका मत इस आर्गेनाइजेशन के बारे में ज्यादा अच्छा नहीं होगा, इसके कुछ कारण

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार हमारे कानून निर्माताओं का असली ध्येय धन कमाना रह गया है, जबकि काम को तरजीह नहीं दी जा रही है। हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायकों को अपना आयकर भुगतान करने के लिए कहा, बजाय इसके कि वह सरकार को आयकर भुगतान करने के लिए

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हिमाचल के धावकों व धाविकाओं ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबी व मध्य दूरी की दौड़ों में काफी नाम कमाया है, मगर तेज गति की दौड़ों में हिमाचल को काफी पिछड़ा माना जाता था। कई बार तो प्रशिक्षक कहते थे हिमाचल में स्प्रिंटर नहीं हो सकते हैं… एथलेटिक्स सभी

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक मैं बालों की समस्या से परेशान हो गया हूं। इधर बीस वर्ष पूर्व मेरे बाल काले हुआ करते थे। इधर अब हाल यह हो गया है कि सिर के बाल काले और सफेद मिलकर अजीब तरह की खिचड़ी बन गए हैं। दाढ़ी की सफेदी को तो मैंने रोज शेव बनाकर सलटा

सुरेश सेठ साहित्यकार मुनादी वाला मुनादी कर रहा है। ढिंढोरची ढिंढोरा पीट रहे हैं। जुमलेबाज जुमले फेंक रहे हैं। नशों से अधमुंदे छोकरे सारंगी पर बजती बधाई धुन को रूदन राग में बदलता देखते हैं, पर नाचने से परहेज नहीं करते। देश में लोगों के लिए सनसनी की कमी है। अच्छे दिन आने के उद्गार

वीरेंद्र सिंह वर्मा लेखक, शिमला  से हैं राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो प्रदेश के एक- तिहाई विधानसभा क्षेत्रों में सेब बागबानी होती है। सेब प्रदेश की मुख्य नकदी फसल है। प्रदेश के फल उत्पादन क्षेत्र के 49 प्रतिशत क्षेत्र में मात्र सेब उत्पादन होता है और प्रदेश के फल उत्पादन में 85 प्रतिशत हिस्सेदारी