वैचारिक लेख

जगदीश बाली  स्वत्रंत लेखक मंडी जिले के एक सरकारी स्कूल में दलित बच्चों को पानी न पिलाने के निर्देश देना निंदनीय है। इस वाकया से बच्चों का मन विषाद और अवसाद से भर जाना स्वाभाविक है। स्कूल में तो एक ऊंच-नीच व जातिगत भेदभाव से विहीन समाज स्थापित करने का सबक सिखाया जाता है। विद्या

अशोक गौतम साहित्यकार जब उनका पूरे स्वाभिमान से फर्राटेदार झूठ सुनते-सुनते मुझे उल्टियां आने लगीं तो एक दिन मैंने उनसे कह ही दिया, मित्र! खुदा के लिए अब मुझसे झूठ बोलना बंद कर दो। अब तुम्हारा झूठ, झूठ के सारे रिकार्ड तोड़ने लगा है। सच पूछूं तो दिल से कहना कि तुम्हें अपने इस झूठ

भारत डोगरा स्वतंत्र लेखक विश्व के पांच सबसे शक्तिशाली देश ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ की ‘सुरक्षा परिषद’ के वीटो अधिकार वाले स्थायी सदस्य हैं, लेकिन इन्हीं पांच देशों के पास सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं। ये ही स्वचालित रोबोट हथियारों में आगे हैं। इनकी जलवायु परिवर्तन व अन्य पर्यावरणीय विनाश में भी बड़ी भूमिका है। जब

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक सौर ऊर्जा जल विद्युत की तुलना में बहुत ही सस्ती पड़ती है। लेकिन समस्या यह है कि सौर ऊर्जा का उत्पादन दिन के समय होता है जबकि बिजली की अधिक जरूरत सुबह, शाम एवं रात में होती है, जिसे पीकिंग पावर कहा जाता है। देश की विद्युत ग्रिड को स्थिर रखने

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं दुष्यंत भले दशकों पहले कह गए थे, ‘‘आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख, घर अंधेरा देख तू आकाश के तारे न देख’’, लेकिन हम आकाश के तारे देखकर ही जीने में विश्वास रखते हैं। वर्तमान भले ही गुदडि़यों भरा हो, कम से कम सुखद भविष्य की

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं वर्ष 2018 में मनाए गए 45 वें पर्यावरण दिवस के लिए वैश्विक स्तर पर भारत को मेजबान देश बनाया गया था और इसकी थीम ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ रखी गई थी। वैश्विक स्तर पर पर्यावरण में निरंतर आ रही गिरावट के दुष्प्रभाव एवं आंकड़े चिंतनीय हैं। खेतों में फल-सब्जियों

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री अमरीका में कारपोरेट टैक्स की दर 27 फीसदी, कनाडा में 26.5 फीसदी, ब्राजील में 34 फीसदी, फ्रांस में 31 फीसदी, जर्मनी में 30 फीसदी और चीन में 25 फीसदी है। ऐसे में जब भारत सबसे कम कारपोरेट टैक्स की दरों वाले देशों में शामिल हो गया है तब भारतीय शहरों

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक सामर्थ्यवान होना क्षमताशाली होना भी है, यह जरूरी नहीं। यह जरूरी नहीं कि सारी शक्ति भीतर हो, बल्कि जो बाहर दिखा सकता है, वही तो देखा जाएगा। यानी अपनी क्षमता के उपार्जन के लिए भीड़ सरीखा बनो या व्यवहार करो। आज देश भीड़ की स्थिति में खुद की बुलंदी देखता है,

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार कश्मीर घाटी को नाग भूमि भी कहा जाता है, जिसके कारण घाटी के अनेक तीर्थ पर्यटन स्थलों का नाम नाग शब्द से मिलता है। यह झील दो मील लंबी और तकरीबन आधा मील चौड़ी है। पीर पंजाल की शृंखलाओं में स्थित यह झील समुद्र तल से लगभग चार किलोमीटर