वैचारिक लेख

देश आज जिस स्थिति में है, वहां बुद्धिजीवी बनकर जी पाना हैरान करता है। दरअसल देश सोचने पर विवश है कि आखिर न चाहते हुए भी कोई बुद्धिजीवी बन कैसे सकता है। इसी विषय को लेकर राष्ट्रीय संगोष्ठी में ‘बुद्धिजीवी की अप्रासंगिकता’ पर विमर्श होना था। कई विश्वविद्यालय माथापच्ची के लिए तैयार थे। वे विश्वस्त थे कि किसी सिरफिरे अनुसंधान या नकली शोध की तरह इस विषय को निपटा दिया जाएगा। राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए मुख्यातिथि का चयन इस लिहाज से हो रहा था कि कहीं कोई बुद्धिजीवी ही चुन न लिया जाए। इसलिए तलाश थी कि

जब बात राष्ट्र के स्वाभिमान की हो तो बेगुनाहों का रक्त बहाने वाली मानसिकता पर ‘आंख के बदले आंख व दांत के बदले दांत’ के सिद्धांत को अपनाना पड़ता है, मगर आंख के बदले आंख विश्व को अंधा बना देगी, गांधी जी के इस कथन पर भी विचार होना चाहिए। दहशतगर्दी की हिमायत नहीं होनी

राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त और कला, साहित्य, मीडिया एवं सामाजिक सेवा के लिए समर्पित एक संस्था ने पिछले दिनों उन्हें सृजनशीलता, परिपक्वता, शालीनता, कार्यशीलता, कार्यदक्षता, संवेदनशीलता और अपने समस्त कार्यों में समर्पण के लिए सम्मानित कर दिया। संस्था ने यह कामना की कि वे समाज में आदर्श स्थापित करते रहें। इस सम्मान से वे

पूर्व में जनाधार के कारण कांग्रेस को यहां सीटों पर समझौता किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। ऐसे में इन दलों की दूरियां बढ़ती जा रही हैं… विपक्षी गठबंधन इंडिया बनने से पहले ही बिखरने के कगार पर आ गया है। गठबंधन के दलों में आपसी मतभेद अब खुल कर सामने आते जा रहे

गुज्जर जिसे संस्कृत में गुर्जर कहा जाता है, जितना प्राचीन शब्द है, उतना ही प्राचीन इनका इतिहास है। गुजरात और राजस्थान से इनका इतिहास जुड़ा हुआ है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू और कश्मीर में जितने गुज्जर समुदाय के लोग हैं, वे सभी किसी न किसी समय राजस्थान से ही चल कर इन स्थानों पर पहुंचे थे। मोटे तौर पर गुज्जर पशुओं का पालन करते हैं। उनको लेकर निरन्तर एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं। लेकिन इतने वर्षों में गुज्जर जन-समुदाय के कुछ लोगों ने घुमक्कड़ी का जीवन छोड़ कर स्थायी तौर पर भी रहना शुरू कर दिया है। स्थायी

सत्र 2023-24 के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों के निदेशालय ने इस बार भी पूरे हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों की खेलों का आयोजन विभिन्न महाविद्यालयों में होगा, यह अपने कैलेंडर में लिखा है मगर खेलों की जननी एथलेटिक्स का नाम गायब है। क्या इस बार भी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता नहीं होगी? हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला व वल्लभ भाई पटेल राज्य विश्वविद्यालय मंडी इन दोनों विश्वविद्यालयों के लगभग सभी अंतर महाविद्यालय खेलों का संयुक्त रूप से आयोजन पिछले वर्ष भी हुआ था और इस वर्ष भी आयोजन हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में सत्तर के दशक में बना हिमाचल प्रदेश विश्व

आज से बीस वर्ष पूर्व दूल्हाराजा बनकर दुल्हन को गठबन्धन करके अपने घर ला रहा था। उस समय गलियारे में किसी पागल आदमी ने यह गीत गया था-‘आज हम अपनी मौत का सामान ले चले।’ परन्तु उस समय मैंने उसके इस कथन पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया था। परन्तु आज रह-रहकर उस पागल का यह गीत बार-बार मेरे कानों में गंूज रहा है। जान बूझकर मौत का सामान पल्लू से बांध लाये। सकुची शरमायी लाल जोड़े में सिमटी बीस साल पहले की वह रानी दुल्हन पूरी तरह बदल गई है। शर्मोहया की एवज निर्लज्जता तथा लाल जोड़े की एवज खुद आग ब

तब उन्होंने अपना निश्चय फिर दोहराया, अपनी फिटनेस पर फोकस किया, खेल के लिए और मेहनत की और ज्यादा अच्छा खेलना शुरू किया। सन् 2011 विश्व कप मैच के दौरान सचिन की बेहतरीन फार्म के बावजूद शुरुआती असफलताएं मिलीं। तब सचिन ने पहली बार अपने साथी खिलाडिय़ों को झिडक़ा भी और प्रेरित भी किया। परिणा

इस समय सारी दुनिया में इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग को लेकर बहस हो रही है। अपनी स्थापना के समय से ही इजरायल का अपने पड़ोसी राष्ट्रों के साथ संघर्ष और विवाद का इतिहास रहा है और यह लड़ाई पिछले 75 वर्षों से बदस्तूर जारी है। पिछले सप्ताह सात अक्टूबर को आतंकवादी संगठन हमास ने इजरायल के खिलाफ ‘ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म’ शुरू किया और हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल के ऊपर 5 हजार से ज्यादा रॉकेट्स दागे और इतना ही नहीं, हमास के सैंकड़ों लड़ाके दक्षिण की तरफ से इजरायल की सीमा के भीतर घुस आए और पार्टी कर रहे या घरों और सडक़ों पर विच