भरत झुनझुनवाला

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक स्वतंत्रता के बाद मेडिकल साइंस में सुधार हुआ। अपने देश में बाल मृत्यु दर में भारी गिरावट आई। मलेरिया जैसी बीमारियों पर हमने नियंत्रण पाया। इस कारण बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी। उस समय परिवार में चार या छह बच्चे होना आम बात थी। उस समय अवलंबित जनसंख्या बढ़ी और

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक इंग्लैंड में तीन वर्ष पहले सवाल उठा था कि इंग्लैंड को यूरोपियन यूनियन का हिस्सा बना रहना चाहिए या उससे बाहर आ जाना चाहिए। उस समय सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी ने इस विवाद को समाप्त करने की दृष्टि से जनमत संग्रह कराने का निर्णय लिया। उन्होंने माना विषय इतना गंभीर है कि

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक उद्योगों और नगरपालिकाओं से गंदा पानी गंगा में अभी भी छोड़ा ही जा रहा है। यद्यपि मात्रा में कुछ कमी आई हो सकती है। देश की नदियों को स्थायी रूप से साफ करने के लिए हमें दूसरी रणनीति अपनानी पड़ेगी। पर्यावरण मंत्रालय ने कुछ वर्ष पहले आईआईटी के समूह को गंगा

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक उद्यमी के लिए पहला विषय होता है कि बाजार में माल की मांग है या नहीं। यदि बाजार में माल की मांग होती है तो वह येन-केन प्रकारेण पूंजी की व्यवस्था कर फैक्टरी लगाता ही है। इसके विपरीत यदि बाजार में मांग नहीं है तो वह ब्याज दर कम होने पर

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक कंपनियों द्वारा अदा किए जाने वाले आयकर को घटाकर लगभग 33 प्रतिशत कर दिया है। इस उलटफेर से स्पष्ट होता है कि आयकर की दर का आर्थिक विकास पर प्रभाव असमंजस में है। यदि आय कर बढ़ाया जाता है तो इसका प्रभाव सकारात्मक भी पड़ सकता है और नकारात्मक भी। यदि

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक फरक्का बराज के माध्यम से सरकार ने गंगा के आधे पानी को हुगली में डालने का कार्य किया और आधा पानी बांग्लादेश को पद्मा के माध्यम से जाता रहा। एक विशाल नहर से पानी को फरक्का से ले जाकर हुगली में डाला गया। यह नहर लगभग 40 किलोमीटर लंबी है। इस

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में बाढ़ देखी जा रही है। इस परिस्थिति का एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग है। धरती का ताप बढ़ रहा है जिससे हमारे मानसून के पेटर्न में बदलाव आ रहा है। पहले वर्षा तीन माह तक धीरे-धीरे होती थी। खेतों में गिरने वाला

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक सौर ऊर्जा जल विद्युत की तुलना में बहुत ही सस्ती पड़ती है। लेकिन समस्या यह है कि सौर ऊर्जा का उत्पादन दिन के समय होता है जबकि बिजली की अधिक जरूरत सुबह, शाम एवं रात में होती है, जिसे पीकिंग पावर कहा जाता है। देश की विद्युत ग्रिड को स्थिर रखने

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक रिजर्व बैंक अपनी आय में से कुछ रकम हर वर्ष रिजर्व में डाल देता है जिसे सुरक्षित रखा जाता है कि किसी संकट के समय उसका उपयोग किया जा सके। वर्ष 2012 में रिजर्व बैंक ने 27 हजार करोड़ रुपए अपनी आय में से रिजर्व में डाले थे। वर्ष 2013 में