भरत झुनझुनवाला

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक सरकार की जिम्मेदारी है कि जनता के हित में जो कार्य हो, उसके अनुसार कानून बनाए और उसे लागू करे। सरकार के सामने प्रश्न यह रहता है कि प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाने का सीधा बोझ व्यवसायी के ऊपर पड़ता है। इसलिए व्यवसायी का दबाव होता है कि सरकार उसे उपकरण

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   मेरा मानना है कि भारत सरकार में विश्व बैंक, अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अप्रत्यक्ष घुसपैठ इन रास्तों से हो रही है, जिसके कारण भारत सरकार अपने खर्चों को कम करने और निर्यातों को बढ़ाने की घातक नीति पर टिकी हुई है। सरकार को चाहिए कि ऐसे व्यक्तियों

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक यदि हम समझौते को तत्काल रद्द न करना चाहें, तो भी पाकिस्तान को नोटिस देकर विश्व बैंक की मध्यस्तता तो मांग ही सकते हैं। हम कह सकते हैं कि हम इस समझौते को रद्द करना चाहते हैं, क्योंकि इससे आपसी सौहार्द और मित्रता स्थापित नहीं हो रही है तथा विश्व

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   वित्तीय घाटे के निर्धारण में यह नहीं देखा जाता कि सरकार द्वारा इन दोनों में से कौन से खर्च किए जा रहे हैं। सरकार यदि अपने कर्मियों को बढ़ाकर वेतन दे और इसके लिए ऋण ले अथवा सरकार हाई-वे बनाने के लिए ऋण लेती है, तो दोनों ही हालात

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   इन सरकारी अनुदानों के सकारात्मक प्रभाव सामने आए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कानसिन द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि सरकारी अनुदान से प्रत्याशियों की संख्या में वृद्धि हुई है। साथ-साथ निवर्तमान प्रत्याशियों के निर्विरोध चयन होने की एवं पुनः जीतने की संभावना में गिरावट आई है। यानी

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   अब सांसद केवल चपरासी हो गए हैं, जिनका कार्य है कि उपस्थित होकर पार्टी के आदेशानुसार बटन दबा दें। यह व्यवस्था गांधी जी की कल्पना के पूर्ण विपरीत है। गांधी जी ने सोचा था कि बिना पार्टी की मुहर के व्यक्ति संसद में पहुंचेंगे और जनता की समस्याओं को

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   सार्वजनिक इकाइयों के घाटे का मूल कारण यह है कि उनके कार्यों में राजनीतिक दखल होता है और उनके अधिकारियों को कंपनी के लाभ से सरोकार कम ही होता है। अधिकारी के लिए यह पूरी तरह संभव होता है कि भ्रष्टाचार के माध्यम से वह कंपनी को डुबो दे

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   यह भी सही है कि कभी-कभी मरीज की बीमारी को दूर करने के लिए सर्जरी करनी पड़ती है और इस दौरान मरीज का कष्ट बढ़ता है, लेकिन इस आकलन में संकट यह है कि कष्ट सुधार की ओर ले जा रहा है या मृत्यु की ओर, यह समझना पड़ता है।

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   भाजपा का कहना था कि कांग्रेस में निर्णय लेने की क्षमता नहीं रह गई थी। भाजपा अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाएगी जिससे कि तमाम रोजगार उत्पन्न होंगे। बीते समय में तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत को शाबाशी भी दी है। कहा है कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में