संपादकीय

चूंकि आम चुनाव का मौसम उफान पर है, लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी देश को जो गारंटी दे रहे हैं, वह यह है कि उनके तीसरे कार्यकाल के दौरान भारत विश्व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेगा। प्रधानमंत्री देश को आश्वस्त कर रहे हैं कि 2047 में ‘विकसित भारत’ का संकल्प पूरा करने को वह 24 घंटे, सातों दिन काम में जुटे रहते हैं। फिलहाल भारत अमरीका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अमरीका की अर्थव्यवस्था 25 ट्रिलियन डॉलर से अधिक और चीन

सवाल उपचुनावों में फिर हिमाचल के कद और सामथ्र्य से कहीं बड़े हो जाएंगे। हर चुनाव की अमानत में जनता के सरोकार खोटे हो जाते हैं या चलते हुए नेता खोटे सिक्के हो जाते हैं। भाजपा हो या कांग्रेस चुनावों की फेहरिस्त ने नेताओं के बोल छोटे कर दिए। भाव-भंगिमाओं के चुनाव में हिमाचल अब रहता ही कहां है। हम एक चुनावी कबीला कब बन जाते हैं, पता ही नहीं चलता, ले

कांग्रेस ने 48 पन्नों के ‘न्याय-पत्र’ में जो 344 चुनावी वायदे किए हैं, वे सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों के विरोध-पत्र हैं। एक बानगी ही पर्याप्त है कि कांग्रेस सरकार आई, तो वह ‘नीति आयोग’ का नाम पलट कर ‘योजना आयोग’ कर देगी। कांग्रेस की सोच में कुछ भी मौलिकता और नयापन नहीं है। यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों की ‘पुरानी पेंशन स्कीम’ (ओपीएस) ने हिमाचल, कर्नाटक, तेलंगाना राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, रा

हिमाचल में सत्ता संग्राम की सीढिय़ों पर सामाजिक विवेचन की अद्भुत पहल भी देखी जा रही है। यहां मतदाता अपनी जातियों के आधार पर समूह और वर्ग पर केंद्रित सियासी काफिले बना रहे हैं। आश्चर्य यह कि हम विधानसभा क्षेत्रों में नए राजनीतिक आबंटन की सरहद पर खड़े हैं। शुरुआत कांगड़ा से हुई, तो कांग्रेस के सामने कई समूह बोलियां लगा रहे हैं। भाजपा के मापतौल पहले ही अपने अंकगणित को पूरा कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस के घर में जातिवाद की खिड़कियां आपस में झगड़ रही हैं। विधानसभा के धर्मशाला सीट पर कई जातियां और वर्ग कांग्रेस के सोच पर मंडरा रहे हैं। पहली बैठक गद्दी समुदाय की तरफ से हुई, तो कांग्रेस बनाम भाजपा

बाबा रामदेव कई मायनों में श्रद्धेय हैं। कमोबेश इस दौर के ‘योग-पुरुष’ हैं, जिन्होंने एक कड़ी साधना को इतना आसान बना दिया है कि औसत पार्क या सभा-स्थलों पर असंख्य लोग योगासन करते देखे जा सकते हैं।

हिमाचल में चुनावी बिसात पर इस बार नए दांव पेंच के अलावा केंद्र बनाम राज्य की सीधी टक्कर होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं, तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू भी सियासी खेल...

हिमाचल में लोकसभा चुनाव के साथ नत्थी विधानसभा उपचुनाव की तासीर में या तो जलवे करेंगे कमाल या अति महत्त्वाकांक्षा हो जाएगी शिकार। पहले जलवों का जिक्र करें, तो भाजपा की रणनीति में केंद्रीय ताकत का...

दिल्ली के शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत मिलना उनकी बेगुनाही का प्रमाण-पत्र नहीं है। जमानत का वैधानिक, तकनीकी आधार भी है और न्यायाधीशों के विवेक का विशेषाधिकार भी है।

समूचे बांग्लादेश को याद रखना चाहिए कि यदि वह अस्तित्व में है, तो भारत की बदौलत है। 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति का युद्ध भारतीय सेना ने लड़ा था और पाकिस्तान के 90,000 से अधिक फौजियों को आत्म-समर्पण के लिए विवश किया था। मुक्ति-संग्राम के दौरान शेख मुजी