विचार

हम मानें या न मानें, हमें मालूम हो या न हो, पर हम किसी न किसी चिंता से, परेशानी से, दुख से, पछतावे से, नफरत से, गिले वाले विचार से घिरे ही रहते हैं। ये विचार ही हमारी मानसिक व्याधियों का कारण बनते हैं जो बाद में शारीरिक बीमारी के रूप में बदल जाते हैं और जीवन दूभर बना देते हैं। स्पिरिचुअल हीलिंग इनकी रोकथाम का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक अनुभवी स्पिरिचुअल

वक्त बदलने के साथ-साथ बातों का अर्थ, जीने का अंदाज, प्रेमालाप का तरीका तक कुछ इस कद्र बदल गया है कि हम पहचान ही नहीं पाते कि क्या यह हमारा वही संसार है जिसमें हम तन कर हमेशा ‘सही को सही’ और ‘गलत को गलत’ कहते रहे। तब की बात और थी हुजूर। तब हम सच के हक में आवाज उठाते थे, तो दस लोग हमारी हां में हां मिलाने के लिए खड़े हो जाते थे। हां में हां मिलाने वालों की तो आज भी कमी नहीं, लेकिन जमाने ने सच के अर्थ और यथार्थ के सन्दर्भ ही बदल दिए, इसलिए हां में हां मिलाने वाले अब कि

सही समय पर प्रशासनिक दखल के परिणाम किस तरह बेहतर हो सकते हैं, इसका एक उदाहरण एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने पेश किया है। वह डीटीसी के साथ एक अनुबंध करके न केवल दिल्ली जा रही सरकारी बसों के लिए उनके राजघाट परिसर में पार्क करने की व्यवस्था कर रहे हैं, बल्कि वहां ड्राइवर-कंडक्टरों के लिए विश्राम की उचित व्यवस्था भी कर रहे हैं। इस तरह एचआरटीसी सालाना अपने व्यय में करीब दो करोड़ की बचत करते हुए भविष्य के रास्ते खोज रही है। यह दीगर है कि सरकारी

भारत का इतिहास उन वीर बलिदानी भारत के बेटे-बेटियों से भरा है जिन्होंने स्वतंत्रता पाने के लिए देश हित में बलिदान दिया। यद्यपि उनमें से असंख्य ऐसे हैं जिन्हें कभी न इतिहास में स्थान मिला है, न लोक गाथाओं में, और शिक्षा जगत में तो उनको कभी स्थान मिला ही नहीं। कौन नहीं जानता कि 1857 के संग्राम में यह देखा-सुना गया कि अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति विफल होने के बाद गांवों में, शहरों में

पठानकोट-मंडी हाईवे प्रोजेक्ट आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड द्वारा निगमित और स्वामित्व में है। हालांकि एग्रीमेंट के अनुसार परियोजना के पूरा होने की नियत तिथि 18 मई 2022 को खत्म हो चुकी है, लेकिन हम भारतीयों को चूंकि लंबे समय तक

ग्लोबल वार्मिंग प्राणी जाति के साथ देश की आर्थिक व्यवस्था के लिए बेहद हानिकारक है, क्योंकि इससे फसलों को जो नुकसान होता है, साथ में बीमारियों का कारण ग्लोबल वार्मिंग बनता है, उसके लिए सरकारों को भारी खर्च करना पड़ता है। वैसे तो गर्मियों का मौसम आने ही वाला है, लेकिन समय से पहले ही गर्मी के

आप उन लोगों की लिस्ट तैयार करें जिनके साथ आपको हमेशा एक सहारा मिलता रहा है, जिनके पास आप अपना सुख-दुख बांट पाती हों या जिनके पास आप खुलकर हर बात बोल पाती हों। अकेलेपन की भले ही आप शिकार हों, लेकिन यह हमेशा खुद सोचें कि आपको जहां तक हो सके, सोशल बनना है। इसके लिए आप खुद को कहें कि आप इंट्रेस्टिंग हैं और आपको लोग पसंद

आज एक ऐसा मुद्दा उठा रहे हैं, जो हमारे शिक्षण-संस्थानों के भीतर हिंसक भीड़ और उनके हमलों से जुड़ा है। यह भीड़ हमारी संस्कृति और हमारे मूल्यों से जुड़ी नहीं है, बल्कि एक देश के तौर पर हमें कलंकित करती है। जब मामला विदेशी छात्रों पर हिंसक हमले का सामने आता है, तब हमारे चिंता और सरोकार बढ़ जाते हैं। चूंकि दुनिया एक कुटुम्ब की तरह, आपस में अंतरंग रूप से, जु

यहां धुंध का धुंध से संघर्ष, लोग जीत देखने को बीच में खड़े। फिलहाल हिमाचल में केवल लोकसभा या विधानसभा उपचुनाव का डंका नहीं बज रहा, बल्कि निगाहें ढूंढ रही हैं हारी हुई चरागाहें। यहां अंदेशा और अंदाजा एक साथ समीकरणों की खींचतान कर रहा है। हर पल के कदम अदालत तक पहुंचे हुए, कल तक कयास में थे कि बागी विधायकों को कानून का कितना फैसला मिलता, लेकिन आज