जेन कहानियां दो जेन आश्रम आसपास थे। दोनों में एक-एक बालक रहता था। आश्रम के लिए सब्जी खरीदने बाजार जाते समय एक बालक दूसरे से मिला। कहां जा रहे हो ? पहले ने पूछा। जहां मुझे मेरे पांव ले कर जाएं। दूसरे ने जवाब दिया। इस जवाब से भ्रमित पहले बालक ने अपने गुरु की

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव एक आदमी जो हमेशा गरीबी और असहनीय भूख के कारण त्रस्त रहता था, छोटी-मोटी चोरियां करता रहता था। एक बार उसे जेल की सजा हो गई। उसने कई बार वहां से भागने की कोशिश की पर हर बार पकड़ा गया और हर बार उसकी जेल की सजा बढ़ जाती थी। अंत में

बरसात के मौसम में प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने और अस्वास्थ्यकर आहार से पाचन संबंधी विकार जैसे कब्ज, पेचिश, अपच, उल्टी, फूड प्वाइजनिंग आदि समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा गैस्ट्रो आंत्र संक्रमण जैसे टाइफाइड, हैजा, मलेरिया, पीलिया और वायरल संक्रमण, सर्दी और खांसी जैसी बीमारियां बहुत ही आम हैं। इससे बचने के लिए आपको

हेल्दी रहने के लिए हम कई तरह के नुस्खे अपनाते हैं। खाने-पीने, एक्सरसाइज से लेकर अपने लाइफस्टाइल तक में कई सारे बदलाव करते हैं। सही ब्लड सर्कुलेशन, सही ब्लड प्रेशर, पेट से संबंधित किसी भी प्रकार का कोई रोग न होना हेल्दी होने की कैटेगरी में ही आता है, लेकिन इन सबके बीच बॉडी को

बाबा हरदेव अतः भगवान में मिटने के लिए भक्ति से अधिक सुगम और ज्यादा उपाय नहीं है। भक्ति सभी साधनों से श्रेष्ठ है,क्योंकि इस सूरत में पहले चरण से ही मिटने की यात्रा शुरू हो जाती है। कबीर जी का भी फरमान हैः भाव भक्ति विश्चास बिन कटे न संसे सूल कहे कबीर हरि भक्ति

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… स्वामी निरंजनानंद और स्वामी रामकृष्ण इस सबके रक्षक थे। वे देने को कतई राजी न थे। स्थिति बिगड़ते देखकर स्वामी विवेकानंद ने सभी भक्तजनों से कहा, महापुरुषों के देहावशेष के बारे में शिष्यों के विवाद धर्म जगत में कई बार हुए हैं, इसमें कोई शक नहीं, इसलिए रास्ते का ही

आजकल की व्यस्त लाइफस्टाइल में लोगों के पास अपने लिए तो बिलकुल भी समय नहीं है। आज हर किसी पर कार्य का इतना ज्यदा बोझ है कि कब बीमारियां घेर लेती हैं, इसका पता ही नहीं चलता। योग के कई फायदों के बारे में हम सब जानते हैं, लेकिन कुछ योग ऐसे भी हैं जो

सेहतमंद रहने के लिए हरी सब्जियां खाने की सलाह सभी डाक्टर देते हैं। ताजा हरी सब्जियों की उचित मात्रा आहार में शामिल करने से शरीर में ब्लड का निर्माण होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शरीर को रोगों से लड़ने के लिए हिमोग्लोबिन की मात्रा अच्छी होनी चाहिए। रक्त और हिमोग्लोबिन

कब्रगाह को महल क्यों कहा गया? मकबरे को महल क्यों कहा गया? क्या किसी ने इस पर कभी सोचा, क्योंकि पहले से ही निर्मित एक महल को कब्रगाह में बदल दिया गया। कब्रगाह में बदलते वक्त उसका नाम नहीं बदला गया। यहीं पर शाहजहां से गलती हो गई। उस काल के किसी भी सरकारी या

अमृतत्व का प्राप्त होना इसी परिष्कृत दृष्टिकोण को अपनाने के साथ जुड़ा हुआ है। हम हैं और इंद्रियों को प्रेरणा देने वाले हैं – इंद्रियों के कारण हम चैतन्य नहीं, वरन हमारे कारण इंद्रियों में चेतना है, यह जान लेने पर आत्मा का अस्तित्व प्रत्यक्ष हो जाता है। आत्मा पर मल आवरण विक्षेप के कषाय-कल्मष