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राजेंद्र मोहन शर्मा सेवानिवृत्त डीआईजी ऐसी भ्रांतियां किसी सीमा तक उचित भी हैं, मगर इसका दूसरा पहलू, जो कि कानूनी प्रक्रिया से संबंधित है तथा जिसके संबंध में लोगों को जानकारी नहीं है, भी काफी सीमा तक उत्तरदायी है और इसका खामियाजा पुलिस को ही भुगतना पड़ता है। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार अपराधों

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक जब हम अपनी अर्थव्यवस्था को माल के आयातों के लिए खोलते हैं तो साथ-साथ विदेशी निवेश के लिए भी खोल देते हैं जिससे कि हमें आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हो जाएं और हम भी उत्तम क्वालिटी का माल बना कर आयातों के सामने खड़े रह सकें। बताया जाता है कि वर्ष 2019-20

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं अपने उसूलों के पक्के पंडित जॉन अली सदा पुरसुकून से दिखते हैं। उन्होंने बचपन से ही अपने लिए लक्ष्मण रेखा निर्धारित कर ली थी। उन्हें सिखाया गया था कि टिड्डी दल की तरह कुछ ही समय में कई गुणा बढ़ने वाली ़ख्वाहिशों पर अगर विवेक का छिड़काव न किया

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री कोविड-19 के बाद की नई दुनिया में आगे बढ़ने के लिए जिन बुनियादी संसाधनों, तकनीकों और विशेषज्ञताओं की जरूरतें बताई जा रही हैं, उनके मद्देनजर भारतीय युवा और भारतीय पेशेवर चमकते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रसिद्ध कंसलटेंसी फर्म केपीएमजी के 2020 ग्लोबल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री इनोवेशन सर्वे के मुताबिक आर्टिफिशियल

रोहित पराशर लेखक शिमला से हैं हाल ही में हमने सात जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया क्योंकि विश्व भर में खाद्य सुरक्षा एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। सभी देश अपने यहां खेती के तरीकों में निरंतर बदलाव कर रहे हैं ताकि खाद्य पदार्थों की उपलब्धता के साथ स्वस्थ और पोषणयुक्त

हर स्तर पर साहित्यक आयोजनों के उद्देश्य तभी प्राप्त हो सकते हैं या इनकी भव्यता, सफलता तभी सार्थक हो सकती है जब परिणाम में समाज पर इनका प्रभाव पड़े। समाज आज भौतिकता की ऊहापोह में बहुत कुछ होते हुए भी निराश है, असंतुष्ट है। इस नैराश्य-भाव से छुटकारा व संतोष की सांस इन आयोजनों की

कोरोना शमशानी के मोबाइल की कॉलर ट्यून घनघनाई। ‘हैलो, ये मुम्बई से कोरोना शमशानी जी बोल रहे हैं? ‘जी, बोल रहा हूं। इंटरनेशनल वायरस प्राइवेट लिमिटेड का सीईओ कोरोना शमशानी। जी कहिए। ‘जी मैं नेशनल डेली ‘फटीचर टाइम्स का एडीटर बालेंदु भटनागर बोल रहा हूं। सर हमारे पेपर में आपके ऊपर एक राइटअप जाना है,

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार वादी-प्रतिवादी दोनों ही मुंह खोले वकील व जज की ओर आंखें फाड़ कर देखते रहते हैं कि उनके भाग्य का चित्रगुप्त क्या फैसला करते हैं। फैसला हो जाता है तो उसे जानने के लिए वादी-प्रतिवादी को फिर वकील के पास ही जाना पड़ता है कि कम से कम यह

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार चौथा क्षेत्र मूलभूत ढांचे के विकास से संबंधित है। सड़कों, पोर्ट्स व हवाई अड्डों के निर्माण के साथ-साथ भारत को अनुसंधान के लिए शैक्षिक प्रयोगशालाओं व पुस्तकालयों के निर्माण पर जोर देना चाहिए। ग्रामीण विकास को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, गांवों में कृषि व विपणन केंद्रों को विकसित किया जाना