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प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं राष्ट्रीय राइफल के एक युवा जवान औरंगजेब को उस समय मार दिया गया जब वह मुसलमानों में सबसे ज्यादा मनाए जाने वाले त्योहार ईद के लिए बिना हथियारों के अपने घर आ रहा था। उसका उसके घर पर शिद्दत के साथ इंतजार हो

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं राज्य के चुनिंदा प्रशिक्षक जब दृढ़ संकल्प होकर हिमाचली प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक तैयार कर रहे हैं, तो राज्य में कार्यरत प्रशिक्षकों व शारीरिक शिक्षकों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं। तभी उत्कृष्ट खेल परिणामों की एशियाई व ओलंपिक खेलों में

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं पिछले चार वर्षों में हमने लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलते देखा है। नरेंद्र मोदी विकास के नाम पर नेता बने थे। गुजरात माडल उनके नजरिए का प्रतीक था। मोदी ने बहुत से अच्छे काम किए, लेकिन भीड़ को साथ लेकर चलने की उनकी लालसा ने उन्हें

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं विश्व बैंक का कहना है कि भारत सरकार को ऋण लेकर हाइवे आदि में निवेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि सरकार द्वारा निवेश करने में भ्रष्टाचार की संभावना बनी रहती है। इसलिए भारत सरकार का वित्तीय घाटा हटने से निवेश आना शुरू होगा और सरकार द्वारा कम किए

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि अमित शाह के बारे में मेरा विचार एक ऐसे व्यक्ति वाला था, जो आग लगाता है और फिर उसमें घी डालता है। लेकिन मेरी यह सोच उस समय पूरी तरह तिरोहित हो गई जब मैंने उनकी सद्भावना, विनम्रता, स्पष्ट विचार प्रक्रिया, अभिज्ञता व

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं मुखर्जी ने कहा कि लोकतंत्र में सभी राष्ट्रीय महत्त्व के प्रश्नों पर लोक संवाद ही समाधान का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। किसी भी समाज में मत भिन्नता तो होगी ही। सहमत होना या असहमत होना मानव का स्वभाव है, लेकिन सब प्रश्नों पर संवाद रचना लोकतंत्र का प्राण

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं उन्होंने राष्ट्रवाद की परिभाषा, भाषा व भौगोलिक सीमा के उत्पाद के रूप में नहीं, बल्कि एक देश की संस्कृति व सभ्यता के रूप में की। उन्होंने कहा कि यूरोपीय राष्ट्रीय राज्यों से बहुत पहले भारत में सर्वेभवंतु सुखिना अर्थात सभी सुखी हों- के

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं पिछले कई दशकों से बंद पड़े ड्रिल के पीरियड को अभी तक सुचारू रूप से शुरू नहीं किया जा सका है। राज्य में स्कूली क्रीड़ा संगठन को मजबूत बनाकर ही हम राज्य के विद्यालयों में पढ़ रहे लाखों विद्यार्थियों की फिटनेस व उनमें से भविष्य के चैंपियन निकाल सकते

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं कर्नाटक की क्षणिक जीत के बाद मोदी और शाह खुद को फिर से अजेय साबित करने में लगे ही थे कि सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी आशाओं पर पानी फेर दिया। अंततः कर्नाटक हाथ से निकल गया। उसके बाद लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में मिली करारी हार