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कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं मैं उनसे इस बात पर सहमत हूं क्योंकि यह कोई हिंदू-मुसलमान का सवाल नहीं है और न ही इसे इस तरह का सवाल बनाया जाना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी हो सके। उनकी अधिकतर संपत्तियां अब भी अक्षुण्ण

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं पिछले 15 वर्षों से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस फोर्सेज के भूतपूर्व जवान अपने हकों और मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। केंद्रीय अर्द्धसैनिक के अंतर्गत सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एनडीआरएफ और एसएसबी आते हैं। देश के भीतर आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा संभालने के साथ-साथ सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद, नक्सलवाद,

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं किसी को भी मेघालय विधानसभा में इन भाषाओं में बोलने का अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए? यदि खासी या गारो मेघालय विधानसभा में नहीं बोली जाएंगी, तो क्या हिमाचल विधानसभा में बोली जाएंगी? प्रदेश के शिक्षा संस्थानों में मेघालय की विभिन्न जातियों की भाषाओं को उचित स्थान

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं हाल में एयर इंडिया के मुखिया के रूप में एक नागरिक प्रशासक को नियुक्त किया गया, लेकिन कुछ ही महीनों में उसे इससे आरामदायक पद  मिल गया तथा वह रेलवे में शिफ्ट हो गया। एयर इंडिया अथवा यहां तक कि विमानन क्षेत्र की

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं देश में खेलों के पिछड़ने का बहुत बड़ा कारण खेल संघों पर लगातार कई टर्म तक व्यक्ति विशेष का कब्जा भी एक प्रमुख कारण है। पहली टर्म में तो ये पदाधिकारी काफी रुचि दिखाते हैं, मगर बाद में फिर धीरे-धीरे खेल उत्थान को भूल कर अपनी नेतागिरी व

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जब समय कठिन होता है तो उत्तेजना की नहीं, बल्कि धैर्य और सम्मति की आवश्यकता होती है। हमारे देश में जनतंत्र की हालत यह है कि शासन-प्रशासन में जनता की भागीदारी कहीं भी नहीं है। देश में जनतंत्र सिर्फ 5 साल बाद आता है, जब लोग

हिंदू राष्ट्र व अखंड भारत, दोनों अभियान असफल होने की आशंका है। अखंड भारत का पुनर्निर्माण पहुंच से परे, और हिंदू राष्ट्र अंततः आत्मघाती लगता है। एक वृहद् भारत के निर्माण की अभिलाषा सफल होने के यदि अवसर हैं तो वे समान विचार वाले देशों का एक संघ, भारत महासंघ, बनाकर यथार्थ किए जा सकते हैं...

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं सरकार का प्रयास है कि इन्कम टैक्स की अधिकतम दरों में कटौती की जाए। इसका प्रभाव देखिए। इन्कम टैक्स की अधिकतम दर में कटौती से अमीरतम लोगों को लाभ होगा, क्योंकि यदि आज वे अपनी आय का 30 प्रतिशत  दे रहे हैं, तो कल वे 25

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं वास्तव में एक संघीय ढांचे की संभावना को देखने के लिए गैर भाजपा शासित राज्यों के कुछ नेता एक-दूसरे के संपर्क में हैं। अगर आप पीछे की ओर देखें, तो जनता पार्टी एक संघीय ढांचा था। यह पार्टी शासन की अपनी पूरी अवधि पूरा नहीं कर पाई क्योंकि इसके