भरत झुनझुनवाला

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक सबसिडी के बल पर निर्यातक माल का निर्यात चालू रख सकें, मेरे आकलन में यह दीवार पर सिर फोड़ने जैसा होगा। जिस समय संपूर्ण विश्व में मांग में लॉकडाउन चल रहा है और यह कब तक चलेगा इसका कोई अनुमान नहीं है, ऐसी परिस्थिति में सबसिडी देकर निर्यातों को बनाए रखना

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक समय क्रम में बीसवीं शताब्दी के ही अंतिम हिस्से में गरीबी के कारण, साफ-  सुथरे इंजेक्शन का उपयोग न करने के कारण, नागरिकों को पर्याप्त पौष्टिक भोजन न मिलने के कारण अथवा रोजगार न मिलने के कारण, उस एचआईवी वायरस ने एड्स का रूप धारण कर लिया जो बाद में पूरे

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान तेजी से गिर रहा है, मैन्युफेक्चरिंग एवं सेवा क्षेत्र बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण है कि विश्व में कृषि उत्पादों की मांग सीमित है। विश्व की जनसंख्या में मामूली वृद्धि हो रही है, तदनुसार खाद्य पदार्थों की खपत में भी मामूली ही वृद्धि हो

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक नोटबंदी के कारण प्रॉपर्टी के दाम गिर गए। उनके लिए 900 करोड़ रुपए में बचे हुए फ्लैटों को बेचना असंभव हो गया। अर्थव्यवस्था की मंदी के कारण भी बाजार में प्रॉपर्टी के दाम गिर गए। वे इन फ्लैटों को बेच नहीं सके। बेच न पाने के कारण इन्हें प्रोजेक्ट को पूरा

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक वायु प्रदूषण पर नियंत्रण न करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि उद्योगों पर प्रदूषण नियंत्रण का बोझ न पड़े, उनके माल के उत्पादन की लागत कम आए, देश का आर्थिक विकास हो जिससे कि जनता के जीवन स्तर में सुधार हो, लेकिन इस प्रक्रिया में बढे़ वायु प्रदूषण से जनता

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक महंगी बिजली को बेचकर टीएचडीसी भारी लाभ कमा रही है। 11 रुपए में बेची गई बिजली का बोझ अंततः देश के नागरिक पर पड़ता है जिसके द्वारा इस बिजली को खरीदा जाता है। इस प्रकार टीएचडीसी द्वारा जनता का दोहन किया जा रहा है और गंभीर बात यह है कि इस

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अमरीका में चीन की तुलना में श्रमिक के वेतन अधिक हैं और पर्यावरण की हानि करने की भी छूट कम है। चीन की फैक्टरियों द्वारा भारी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन किया जाता है जिससे लोगों का स्वास्थ बिगड़ रहा है। बीते वर्ष जब राष्ट्रपति ट्रंप चीन की यात्रा पर गए

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक ग्रामीण क्षेत्रों में तथा गरीब लोगों को बैंक की सुविधा उपलब्ध कराने में इनकी रुचि नहीं है। इसमें कोई संशय नहीं कि राष्ट्रीयकरण के बाद सरकारी बैंकों की शाखाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में भारी विस्तार हुआ है और आम आदमी के लिए बैंक तक पहुंचना आसान हो गया है। इस दृष्टि

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास और पंचायतों तक ब्रॉडबैंड पहुंचाने के लिए क्रमशः मात्र 8 हजार करोड़ रुपए और 6 हजार करोड़ रुपए की रकम आबंटित की गई है। इसकी तुलना में बुनियादी संरचना जैसे सड़क और एयरपोर्ट के लिए 103 लाख करोड़ रुपए की रकम आवंटित की गई है। यह जो