पीके खुराना

पीके खुराना ( लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) भीड़ की अनुपस्थिति ने अन्ना हजारे को अप्रासंगिक बना दिया है और भीड़ खींचने के प्रयास में एक शहीद की बेटी झूठ बोलने पर आमादा है। एक समाज के रूप में हम सच कहने और सुनने की कूव्वत गंवा चुके हैं, हिम्मत गंवा चुके

पीके खुराना ( लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) अब स्थिति यह है कि ‘यथा प्रजा, तथा राजा’ की उक्ति सटीक हो गई है। यानी यदि जनता जागरूक नहीं होगी, तो जनप्रतिनिधि भी निकम्मे और भ्रष्ट हो जाएंगे। यह स्वयंसिद्ध है कि ‘आह से आहा’ तक के सफर के लिए जनता को ही

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) न केवल पिछड़ों का, बल्कि इन वोट बैंक माने जाने वाले वर्गों का भी अच्छा खासा हिस्सा उन दलों में बंटता है, जिनको इनके खिलाफ माना जाता रहा है। इनमें से बहुत से मतदाता अपने प्रत्याशी अथवा दल की उपलब्धियों और विकास

पीके खुराना ( लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) हमारे देश का बुद्धिजीवी वर्ग अत्यधिक सुविधाभोगी हो गया है और उसके अपने निहित स्वार्थ हैं। वह सिर्फ ऐसे तर्क देता है जो तर्कसंगत लगते हैं, पर यह जानना कठिन होता है कि वे तर्क हैं या कुतर्क। दूसरी समस्या यह है कि बुद्धिजीवी

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) चुनाव के समय विज्ञापनों का लालच मीडियाकर्मियों के हाथ बांध देता है और इस सारी प्रक्रिया में उनकी भूमिका अप्रासंगिक हो जाती है। ऐसे में हमारे सामने एक ही उपाय है कि मतदाता के रूप में हम जागरूक हों, दूरदर्शी बनें और

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) अखिलेश सत्ता में हैं। पार्टी पर उनका वर्चस्व बन गया है। वह परिपक्व राजनीतिज्ञ की छवि में आ चुके हैं और पार्टी ने उन्हें सफलतापूर्वक विकास के प्रतीक के रूप में पेश किया है जो अपराधियों और बाहुबलियों से घृणा करता है

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) सवाल यह है कि पंजाब में किसकी जीत की संभावना है। अभी तक के सर्वेक्षणों में हालांकि आम आदमी पार्टी काफी मजबूत दिख रही है और कांग्रेस के आंतरिक सर्वेक्षणों में भी वह बहुत मजबूत नजर नहीं आ रही है तथा शिरोमणि

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) यह तो सिद्ध हो चुका है कि मुलायम सिंह यादव की शक्ति का क्षरण हुआ है, लेकिन समाजवाद के इस दंगल में यह भी हुआ है कि जो अखिलेश पहले आज्ञाकारी पुत्र की छवि के मालिक थे, वे अब शहजादा सलीम की