पीके खुराना

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं राजनीति में सबको आश्चर्यचकित कर देने वाले एक और शख्स ऐसे हैं, जिनके जिक्र के बिना राजनीति की रणनीति की चर्चा अधूरी रहेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने राजनीति की परिभाषा बदल दी। रणनीति के तरीके बदल दिए और एक हाथ से

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं अरविंद केजरीवाल को जनता का विश्वास मिला था, लेकिन मोदी ने उपराज्यपाल के माध्यम से जनमत को रौंद डाला। यह अलग बात है कि खुद अरविंद केजरीवाल ने भी अपनी राष्ट्रीय महत्त्वाकांक्षाओं के कारण जनता के विश्वास को बरकरार रखने के बजाय घिसे हुए भ्रष्ट राजनीतिज्ञों

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं सारा देश इस मामले में सेना के साथ है और लोग मोदी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं कि वह कोई ठोस कार्रवाई करें तथा स्थिति को और बिगड़ने से बचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं। यह समय गंभीरता से सोचने का

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं अगर भाजपा को जीत मिली है, तो इसका एक ही कारण है कि कांग्रेस जनता का विश्वास दोबारा पाने में तो असफल रही ही है, आम आदमी पार्टी ने भी लोगों का विश्वास खोया है। केजरीवाल और उनके साथी अभी हार के बहाने ढूंढ़ रहे हैं

पीके खुराना पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं जिन इलाकों में चरमपंथी गतिविधियां न हों, वहां आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट की जरूरत नहीं है। समय की मांग है कि प्रशासन लोगों से ज्यादा रू-ब-रू हो, उनके सुख-दुख में शामिल हो और अलगाववादियों की गतिविधियों, खासकर सोशल मीडिया की गतिविधियों पर गहरी

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं समस्या यह है कि शालीन विरोध का सरकार पर कोई असर नहीं होता और मंत्रिगण कानून में बदलाव के विपक्ष के किसी सुझाव को मानने के लिए तैयार नहीं होते। परिणामस्वरूप अपनी उपस्थिति जताने तथा जनता और मीडिया का ध्यान आकृष्ट करने के लिए विपक्ष वाकआउट

पीके खुराना पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं धमीजा का मानना है कि हमें खुले दिमाग से सोचना चाहिए। बंद दिमाग या तंग दिमाग समाज के पतन का कारण बनता है। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित धमीजा की पुस्तक हिंदी में होने के कारण एक बड़े पाठकवर्ग तक पहुंचेगी और शायद यह संभव

पीके खुराना पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं खेती को अकुशल कार्य माना गया है और यह कहा गया है कि किसान साल में केवल 160 दिन काम करता है। इस तरह खेती की उपज का हिसाब बनाते समय उसकी मजदूरी कम लगाई जाती है। ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, हार्वेस्टर चलाने वाला, मौसम को

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) नरेंद्र मोदी की अब तक की रणनीति के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हिंदुओं को संतुष्ट करने के बावजूद यहां भी मोदी के विकास के एजेंडे पर बात करते रहना पार्टी की नीति होगी। मोदी ने