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प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार भारत अर्थव्यवस्था, विज्ञान और अंतरिक्ष के लिहाज से एक शक्तिशाली ताकत है जो चंद्रमा पर उतरकर अपना प्रदर्शन कर चुका है। आज भारत की ताकत केवल यही नहीं है कि वह प्रौद्योगिकी व आर्थिक क्षेत्र में उभरती ताकत है, बल्कि यह भी कि उसे सहयोगी और मित्रों के रूप

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक क्या सरकार पंजाब, गुजरात आदि राज्यों की तरह उत्कृष्ट खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षकों को यहां लगातार कई वर्षों के लिए अनुबंधित कर  हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों को राज्य में ही प्रशिक्षण सुविधा दिलाकर खेल प्रतिभा का पलायन रोक नहीं सकती है? इससे प्रदेश में खेल वातावरण बनेगा तो हर

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार एक भूल से सीख लेकर किसी दूसरी भूल से दूर रहने में ही बुद्धिमानी है। हम हमेशा से यह पाठ पढ़ते आए हैं कि लालच बुरी बला है। कई बार हमारी महत्त्वाकांक्षा लालच में बदल जाती है। महत्त्वाकांक्षी होना गलत नहीं है, किसी भी चीज की अति होना गलत है। जब

जब यह दोनों आपस में घुल-मिल जाते हैं तो फिर एक- दूसरे के काले कारनामों में मददगार हो जाते हैं। नेता लोग अपनी राजनीति में व्यस्त रहकर अपना जीवन पूरे रौब-ठौब व शानोशौकत से जीते हैं। उनका मुख्य कार्य विरोधी पक्ष के लोगों को तंग करवाना या फिर उन्हें अनचाहे स्थानों पर स्थानांतरित करने तक

विकेश कुमार बडोला लेखक, विचारक, ब्लॉगर यद्यपि इन दिवसों में भारत में कोरोना मृतकों और संक्रमितों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, परंतु भारत के शासन और लोगों का सर्वाधिक ध्यान अब चीन को सीमा विवाद का दंडात्मक पाठ पढ़ाने पर स्थिर है। अधिसंख्य भारतीय चीन के प्रति अब इसलिए आक्रोशित नहीं कि उसने

प्रो. प्रेम कुमार धूमल पूर्व मुख्यमंत्री हिमालय पर्वत पर लेह, लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के साथ लगती सीमा पर जब-जब चीन घुसपैठ करने की कोशिश करता है, तब-तब देश को आभास होता है कि इन क्षेत्रों में इतनी ऊंचाई पर बर्फ  में, ढलानों पर और नदियों पर खतरनाक भौगोलिक परिस्थितियों में

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com गांव आकर होरी सबसे पहले अपने गिरे कच्चे घर का छप्पड़ ठीक करने में जुट गया। अभी वह आधा छप्पड़ ही ठीक कर पाया था कि पता नहीं कहां से टिड्डियों का दल भी वहां आ पहुंचा तो अपने आंचल से टिड्डियों को भगाते धनिया ने होरी से कहा, ‘रे होरी! लगता

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक इसलिए हमें ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिसमें कि राज्यों को अपने राजस्व में वृद्धि करने का इंसेंटिव तत्काल उपलब्ध हो जाए और वे प्रशासनिक सुधार के साथ लॉकडाउन में ढील देने के विकल्प की तरफ बढ़ें। इसलिए जीएसटी में राज्यों को दर को निर्धारित करने की स्वायत्तता तत्काल दे देनी चाहिए।

सुखदेव सिंह लेखक नूरपुर से हैं गांवों में लोगों का जीवन स्तर सही न होने की वजह से आज तक टीबी जैसी महामारी पर काबू नहीं कर पाए हैं। गांवों की गलियों में अक्सर गंदगी की भरमार रहती है और कूड़ा-कचरा इधर-उधर बिखरा पड़ा रहना रोजमर्रा की बात है। गांवों की ज्यादातर जनता को अभी