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पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं समस्या यह है कि या तो मीडिया में इतने बड़े षड्यंत्र की ढंग से तहकीकात कर पाने की काबिलीयत वाले लोग नहीं हैं या फिर उनकी इसमें रुचि ही नहीं है। अलग-अलग दलों के नेताओं और संबंधित अधिकारियों के मशीनी बयानों से ही संतुष्ट हो जाने

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं बजट में प्रतिवर्ष कम से कम एक हजार करोड़ रुपए के प्रावधान के साथ न्यूनतम तीन मेगा परियोजनाओं को 2022 के चुनावों से पहले जमीन पर साकार किया जाए। इस रणनीति पर सरकार आगे बढ़े तो अगले पांच वर्षों में 15 बड़ी परियोजनाओं के द्वारा रोजगार के नए

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं प्रधानमंत्री ने वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम में भारत को वैश्विक निवेश खोलने के लिए धारदार अपील की थी। आपसे मेरा अनुरोध है कि उतने ही धारदार तेवर से अपने ही फूड कारपोरेशन से कहिए कि उत्तर भारत में पराली को ऊंचे दामों पर खरीदे, पर्यावरण मंत्रालय से

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं दयालु स्वभाव की अस्मां ने ताउम्र किसी भी तरह के भय की परवाह किए बगैर कार्य किया, फिर चाहे उन्हें कट्टरपंथी समूहों की धमकियां ही क्यों न मिलती रही हों। दुनिया भर में एक कार्यकर्ता के तौर पर मशहूर अस्मां को रेमन मेगसेसे और यूनाइटेड नेशंज डिवेलपमेंट फंड के

कर्म सिंह ठाकुर लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं प्रदेश में नौ लाख के करीब बेरोजगार हैं सबको सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती, जो कि शाश्वत सत्य है। क्यों न इन युवाओं को ईमानदारी से यह एहसास करवाया जाया कि प्रदेश में भौगोलिक दृष्टि से समृद्धता के कारण स्वरोजगार के नवीन अवसरों की अपार संभावनाएं

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं इधर, जब सीमा पर पाकिस्तान के साथ घमासान मचा हुआ है और सेना के शिविरों पर हमले हो रहे हैं, भारतीय सैनिक और पुलिस बल देश की रक्षा के लिए अपना ख़ून बहा रहे हैं , ठीक उसी समय सीमा के दूसरी ओर भारत का ही एक

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं लोकतंत्र का मतलब केवल यह नहीं है कि नियमों को लिख भर दिया जाए। इसकी अपनी एक आत्मा होती है जो सहभागिता के आधार पर काम करती है तथा जिसमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना होती है। आम सहमति की परंपरा विकसित

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं सरकार आगामी बजट में गैर सरकारी प्रयासों से पदक विजेता खिलाडि़यों, जो किसी खेल छात्रावास में नहीं रहे हैं, उनके लिए उचित वजीफे का प्रबंध करे। साथ ही साथ सरकार खेल तथा शिक्षा विभाग के माध्यम से यह सुनिश्चित करवाए कि उसके नियुक्त प्रशिक्षक व शारीरिक शिक्षा के

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं नीतियां ऐसी बना दी गई हैं कि खेती एक अलाभप्रद व्यवसाय बन गया है। यह नीतियों की असफलता है, किसानों की नहीं। यहां भी सरकार के पास कोई योजना अथवा दूरदृष्टि नहीं है। यह स्थिति ऐसी है कि न जवान की जय है, न किसान की