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भवन निर्माण उन्नत प्रौद्योगिकी के कारण कहीं भी हो सकता है तो फिर मैदान के लिए दुर्लभ समतल जगह को क्यों बरबाद कर रहे हो। हर शिक्षा संस्थान को अपना खेल मैदान चाहिए। नए खेल मैदानों का निर्माण व पुरानों का संरक्षण जरूरी है...

भजन-कीर्तन करते हों तो करें। माला जपते हों तो जपें। उसमें कुछ भी बदलने की आवश्यकता नहीं है। समझना सिर्फ ये है कि ये सब अध्यात्म की शुरुआती सीढिय़ां हैं। अध्यात्म में आगे तब बढ़ेंगे जब हम खुद भगवान हो जाएंगे, तो हमारा हर काम खुद-ब-खुद परमात्मा को समर्पित होता चला जाएगा। जीवन सिर्फ स्वस्थ ही नहीं होगा, खुशनुमा भी होगा और खुशहाल भी होगा। स्पिरिचुअल हीलिंग, यानी आध्यात्मिक उपचार इस मामले में हमारे लिए सबसे उपयुक्त साधन है, जो हमें हमारी मानसिकता

पानी आवश्यकता ही नहीं, हमारे प्राणों से जुड़ा है। इसके लिए हम सबकी पहल जरूरी है, अन्यथा आने वाले समय में क्या देश और क्या दुनिया, सभी को प्यासे ही गुजर-बसर करना होगा। जल ही जीवन है। जल के बिना कल की कल्पना नहीं की जा सकती। जल संरक्षण, वॉटर रिजार्च और जन जागरूकता ही विकल्प हैं। लोगों की भागीदारी के बिना यह संभव नहीं है...

लोकसभा के चुनाव सिर पर हैं। राजनीतिक दल अपनी-अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार मतदाताओं से वादे कर रहे हैं, किंतु ज्यादातर वादे लोकलुभावन किस्म के ही होते हैं जिनमें दीर्घकालीन जनहित का अभाव देखने को मिलता है। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में विशेषकर हिमालय और आम तौर पर पूरा देश ही संकटग्रस्त होने की स्थिति में आ गया है। बाढ़, सूखा, असमय बारिश, बर्फ बारी का कम होते जाना, ग्लेशियरों का तेज गति से पिघलना जैसे लक्षण तेज गति से फैलते जा रहे हैं। परिणामस्वरू

हम उम्मीद करें कि ईएफटीए के बाद अब भारत के द्वारा ओमान, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, अमरीका, इजरायल, भारत, गल्फ कंट्रीज काउंसिल और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि

राम मनोहर लोहिया ने बहुत अरसा पहले यह प्रस्ताव रखा था। इसके बाद यदि मुसलमानों को लगे कि उनकी पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकता के कोई मायने नहीं बचे हैं तो फिर वे स्वयं एकीकृत भारत की मांग उठाएं। तभी उन्हें नागरिकता मिलेगी...

फल की इच्छा का परित्याग पूर्वक समस्त कर्मों का ईश्वर को समर्पण करना ईश्वर प्राणिधान कहलाता है। हजारों साल पहले भारतीय शोधकर्ताओं ने योग की क्रियाओं से होने वाले लाभों को समझ लिया था, जो आज की चिकित्सा व खेल विज्ञान में योग

हम मानें या न मानें, हमें मालूम हो या न हो, पर हम किसी न किसी चिंता से, परेशानी से, दुख से, पछतावे से, नफरत से, गिले वाले विचार से घिरे ही रहते हैं। ये विचार ही हमारी मानसिक व्याधियों का कारण बनते हैं जो बाद में शारीरिक बीमारी के रूप में बदल जाते हैं और जीवन दूभर बना देते हैं। स्पिरिचुअल हीलिंग इनकी रोकथाम का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक अनुभवी स्पिरिचुअल

आप उन लोगों की लिस्ट तैयार करें जिनके साथ आपको हमेशा एक सहारा मिलता रहा है, जिनके पास आप अपना सुख-दुख बांट पाती हों या जिनके पास आप खुलकर हर बात बोल पाती हों। अकेलेपन की भले ही आप शिकार हों, लेकिन यह हमेशा खुद सोचें कि आपको जहां तक हो सके, सोशल बनना है। इसके लिए आप खुद को कहें कि आप इंट्रेस्टिंग हैं और आपको लोग पसंद