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प्रकृति ने कई पेड़ पौधों को औषधीय गुणों से भरपूर रखा है। इन्हीं में से एक कचनार का पेड़ भी है, जो अधिकतर कंडी क्षेत्र में ही पाया जाता है। मार्च मध्य के बाद फूलों से लदने वाले इस पेड़ की पत्तियां, तना व फूल आदि सभी उपयोगी हैं। कचनार की गणना सुंदर व उपयोगी

गतांक से आगे… नित्याद्वयाखंडचिदेकरूपो बुद्धयादिसाक्षी सदाद्विलक्षणः। अहंपदप्रत्ययलक्षितार्थः प्रत्यक्सदानंदघनःपरमात्मा।। जो अहम पद की प्रतीती से लक्षित होता है,वह नित्य आनंदघन परमात्मा तो सदा ही अद्वितीय,अखंड,चैतन्यस्वरूप,बुद्धि आदि का साक्षी, सत-असत से भिन्न और प्रत्यक(अंतर्तम) है। इत्थं विपश्चित्सदसद्विभज्य निश्चित्य तत्त्वं निजबोधदृष्टया। ज्ञात्वा स्वमात्मानखंडबोधं तेभ्यो विमुक्तः स्वयमेव शाम्यति।। विद्वान पुरुष इस प्रकार सत और असत का विभाग करके अपनी

गतांक से आगे… इस प्रकार का विचार चेतन ही कर सकता है।  देवताओं की शंका सुनकर इंद्र कहने लगे हे देवगण, जो आत्मा देव श्रोतादिक समस्त इंद्रियों का भी इंद्रिय रूप है, जो मन का मन रूप है,प्राण का भी प्राण रूप है,जिसको ब्रह्मा ने जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति तीनों अवस्थाओं से रहित कहा है,वह आत्मादेव

* रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद को एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से कब्ज दूर हो जाती है। * अजवायन पीस कर सूती कपड़े में बांध लें और थोड़ी-थोड़ी देर बाद सूंघे, इससे आपकी नाक खुल जाएगी। * सुबह खाली पेट करेले का जूस पिएं। दो महीने में ही शूगर कंट्रोल

अभिताभा भूतरथो वैकुंठास्ससुमेधसः। एते देवगणास्तत्र चतुर्दश चतुर्दशा।। हिरण्यरोमा वेदश्रीरूर्ध्वबाहुस्तथापरः। वेदबाहूस्सुधामा च पर्जंयश्च महामुनिः।। एते सत्यर्षयो विप्र तत्रासन्नैबतेऽतरे। बलवंधुश्च संभाव्य संभाव्य स्तत्यकाद्यश्च तत्सुताः।। नरेंद्राश्च महावीर्य बभूवर्मुनिसत्तम।। हे मैत्रेय जी पांचवें मन्वंतर के मनु रैवत थे। विभु नामक इंद्र और जो-जो देवगण हुए उनके नामों को सुनो। इस मन्वंतर में अभिताभ,भूतस्य,वैकुंठ असौर सुमेधा नामक देवताओं के वर्ग

हमारे ऋषि-मुनि, भागः 33 जब सुलभा राजा जनक से मिलने गई, तो उसके मन में था कि वह धर्मात्मा राजा बहुत बड़े ब्रह्मज्ञानी हैं। साधु समुदाय में उनका नाम आदर से लिया जाता है। जब महाराज को ब्रह्मवादिनी सुलभा के आने की सूचना मिली,तो वह स्वयं आगे गए। उन्होंने सुलभा का विधिवत स्वागत व सत्कार

मैनावती की बात सुनकर गोपीचंद बोले जननी,तुम्हारा रोना वृथा है। जो मृत्युलोक में जन्मा है उसकी मृत्यु अवश्य होगी। अपने बेटे की बात सुनकर मैनावती बोली, इस संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। अमर तत्व प्रदान करने वाले योगी जालंधरनाथ हमारी नगरी में पधारे हैं। तुम भक्ति भाव से उनकी शरण में जाओ और

फेफड़े आपके स्वास्थ्य के लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं, ये बात आप पहले से जानते हैं। मगर हाल में ही जब से कोरोना वायरस के संक्रमण ने तेजी से फैलना शुरू किया है, उसके बाद से फेफड़ों की महत्ता और बढ़ गई है। नोवल कोरोना वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद ये वायरस व्यक्ति

* जब तक तुम स्वयं पर विश्वास नहीं करते, परमात्मा पर विश्वास नहीं कर सकते * उड़ने की  अपेक्षा जब हम झुकते हैं,तब विवेक के ज्यादा नजदीक होते हैं * कमियां तो हर कोई निकाल देता है,लेकिन अच्छाई देखना आपकी काबिलीयत को दिखाता है  * लोगों की पहचान उनके चेहरे नहीं, बल्कि कर्मों से होती