आस्था

संपूर्ण देशवासियों को उन ऐतिहासिक पलों का बेसब्री से इंतजार है, जब रामलला 493 वर्षों उपरांत पुरातन व आधुनिक शैली से निर्मित भव्य एवं दिव्य मंदिर में विराजमान होंगे। हिमालय का संबंध पौराणिक काल से ऋषि-मुनियों, साधकों के साथ रहा है। यहां के पर्व, उत्सव और त्योहार जनमानस की सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना से जुड़े हैं। शिव और शक्ति के इस प्रदेश में असंख्य देव स्थान हैं। शिव पर्वत कंदराओं व हिम शिखरों पर वास करते हैं। इस सबके मध्य हिमाचल के इन क्षेत्रों में वैष्णव मत का भी प्रादुर्भाव हुआ। हिमाचल प्रदेश में कुछ स्थान, देवालयों का संबंध अवधपुरी से माना जाता है।

हिंदू मान्यता के अनुसार पौष माह की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि से पौष मास की पूर्णिमा तक शाकंभरी नवरात्रि मनाई जाती है। पौष मास की पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। देवी शाकंभरी को देवी दुर्गा का अवतार मना जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार देवी शाकंभरी को दस महाविद्याओं में से एक माना जाता हैं। देवी शाकंभरी की श्रद्धा, भक्ति और विधि-विधान के साथ साधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्याक्ष के वंश मे एक महादैत्य ने जन्म लिया उसका नाम था दुर्गम। दुर्गमासुर ने कठोर तपस्या द्वारा परमपिता ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके चारों को वेदो को अपने अधीन कर लिया और साथ ही यज्ञ आदि से देवताओं को प्राप्त होने

तीर्थराज प्रयाग में लगने वाला माघ मेला देश-विदेश के लाखों लोगों की धार्मिक, आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है। इस मेले में लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं। मिनी कुंभ कहलाने वाले इस धार्मिक और सांस्कृतिक मेले का बड़ा महत्त्व है। माना जाता है कि जितने दिन यह माघ मेला रहता है, वे दिन चार युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग के बराबर होते हैं। पूरी दुनिया में बसे हिंदू और हिंदू सनातन संस्कृति पर आस्था रखने वाले ह

वैदिक संस्कृति के अनुसार सोलह संस्कार जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण संस्कार माने जाते हैं। विवाह संस्कार उन्हीं में से एक है जिसके बिना मानव जीवन पूर्ण नहीं हो सकता। हिंदू धर्म में विवाह संस्कार को सोलह संस्कारों में से एक संस्कार माना गया है। विवाह का शाब्दिक अर्थ है : विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना। पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से हिंदू विवाह के नाम से जाना जाता है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है जिसे कि विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है, परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी के बीच ज

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 इस लेख को लिखते समय बचपन याद आ रहा है जब परिवार, पड़ोस और रिश्तेदारी में शादी समारोहों में भाग लेते हुए जो सामुदायिक, संगठित, सामाजिक सौहार्दपूर्ण नजारा देखने को मिला करता था, उसकी तुलना में आज के शादी समारोहों में हुए तमाशे को देख मन

श्रीराम शर्मा वस्तुओं और व्यक्तियों में कोई आकर्षण नहीं है अपनी आत्मीयता जिस किसी से भी जुड़ जाती है वही प्रिय लगने लगती है यह तथ्य कितना स्पष्ट किंतु कितना गुप्त है लोग अमुक व्यक्ति या अमुक वस्तु को रुचिर मधुर मानते हैं और उसे पाने लिपटाने के लिए आकुल व्याकुल रहते हैं। प्राप्त होने

सद्गुरु जग्गी वासुदेव आपने अपने व्यक्तित्व के रूप में जो झूठ रच रखा है, उसका आधार आपकी पसंद और नापसंद है। अगर आप उनसे चिपकना बंद कर दें, तो आपका व्यक्तित्व गायब हो जाएगा,आप लचीले और शानदार बन जाएंगे। अगर आप अपने व्यक्तित्व को थामे रहना चाहते हैं तो आप आध्यात्मिक नहीं हो सकते… आध्यात्मिक

बाबा हरदेव गतांक से आगे.. सत्संग में बैठे लोगो में से किसी का ध्यान नामदेव जी पर गया और वह बोल उठा इसे मंदिर से बाहर निकालो। इसे ये भी ध्यान नहीं है चप्पल हाथ में लेकर आ गया है। दो-तीन आममियों ने पकड़ा और नामदेव जी को मंदिर से बाहर निकाल दिया। लोग कहने

स्वामी रामस्वरूप श्रीकृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं कि महात्मन ! यह द्यौ एवं पृथ्वी लोक का मध्य अर्थात अंतरिक्ष और समस्त दिशाएं एक आपके द्वारा ही व्याप्त हैं। आपके इस अद्भुत और उग्र अर्थात प्रचंड रूप को देखकर तीनों लोक व्यथा को प्राप्त हो रहे हैं… गतांक से आगे… शोक  11/20 में श्रीकृष्ण अर्जुन