आस्था

*           अपने हृदय पर ये अंकित करें कि हर दिन सर्वश्रेष्ठ  है *           संकल्प वह चमत्कारी जादू है, जिसे अपने दैनिक जीवन में अपनाने से मानव का कायाकल्प हो जाता है *           पैसा हैसियत बदल सकता है, औकात नहीं          *जिंदगी में चुनौतियां हर किसी के हिस्से में नहीं आती, क्योंकि किस्मत

 * एक चम्मच टमाटर के रस को एक चम्मच नींबू के रस के साथ मिला लें और फिर इसे डार्क सर्किल पर लगा लें। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में आपको काले घेरों से छुटकारा मिल जाएगा। * आलू में ब्लीचिंग के गुण पाए जाते हैं, जो कि डार्क सर्किल को दूर करने में

जेन गुरु बेंकई प्रचचन कर रहे थे। शिंशु नामक एक पुजारी वहां आया। वह पुजारी बुद्ध के नाम का जाप करने से मुक्ति मिलने की बात पर विश्वास रखता था। बेंकई के यहां श्रोताओं की भारी भीड़ देख कर उसे ईर्ष्या होेने लगी। उसने सभा में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश की। बेंकई ने प्रचवन रोकते हुए शोर

श्रीराम शर्मा एक पंडित जी थे। उन्होंने एक नदी के किनारे अपना आश्रम बनाया हुआ था। पंडित जी बहुत विद्वान थे। उनके आश्रम में दूर-दूर से लोग ज्ञान प्राप्त करने आते थे। नदी के दूसरे किनारे पर लक्ष्मी नाम की एक ग्वालिन अपने बूढ़े पिता के साथ रहती थी। पंडित जी के आश्रम में भी दूध

सर्व प्रथम भगवान सूर्य देव ने प्रसन्न होकर उन्हें मनोकामना सिद्धि का वरदान दिया। उसके बाद बाकी देवताओं ने भी दर्शन देकर इच्छापूर्ति के वरदान दिए। मछेंद्रनाथ ने सात महीने तेरह दिन में सभी देवता प्रसन्न कर लिए। देवी भवानी के आदेशानुसार वह अंजनी पर्वत पर भी गए। वहां जाकर महाकाली के दर्शन किए और

इन तथ्यों को समझते हुए अपनी मनोभूमि को परिष्कृत एवं उत्कृष्ट बनाने की आवश्यकता है। भूत जो सचमुच भी होते हैं, वे मात्र अपने अतीत की अनुगूंज होते हैं। अपनी वासना-तृष्णा एवं आकांक्षा की आग से वे स्वयं ही जल रहे होते हैं। वे वस्तुतः अतीत की भूलों का फल भुगत रहे होते हैं और

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव  मैं नहीं जानता कि आप इनसानी दुखों के बारे में कितना जानते हैं। मैं रोजाना सैंकड़ों लोगों से मिलता हूं और जिस पल वे मेरे सामने बैठते हैं, मैं उनके आर-पार देख पाता हूं, उनका एक-एक हिस्सा देख सकता हूं। चाहे वे अपने चेहरे पर कितनी भी खुशी ओढ़ कर बैठें, मैं

स्वामी विवेकानंद  गतांक से आगे… सुख संपत्ति के समय जो लोग परम मित्र थे, संसार के चिरकाल के नियमानुसार दुःखी और विपत्ति के समय वो सब किनारा कर काट गए। तीक्ष्ण बुद्धि नरेंद्र सब कुछ समझ गए, पर उन्होंने सुध-बुध कायम रखी, धैर्य के साथ वो निर्धनता की पीड़ा को सहन करने लगे। मित्रों को

यह मूलतः ईंटों का किला था जो चौहान वंश के राजपूतों के पास था। इसका प्रथम विवरण 1080 ईस्वी में आता है जब महमूद गजनवी की सेना ने इस पर कब्जा किया था। सिकंदर लोदी (1487-1517) दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने आगरा की यात्रा की तथा इसने इस किले की मरम्मत 1504 ईस्वी