दखल

हिमाचल के नौजवान खेलों में भी प्रदेश को गौरवान्वित कर रहे हैं, लेकिन बेहतर सुविधाएं न मिलने से खेल प्रतिभाएं दम तोड़ती नजर आने लगी हैं। दूसरे राज्यों के मुकाबले हिमाचल के पिछड़ते खेल ढांचे को दखल के जरिए बेपर्दा कर रहे हैं, शकील कुरैशी, टेकचंद वर्मा और भावना शर्मा… हिमाचल के कई खिलाड़ी आज अंतरराष्ट्रीय

एचपीयू में दो लाख किताबें प्रतियोगिता में अव्वल रहने के लिए अच्छी किताबों व कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। युवा वर्ग के लिए प्रदेश की लाइब्रेरियों में अच्छी-अच्छी पुस्तकें उपलब्ध   हैं। लिहाजा पुस्तकालय में युवा वर्ग की दिलचस्पी बढ़ रही है… प्रदेश के एक मात्र विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में साढ़े चार हजार सदस्यों

32 हजार आबादी के लिए बसाए गए शिमला शहर में आज करीब दो लाख लोग वास कर रहे हैं, लेकिन नगर की दुर्गति यह है कि जनसंख्या बढ़ने के साथ मूलभूत सुविधाओं की ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। मसलन  पानी, सड़कें स्वास्थ्य और पार्किंग की दिक्कत दिनों-दिन विकराल होती गई। नतीजतन प्राकृतिक सौंदर्य

हर साल की तरह इस बार भी जंगल की आग में करोड़ों की वन संपदा राख हो चुकी है। यहीं नहीं, प्रचंड दावानल ने तीन अमूल्य जिंगदियों को भी लील लिया है। हर बार सरकार आग से निपटने की कई योजनाएं बनाती है पर आखिरकार नतीजा सिफर ही होता है। प्रदेश में सुलग रहे जंगलों

बेशक इक्कीसवीं सदी आते-आते दुनिया का चेहरा-मोहरा हर लिहाज से बहुत अधिक बदल गया है, परंतु मीडिया और पत्रकारिता के संबंध आज भी बदस्तूर कसौटी पर कसे जाते हैं। इसमें दो राय नहीं कि अब तक रचित साहित्य का बड़ा भाग शाश्वत और यशस्वी होकर मानव सभ्यता के विकास की कहानी सफलता से कहता है…

बिना फिल्टर चलने वाली 500 परियोजनाएं और मटमैला पानी उगलने वाले एक हजार हैंडपंप… हिमाचल में  पानी की यही कहानी है। इसे और भयावह वे उन्नीस हजार बस्तियां बनाती हैं, जहां लोगों को पता ही नहीं कि वे दूषित जल पी रहे हैं या स्वच्छ। रही-सही कसर फलों-सब्जियों में धड़ाधड़ प्रयोग हो रहे कीटनाशक पूरी

हर माह आठ कत्ल, साल में 248 रेप और 1800 केस पेंडिंग। शांति का तमगा लिए हिमाचल में हर 30 मिनट बाद बड़ा क्राइम होता है। गणित ऐसा है तो सवाल भी पुलिस से ही होगा। जवाब में भले ही 1970 खाली पदों का हवाला दिया जाए, लेकिन ये दाग अच्छे नहीं हैं। प्रदेश में

प्रदेश में धड़ाधड़ हाइडल प्रोजेक्ट स्थापित किए जा रहे हैं, जिसके चलते नदी-नालों सहित कूहलें भी सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं। परियोजना प्रबंधन तय नियमों के अनुसार पानी डिस्चार्ज नहीं करते, लिहाजा कृषि पर भी इसका विपरीत असर पड़ने लगा है। बिजली प्रोजेक्टों की वजह से पैदा हो रहे जल संकट पर प्रकाश

हिमाचल को ईश्वर ने प्राकृतिक सौंदर्य देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पर यह दुखद है कि आज तक प्रदेश की सरकारें इस सौंदर्य को निखार पाने में कामयाब नहीं हो पाई हैं, नए टूरिस्ट प्लेस विकसित न होने से सैलानियों का भी देवभूमि से मोहभंग होने लगा। सैलानियों के घटने के कारण गिना