प्रतिबिम्ब

डा. सुशील कुमार फुल्ल मो. -9418080088   समीक्षा के निहितार्थ समीक्षा क्या है, इसके निहितार्थ क्या हैं और एक निष्पक्ष समीक्षा के क्या गुण हैं, इन्हीं विषयों को लेकर कई पुस्तकों की समीक्षा के साथ तैयार किया गया प्रतिबिंब का यह अंक पेश है : सृजनकर्ता एवं आलोचक के बीच सदा से ही एक द्वंद्व

शायरी का खजाना कई फ़त्वों के साथ लगातार नकारे और हाशिए पर धकेले जाने के तमाम दुष्प्रयासों के बावजूद, देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली काव्य विधा ग़ज़ल प्रखर व सहज सम्प्रेषण के कारण, लोकचेतना व लोकधर्मिता की सशक्त अभिव्यक्ति का पर्याय बनी हुई है। इसकी भाषा के गंगा-जमनी सभ्यता और संस्कृति का विकसित रूप

 पुस्तक समीक्षा भले ही गज़ल-परदाज़ डा. नलिनी विभा नाज़ली उर्दू शायरी का जाना-माना नाम हैं; लेकिन उनकी श़ख्सियत ऐसी है कि वह आम ज़िंदगी में भी वऱक दर वऱक ही खुलती हैं, अपनी शायरी की तरह। अपनी बात चुपचाप रखने वाली डा. नाज़ली किसी परिचय की मोहताज नहीं; लेकिन वह तमाम तरह की साहित्यिक गुटबंदी

‘एक तथ्य अटका हुआ’, यह कहानी संग्रह डा. पीयूष गुलेरी की 30 कहानियों का संकलन है। स्वर्गीय डाक्टर पीयूष गुलेरी ने हालांकि यह पुस्तक बहुत पहले लिखी, मगर इसका नवीन संस्करण हाल ही में उनके पारिवारिक सदस्यों ने विमोचित किया है। कथा संग्रह के आमुख को कुछ इस तरह से बुना गया है कि सत्तर-पचहत्तर

बाल साहित्य वर्ष 2019 में डा. गंगाराम राजी द्वारा रचित उनका पहला बाल उपन्यास ‘चिडि़या आ दाना खा’ बाल मनोविज्ञान पर खरा उतरता है। डा. गंगा राम राजी प्रौढ़ साहित्य में अपनी कलम चलाते हैं, परंतु 75 वर्षीय राजी किसी छोटे, प्यारे बच्चे से कम नहीं हैं। उनके प्रौढ़ साहित्य में भी हमें बाल मनोविज्ञान

वरिष्ठ रचनाकारों के रचनाकर्म की समीक्षाओं का प्रकाशन वास्तव में ही बड़ी पहल है। रचना पत्रिका के प्रबंधन, प्रकाशन के ऐसे प्रयासों की कंठमुक्त सराहना होनी ही चाहिए। रचना के प्रस्तुत अंक को जिस तरह संकलित किया गया और जैसे इसे ऊर्जावान बनाया गया, ऐसे प्रयास समय की मांग करते हैं। अब जब यह अंक

डा. धर्मपाल  मो.-9817080040 यह निर्विवादित सत्य है कि कहावतों में नीति, उपदेश, सीख, संदेश, भविष्य कथन के साथ-साथ वक्रोक्ति भी होती है। उनमें तीखा एवं चुटीला व्यंग्य मनोविनोद पाया जाता है। साधारणतया हास्य व्यंग्यात्मक कहावतों का व्यंग्य न तो मात्र शत्रुतावश, न ईर्ष्यावश और न ही खिल्ली उड़ाने के उद्देश्य से किया जाता है, अपितु

हिमाचल में व्यंग्य की पृष्ठभूमि और संभावना-7 अतिथि संपादक : अशोक गौतम हिमाचल में व्यंग्य की पृष्ठभूमि तथा संभावनाएं क्या हैं, इन्हीं प्रश्नों के जवाब टटोलने की कोशिश हम प्रतिबिंब की इस नई सीरीज में करेंगे। हिमाचल में व्यंग्य का इतिहास उसकी समीक्षा के साथ पेश करने की कोशिश हमने की है। पेश है इस

हेमंत अत्रि मो.-7018983910 का कैणा मेरे बघाटा रा जुणिए पाणी पिया बघाटा रा, से घरा रा रोआ न घाटा रा। बच्चा ओ चाऐ आठा रा, बजुर्ग ओ भले ई शाठा रा। ऐती नियम असो पूजा पाठा रा, का कैणा मेरे बघाटा रा ।। 1।। का कैणा मेरे बघाटा रा … चौमिन, पिजा, रे जमाने माए