डा. राजन तनवर मो.-9418978683 परंपरा से लोक साहित्य उतना ही प्राचीन है जितना प्राचीन मानव का अस्तित्व। यदि जन संस्कृति का सच्चा सजीव रूप देखना हो तो उसके लिए लोक साहित्य से बेहतर विकल्प कहीं नहीं मिलता। लोक साहित्य में सरसता, सरलता एवं स्वाभाविकता के गुण सदैव विद्यमान रहते हैं। लोक साहित्य किसी व्यक्ति विशेष
साहित्य और राजनीति को समर्पित किताबें हवा के ताजे झोंके के साथ ‘दृष्टि’ मेरे हाथ में है। यह लघुकथाओं का एक ऐसा संकलन है जिसे सहेजना ही चाहिए। लघुकथा ‘पंजाबी पुत्तर’ यू शुरू और यूं खत्म हुई और संदेश अपने से कई गुना बड़ा दे गई। अमीर-ए-शहर को मनचले नौजवान का जवाब क्या खूब रहा।
मेरी किताब के अंश : सीधे लेखक से किस्त : 17 ऐसे समय में जबकि अखबारों में साहित्य के दर्शन सिमटते जा रहे हैं, ‘दिव्य हिमाचल’ ने साहित्यिक सरोकार के लिए एक नई सीरीज शुरू की है। लेखक क्यों रचना करता है, उसकी मूल भावना क्या रहती है, संवेदना की गागर में उसका सागर क्या
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न सरोज परमार हिंदी की वरिष्ठ विभूतियों में गणनीय ऐसी कवयित्री हैं जिनका काव्य-लेखन उत्कृष्टता के स्तर को स्पर्श करता है। इनकी कविताएं जितनी सरल, सहज हैं, अपने प्रभाव में उतनी ही व्यंजक हैं। घर, सुख और आदमी, समय से भिड़ने के लिए तथा मैं नदी होना चाहती हूं – इनके बहुचर्चित काव्य
‘हिमाचल को अपने जन्म और कर्म से भूषित करने वाले महाकवि आचार्य केशव राम शर्मा हिमाचल के सर्वोच्च तथा भारतवर्ष के मूर्धन्य संस्कृत कवि हैं जिन्होंने हिमाचल-वैभवम्, भारतशतकम्, मातृभूमि-शतकम्, अभिनव कवितांजलि और भुवनेश्वरीचरितम् आदि उच्च कोटि के काव्य रचकर राष्ट्र को प्रदान किए हैं। अब उन्होंने वृहद भारतवर्ष के महान आदर्श पुरुष आचार्य शालग्राम शर्मा
पुस्तक समीक्षा स्वर्गीय डा. पीयूष गुलेरी के वार्षिक श्राद्ध पर गत दिनों उनकी एक साथ तीन पुस्तकों का विमोचन हुआ। साहित्य की इस अंतिम पूंजी को उनके परिजनों ने सहेजा और इन्हीं तीन पुस्तकों में से एक है ‘हमें बुलाती छुक-छुक रेल’। जीवन पर्यंत साहित्य की सेवा को समर्पित रहे डा. पीयूष का मन कैसे
पुरस्कृत साहित्यकारों की रचनाधर्मिता : 4 प्रो. केशव राम शर्मा मो.-9418133268 श्री शालग्राम शर्मा संस्कृत के महान विद्वान थे। विद्वता के अतिरिक्त उनके अन्य उत्कृष्ट गुणों के कारण उन्हें हिमाचल का समाज एक आदर्श महापुरुष मानता था। मुझे उनके संपर्क में रहने का अवसर मिला और हृदय में अगाध श्रद्धा थी। उनके दिवंगत होने तक
हाल ही में हिमाचल प्रदेश कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी ने साहित्यकार गंगाराम राजी, बद्री सिंह भाटिया, प्रो. केशव राम शर्मा, इंद्र सिंह ठाकुर, प्रो. चंद्ररेखा ढडवाल तथा सरोज परमार को साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित करने की घोषणा की। इन साहित्यकारों की पुरस्कृत रचनाओं के प्रति रचनाधर्मिता क्या रही, संघर्ष का जुनून कैसा रहा, अपने
पुस्तक समीक्षा एक ही समय में संवेदनशील कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, आलोचक, शोधार्थी तथा अनुवादक होने के अलावा शब्दकोश, बाल साहित्य एवं साक्षात्कार जैसे तमाम क्षेत्रों में समान अधिकार रखने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी डा. धर्मपाल साहिल ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में कुशलतापूर्वक सृजन किया है। हाल ही में उन्होंने नाटक विधा में प्रवेश