संपादकीय

आगामी लोकसभा चुनाव की करवटों के बीच दिल्ली में कांग्रेस की मंत्रणा का सबूत बनकर हिमाचल से 33 नेताओं का जत्था, किस नए शपथपत्र पर हस्ताक्षर करेगा, यह देखना होगा। गिन कर केवल तीन राज्यों में अपनी सरकार चलाने वाली कांग्रेस के लिए चुनावी तस्वीर के कई पहलू हैं, जबकि इसके गणित में हिमाचल की गारंटियां भी गिनी जाएंगी। एक साल की सत्ता को लोकसभा जीत का परिणाम चाहिए तो सामने भाजपा की हर चाल से मु

अयोध्या का राम मंदिर सांस्कृतिक पुनरोत्थान का एक उदाहरण है, तो राजनीति का भी मुद्दा है। 1989 से 2019 तक के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्रों में भाजपा इसे शामिल करती रही है। एक राजनीतिक दल सांस्कृतिक विकास और बदलाव की बातें नहीं करता, क्योंकि वे चुनावी मुद्दे नहीं आंके जाते। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कराएंगे, इस एक मुद्दे ने भाजपा को 2 सांसदों से 303 सांसदों तक की अप्रत्याशित छलांग लगाने की ताकत दी है। अन्य मुद्दों की भी भूमिकाएं रही हैं, लेकिन राम मंदिर के उद्घोष पर जो उन्माद और धु्रवीकरण, भाजपा के पक्ष में, पैदा

अपनी तरह के मार्गदर्शक फैसले ने आपराधिक जांच के दायरे से हिमाचल के पुलिस मुखिया और कांगड़ा की एसपी से उनका वर्तमान किरदार छीन लिया। माननीय हाईकोर्ट ने पालमपुर के व्यापारी की अरदास को सुनते हुए राज्य सरकार को दिशा निर्देश दिए हैं कि जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता के लिए पुलिस महकमे के ओहदेदार परिदृश्य से हटाए जाएं। ऐसे कड़े निर्देश की वजह समझें तो यह कानून व्यवस्था के आलम में हिमाचल की शर्मिंदगी है। जिन परिस्थितियों में पालमपुर के व्यापारी को पुलिस से वास्ता पड़ा, उससे द्विपक्षीय मामले में सारी कानून व्यवस्था का तामझाम तार-तार हुआ है। कारोबारी निशांत के अपने निजी मसले, व्यापारिक क्लेश या कानूनी पेचीदगियां हो सकते हैं और उनके निपटारे के लिए अदालती प्रक्रिया और न्याय प्रणाली की अहम भूमिका सुनिश्चित है, लेकिन यहां यह व्यक्ति पुलिस प्रणाली के खौफ

बेशक द्रमुक नेता दयानिधि मारन ने चार साल पहले उप्र और बिहार का अपमान किया था। उन्होंने कहा था कि इन राज्यों के लोग शौचालय और सडक़ साफ करने के लिए तमिलनाडु आते हैं। वे बुनियादी तौर पर निर्माण-मजदूर हैं। मुख्यमंत्री स्टालिन ने हिंदी-विरोध में आपत्तिजनक बयान दिया है। उन

साल का अंतिम पहर और नए वर्ष के आगमन का सफर, इस समय हिमाचल में पर्यटन को भी माप रहा है। वर्षांत पर्यटन की चहलकदमी में पूरा प्रदेश और सैलानियों के उत्साह में निरंतर बढ़ोतरी का आलम यह कि अटल टनल एक ही दिन में एक लाख के करीब पर्यटकों की चरागाह बन जाती है। शिमला की पहाडिय़ां हों या कांगड़ा घाटी की गुनगुनी धूप, पर्यटकों से आच्छादित राहें बता रही हैं कि साल का यह नजारा होटल व्यवसायियों को सहारा दे रहा है। क्रिसमस को त्योहार तथा पर्यट

केंद्रीय खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ की ‘दबदबे’ वाली टीम को निलंबित कर दिया। मान्यता छीन ली गई। कुश्ती के नेपथ्य से जो दबदबा झांक रहा था, उसे भी हवा कर दिया गया। बहुत देर से फैसला लिया गया, लेकिन वह सटीक और न्यायिक कहा जा सकता है। कमोबेश वे पहलवान देश के सामने रोते हुए, प्रताडि़त और आक्रोशित नहीं दिखने चाहिए, जिन्होंने ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक जीते थे। वे आज भी देश की आन, बान, शान हैं। उन्होंने खेल के मैदान पर ‘तिरंगे’ का सम्मान कमाया और जिया है। समझ नहीं आता कि एक तरफ खिलाड़ी ‘राष्ट्रदूत’ हैं और दूसरी तरफ उनके साथ यौन-व्यभिचार की कोशिशें की जाती रही हैं। देश की सत्ता ने यह नौबत ही क्यों आने

तपोवन महज एक परिसर नहीं, हिमाचल को सियासी रूप से साधने की परिकल्पना है। साल के इंतजार में शीतकालीन सत्र के आलोक और राज्य की अभिव्यक्ति को परिभाषित करतीं तमाम दिशाओं ने अपना संगम स्थल यहां खोजा है। बेशक शिमला में विधानसभा का एक स्थायी चरित्र मौजूद है और वहां राजधानी होने का गुरूर भी, लेकिन तपोवन में आकर प्रदेश अपने सुर ऊंचे करता है। आंदोलन- आंदोलित होकर प्रदेश बहुत कुछ ऐसा भी यहां कहता है, जो शिमला में संभव नहीं। दरअसल सरकार के आईने यहां साफ हो जाते हैं, वरना हुकूमत का नशा शिमला है। इसी नशे के निवारण को लेकर राजनीतिक प्रयोग हुए, ताकि चुनावों की वकालत में सारा हिमाचल लिखा जा सके। दुर्भाग्यवश या विडंबना यह रही

इस सत्र की याद में कई चिराग जलते रहेंगे, तेरे हाथ की मशाल में इतनी तो रोशनी रही। तपोवन विधानसभा का शीतकालीन सत्र तपा जरूर, लेकिन इसके भीतर और बाहर के मजमून स्वतंत्र रहे और समय का बंटवारा भी निभाता रहा अपना दायित्व। दायित्व विपक्ष का अपने जुनून के किरदार में कई अक्स और कई पक्ष लिए, सरकार को घेरता और मुद्दों को पेलता रहा, लेकिन पहली बार एक छोटे से सत्र ने काम किया। जनापेक्षाओं के साथ, गारंटियों के हा

वर्ष 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर, अयोध्या के राम मंदिर पर, भाजपा ही नहीं, बल्कि आरएसएस और विहिप ने भी एक ‘मास्टर प्लान’ तैयार किया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा का लक्ष्य 51 फीसदी वोट हासिल करने का है, ताकि लगातार तीसरी बार सत्ता मिल सके। इस संदर्भ में अयोध्या का निर्माणाधीन राम मंदिर एक बड़ा चुनावी मुद्दा साबित हो सकता है। इस ‘मास्टर प्लान’ पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ अलग से विमर्श किया है। प्रधानमंत्री मोदी 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का उद्घाटन करेंगे और भाजपा कार्यकर्ता गांव-गांव, घर-घर जाकर उस पावन कार्यक्रम का सीधा प्रसारण जन-जन के लिए जीवंत करेंगे। यह अभियान 1 जन