संपादकीय

यह क्षण, हिमाचल में रेलवे की हिस्सेदारी का सबब बनकर आया है, ऊना तक पहुंची चौड़ी पटरियों ने अंततः भारत दर्शन का एक छोर हिमाचल से जोड़कर यह साबित कर दिया कि रेलवे विस्तार की अहमियत क्या है। चंडीगढ़ से आगे निकलकर भारत दर्शन की पताका अगर ऊना रेलवे स्टेशन पर फहरा रही है, तो

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी या सवाल नहीं। अलबत्ता कुछ जिज्ञासाएं और सामान्य सवाल जरूर हैं। शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई साक्ष्य पाया होगा या कानूनी प्रकिया में ऐसा जरूरी समझा होगा, जिसके आधार पर आपराधिक साजिश के पहलू पर न्यायिक सुनवाई करने का फैसला दिया गया है। पहला सवाल तो यह है

बैंकों के जरिए देश के औसत आदमी के करीब 9000 करोड़ रुपए डकारने वाले उद्योगपति विजय माल्या लंदन में हिरासत में लिए गए, लेकिन तीन घंटे में ही अदालत से जमानत भी मिल गई। माल्या मोदी सरकार के कार्यकाल में ही ‘भगोड़े’ की तरह देश छोड़ कर गए और अब प्रधानमंत्री मोदी की ही मुट्ठी

दर्द से चीखते मंजर ने न जाने कितनी अर्थियां एक साथ अपने कंधे पर उठा लीं और सड़क दुर्घटना का पुनः एक विकराल चेहरा हिमाचल के आंचल में सिमट गया। मातम में डूबी हिमाचल की पहाडि़यां और कलंकित हुई वह राह, जिस पर यह प्रदेश पर्यटक को बुलाता है। यहां कोई फरियादी नहीं, बल्कि जिंदगी

मेले और मंच की हिमाचली पहचान का दस्तूर यह कि ऐसे वार्षिक आयोजनों की केवल रौनक हमारी होती है, जबकि  माली लूटने का सबब हमारी जेब खाली कर जाता है। सांस्कृतिक समारोहों में कलाकार और मेले की कुश्ती में पहलवान हमेशा हिमाचल के बाहर से आते हैं। हिमाचली अखाड़े की मिट्टी जो शोहरत उगाती है,

बीते कुछ दिनों से मुस्लिम औरतों में तीन तलाक के मुद्दे पर लगातार बहस जारी है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर मुस्लिम महिलाएं खासकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ हैं, क्योंकि वे उम्मीदजदां हैं कि आखिर यही प्रधानमंत्री इस मुद्दे को निर्णायक स्थिति तक ले जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार

वाराणसी में तीन रोड शो…दिल्ली में कुछ दूर पैदल चलकर, एक रोड शो की शक्ल में, भाजपा मुख्यालय 11, अशोक रोड तक जाने वाले प्रधानमंत्री…अब पहले ओडिशा और बाद में गुजरात के सूरत शहर में 11 किलोमीटर लंबा, ऐतिहासिक रोड शो…! सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी को लगातार रोड शो की

जीवन को समझने और सफल बनाने की दरगाह जिस तरह राजनीति बनती जा रही है, वहां इस खुशफहमी को बरकरार रखने की कसरतें भी जारी हैं। हिमाचल में आगामी चुनाव भले ही कुछ कदम दूर है, लेकिन अपना मुकाम बनाने की कोशिशें सरकार के अंतिम वर्ष को तिनका बना चुकी हैं। गौर से देखें तो

सेना की एक जीप से बांधा गया एक पत्थरबाज…! कश्मीर के बड़गाम इलाके का यह वीडियो सच है या संपादित, हमारा सरोकार यह नहीं है। सरोकार यह है कि उस बंधे पत्थरबाज पर भी पत्थरों की ही बौछार की जानी चाहिए थी। उसे लहूलुहान होने देना चाहिए था। उसे पीड़ा और दर्द से चीखते देना