संपादकीय

बीते कुछ दिनों से मुस्लिम औरतों में तीन तलाक के मुद्दे पर लगातार बहस जारी है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर मुस्लिम महिलाएं खासकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ हैं, क्योंकि वे उम्मीदजदां हैं कि आखिर यही प्रधानमंत्री इस मुद्दे को निर्णायक स्थिति तक ले जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार

वाराणसी में तीन रोड शो…दिल्ली में कुछ दूर पैदल चलकर, एक रोड शो की शक्ल में, भाजपा मुख्यालय 11, अशोक रोड तक जाने वाले प्रधानमंत्री…अब पहले ओडिशा और बाद में गुजरात के सूरत शहर में 11 किलोमीटर लंबा, ऐतिहासिक रोड शो…! सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी को लगातार रोड शो की

जीवन को समझने और सफल बनाने की दरगाह जिस तरह राजनीति बनती जा रही है, वहां इस खुशफहमी को बरकरार रखने की कसरतें भी जारी हैं। हिमाचल में आगामी चुनाव भले ही कुछ कदम दूर है, लेकिन अपना मुकाम बनाने की कोशिशें सरकार के अंतिम वर्ष को तिनका बना चुकी हैं। गौर से देखें तो

सेना की एक जीप से बांधा गया एक पत्थरबाज…! कश्मीर के बड़गाम इलाके का यह वीडियो सच है या संपादित, हमारा सरोकार यह नहीं है। सरोकार यह है कि उस बंधे पत्थरबाज पर भी पत्थरों की ही बौछार की जानी चाहिए थी। उसे लहूलुहान होने देना चाहिए था। उसे पीड़ा और दर्द से चीखते देना

आखिर शराब पानी बनकर तो बिकती नहीं, और इसलिए हिमाचल में भी बिकी खून बनकर। यकीन न हो तो उस विरोध को खंगाल लें जिसे गांव-कस्बे की औरतें अपने कंधों पर उठाकर चल रही हैं। मांग सिर्फ इतनी है कि उनकी बस्ती में ही शराब का ठेका क्यों? आधी आबादी का यह शोर मात्र नहीं,

सरकारी तजुर्बे का सारांश तो बताएगा कि यह दिन यानी हिमाचल दिवस, प्रदेश के अस्तित्व की चुनौतियों को दूर करने की इबादत सरीखा है। यह हुआ भी और इस तरह का मूल्यांकन आवश्यक है, फिर भी राज्य की तस्वीर को हम ऐसी प्रशंसा के फ्रेम में टांग कर मुकम्मल नहीं मान सकते। हिमाचली अस्तित्व की

भोरंज की जीत-हार से हिमाचल विधानसभा के समीकरण तो यथावत हैं, लेकिन भाजपा का तेज अवश्य ही मुखर होगा। शायद भाजपा की जीत का श्रेय न बंटे, लेकिन कांग्रेस के भीतर झांकने का सबब बनकर पड़ताल होनी चाहिए। खास तौर पर हार का ठीकरा फोड़ा जाएगा, तो एक साथ कई गर्दनें चाहिएं। अगर भोरंज उपचुनाव

शर्मनाक है कि भारत में आज भी ऐसे इमाम हैं, जो देश के चुने हुए प्रधानमंत्री के खिलाफ 25 लाख रुपए का फतवा जारी करते हैं और एक टीवी चैनल पर लाइव बहस के दौरान भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला को ‘बहन की गाली’ देकर चले जाते हैं। हमें गाली को स्पष्ट करना पड़ा, क्योंकि हम

पाकिस्तान में भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर संसद के दोनों सदन गरम और आक्रोशित रहे। संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को यहां तक बयान देना पड़ा कि भारत के बेटे को बचाने के लिए ‘आउट ऑफ दि वे’ काम भी करेंगे। ‘आउट ऑफ दि वे’ पाकिस्तान के लिए साफ धमकी है और