विचार

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) क्लेश कर कुल में, क्यों कुनबे को तोड़ा, मक्खी समझ निकाला अमरू, कहीं का न छोड़ा। बापू ने खुद कसी साइकिल, पुर्जा-पुर्जा जोड़ा, श्रवण कलियुगी ने घमंड में, पुर्जा-पुर्जा तोड़ा। हाथ मिलाया राहु से, दौड़ा सपने में घोड़ा। रामू खासमखास बना, शिब्बू का हाथ मरोड़ा, लल्लू-पंजू सगे बन

( रूप सिंह नेगी, सोलन ) उत्तर प्रदेश में भाजपा की अद्भुत व अविश्वानीय ऐतिहासिक जीत के पीछे क्या राज हो सकता है, यह कहना मुश्किल है, लेकिन कुछ नेताओं ने ईवीएम मशीनों में कथित तौर से गड़बड़ी होने की शिकायत की है। हो सकता है कि हार को न पचा पाने के कारण हताशा

( अमित पडियार (ई-मेल के मार्फत) ) भारत के सीमा क्षेत्रों में रक्षा के संबंधित मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यह बात महालेखा परीक्षकों की रिपोर्ट में कही गई है। सीमा क्षेत्र की सुविधाओं को लेकर सुस्त रहना बड़ी लापरवाही मानी जाएगी। दुश्मन को हानि पहुंचाने के लिए हल्का सा मौका देना भी बड़ी चूक

कुलदीप नैयर ( कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ) माओवादियों को वैचारिक धरातल पर अपने लिए संघर्ष करना होगा। भाजपा को समझाना चाहिए कि उनके हिंदूवादी दर्शन, वामपंथियों के समतावादी दर्शन से ज्यादा समृद्धि कैसे ला सकता है। ठीक इसी तरह से वामपंथियों को भी स्पष्ट करना चाहिए कि उनके दर्शन से जनता किस

( पिंकी रमौल लेखिका, पांवटा साहिब, सिरमौर से हैं ) सरकार को व्यय की संरचना एवं प्राथमिकताओं में आवश्यक परिवर्तन करना होगा। हिमाचल प्रदेश का 2017-18 का बजट प्रदेश के वित्तीय इतिहास में एक बेहतरीन एवं यादगार बजट बन सकता है, यदि इसके सफल क्रियान्वयन की ओर प्रदेश सरकार द्वारा उचित ध्यान दिया जाएगा… माननीय

जनादेश 2017 प्रधानमंत्री मोदी पर जनमत नहीं है, लेकिन यह ‘मोदी नाम केवल’ का ही जनादेश है। बेशक भाजपा के असंख्य नेताओं और कार्यकर्ताओं की भी अनथक मेहनत थी, लेकिन प्रेरणास्रोत सिर्फ मोदी ही थे। उन्होंने ही जनता का मानस बदला, भाजपा की ओर आकर्षित किया और उन्होंने ही भरोसा जगाया। लिहाजा यह जनादेश पौने

हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र की विजयी मुद्रा में सत्ता और विपक्ष की सफलता व विरासत के बीच अंतर मापना कठिन है।  वीरभद्र सिंह सरकार ने बजटीय पूर्णाहुति में जिस तरह के मंत्र फूंके हैं, उससे आगामी बहस के तंत्र बदलेंगे। यह इसलिए भी कि देश का चुनावी  परिदृश्य हिमाचल विधानसभा में बतौर विपक्ष बैठी

( जयेश राणे, मुंबई, महाराष्ट्र ) छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गए हैं। नोटबंदी के बाद नक्सलियों की आक्रामकता कम हो गई थी। उनके पास जो बड़े नोट थे, वे किसी काम के नहीं रहे थे। यह अच्छी तरह समझने के बाद कुछ ने आत्मसमर्पण भी किया था,

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) रंगों से अंगना सतरंगी, सुंदर सजी रंगोली, रंगों का है महापर्व यह, आओ खेलें होली। नजर मिलाती, आंख चुराती, भीगी चुनरी चोली, झुकी शर्म से पलकें, कनखी से क्या बोली। मस्त निगाहें घायल करतीं, अनुपम चली ठिठोली, नयन शराबी गाल गुलाबी, मिसरी जैसी घोली। मस्त हो रहे हैं