विचार

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) कर्मनिष्ठ की कमर झुक गई, गुंडा मंत्री भारी है, बाहुबली हैं आगे-पीछे, मर्सिडीज सरकारी है। उम्रकैद में सड़ता सच्चा, झूठा पलड़ा भारी है, लूट रहे हैं भरे खजाने, ऊपर हिस्सेदारी है। काले को सफेद करते हैं, कहते हैं लाचारी है, हिचकोले खाती थी नैया, चांदी ने ही तारी

( लक्ष्मी चंद, कसौली, सोलन ) हाल ही में ज्ञात हुआ है कि हिमाचल सरकार जमा दो शिक्षा स्तर पर लोक प्रशासन तथा मनोविज्ञान विषयों को समाप्त कर रही है।  यह फैसला किसी भी कोण से तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। सरकार को ध्यान देना चाहिए कि इन दोनों ही विषयों का इनसान को ज्ञान

( डा. शिल्पा जैन सुराना, वंरगल, तेलंगाना ) इसे संवेदनहीनता की पराकाष्ठा ही कहेंगे कि एक 18 वर्षीय युवक सड़क दुर्घटना में घायल, दर्द से कराहता, मदद की गुहार लगाता रहा और लोग उसका वीडियो बनाते, फोटो खींचते मूकदर्शक बने रहे। ये वही लोग हैं जो सोशल मीडिया पर यह वीडियो और फोटो डालेंगे, सरकार

( कर्म सिंह ठाकुर लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं ) हिमाचल भारत में छोटे राज्यों की श्रेणी में आता है। शायद इसी कारण केंद्र के बजट में इस पहाड़ी राज्य को कोई बड़ा स्थान नहीं मिल पाता। ऐतिहासिक दृष्टि से हिमाचल कभी भी केंद्रीय बजट का आकर्षण नहीं बना है। इस वर्ष कौन सी नई

विकास के प्रति विधायकों का विजन उस प्राथमिकता से निर्धारित होता है, जिसे बजट की रूपरेखा में तय करते हैं। हालांकि शिमला में बैठकों के दौरान विधायकों का मूड राजनीतिक अंकगणित के हिसाब से भी पढ़ा गया, फिर भी इस बहाने विधानसभा क्षेत्रों की जनता अपने प्रतिनिधियों की सोच का मूल्यांकन कर सकती है। विकास

( किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) हमें यह लिखते बड़ा दुख होता है कि हमारे प्रदेश में पथ परिवहन निगम अक्षरशः उन नियमों का पालन नहीं कर पाता, जो कि सरकार द्वारा जनता की भलाई के लिए बनाए गए हैं। सरकार की पूरी कोशिश के बाद भी आदेशों का सफल क्रियान्वयन नहीं हो पाता।

आज चुनाव और बजट से अलग उस मुद्दे का विश्लेषण करेंगे, जो आतंकवाद और हमारी हिफाजत से जुड़ा है। बीते दिनों अचानक खबर आई कि लश्कर-ए-तोएबा और जमात-उद-दावा सरीखे आतंकी गुटों के संस्थापक सरगना हाफिज सईद को लाहौर में एक मस्जिद में नजरबंद किया गया है। तुरंत व्याख्याएं शुरू हो गईं कि अमरीकी राष्ट्रपति टं्रप

प्रो. एनके सिंह ( लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं ) कई समीक्षक सवाल करते हैं कि क्या इस तरह से ट्रंप सफल हो पाएंगे, लेकिन अब वह सत्ता में हैं और वही करेंगे जो उन्होंने कहा था। ट्रंपवाद के उदय से समूचा वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है। यह तो आने वाला

यूपीए सरकार के दौरान जब बसपा प्रमुख मायावती के दिल्ली आवास पर आयकर वालों ने छापा मारा था, तो कुछ लोग वहां मौजूद थे, जो 20,000 रुपए से कम राशि की पर्चियां काट रहे थे। चंदा देने वालों के नाम और राशि सब कुछ फर्जी थे। उसके बाद मायावती और उनके साथी नेताओं ने दलीलें