विचार

( चिर आंनद, नाहन, सिरमौर ) ‘कश्मीरियत को मिलती अभिनव पहचान’ शीर्षक से प्रकाशित डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी का लेख न केवल कश्मीरियों, बल्कि संपूर्ण भारत के लोगों की आंखे खोलने वाला है। लेखक ने बड़ी बारीकी से विश्लेषण किया है कि किस तरह से गिलानी-खुसरानी आदि बाहरी लोग घाटी के लोगों में भ्रम

( डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर (ई-पेपर के मार्फत) ) केंद्र सरकार ने किसानों को नोटबंदी के बाद कुछ राहत देते हुए बैंकों से लिए गए कृषि कर्ज के दो माह की ब्याज राशि माफ कर दी है। हालांकि सरकार की इस घोषणा के राजनीतिक मायने भी लगाए जा रहे हैं और यह भी कहा

डा. अश्विनी महाजन लेखक, दिल्ली विश्वविद्यालय के  पीजीडीएवी कालेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं गत वर्ष का बजट लगभग 20 लाख करोड़ रुपए का था। विमुद्रीकरण के बाद सफेद अर्थव्यवस्था को मिल रहे प्रोत्साहन के बाद कहा जा रहा है कि सरकारी राजस्व में खासी वृद्धि होगी। हालांकि चालू वर्ष में विमुद्रीकरण के कारण छोटे-बड़े उद्योगों

कर्म सिंह ठाकुर लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं एक तरफ जहां किसान को कभी सही बीज न मिल पाता, वहीं मेहनत के दम पर किसान जो फसल तैयार करता है, बंदर उसे भी उजाड़ देते हैं। अंततः खामियाजा उस किसान को भुगतना पड़ता है, जो कि तीन-चार महीनों तक कड़कड़ाती ठंड में दिन-रात एक करके

भीगते मौसम में भागती जिंदगी का रिश्ता अगर हिमाचल की हकीकत है, तो बारिश के बीच सलामी लेते मंत्रियों की दिलेरी का चित्रण क्या साबित करता है। अपनी छवि के परिमार्जन में हिमाचली नेताओं का सोशल मीडिया में इस तरह का जिक्र फौजी पृष्ठभूमि के राज्य की गरिमा के विरुद्ध ही माना जाएगा। राष्ट्रीय पर्व

संसद का बजट सत्र 30 जनवरी से शुरू हो रहा है। पहले दिन आर्थिक समीक्षा को पेश करने के बाद पहली फरवरी को बजट प्रस्ताव सार्वजनिक किए जाएंगे। 2017-18 का बजट कैसा होगा, फोकस क्या रहेगा, लोकलुभावन घोषणाएं होंगी या नहीं, देश का वित्तीय घाटा कितना होगा, इन तमाम पहलुओं का सच बजट पेश करने

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर) अति निर्धन, अति दीन हैं, फटी हुई है जेब, रोटी त्यागी, खा रहे, काजू-किशमिश, सेब। हाथी टिकटें बांटता, मांगे पांच करोड़, लेनी है तो बात कर, क्यों पड़ रही मरोड़। सर्दी से नस-नस जमी, गर्मी सा एहसास, टर्र-टर्र करने लगे मेंढक, कुछ तो है खास। गर्मी नेता को चढ़ी, हाड़

(अर्पित ठाकुर, बिझड़ी, हमीरपुर) गणतंत्र दिवस की परेड में दुनिया को अपनी बढ़ती ताकत का परिचय देने के पश्चात अमरीकी विदेश नीति से जुड़ी एक पत्रिका ने भारत के वैश्विक समुदाय में बढ़ते प्रभाव की तसदीक की है। ‘दि अमेरिकन इंटरेस्ट’ नाम की इस पत्रिका ने उल्लेख किया है कि अर्थव्यवस्था में भारत की एक

‘कुमारसंभव’ में कालिदास ने अपने आराध्य शिव को ही हास्य का आलंबन बनाया है। ब्रह्मचारी बटु शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या करने वाली पार्वती का मजाक उड़ाते हुए कहता है-हे पार्वती! जरा सोचो तो कि गजराज पर बैठने योग्य तुम जब भोले बाबा के साथ बूढ़े बैल की सवारी करोगी तो