वैचारिक लेख

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com ‘भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में इश्क की एक हकीकत नहीं, कुछ और भी है।’ अपने चाक दामन और दागदार उजाले में जिस शायर ने हमें यह सुनाया, बेशक वह साहिर लुधियानवी नहीं थे। आजकल मुर्दा इश्क की छांव में कोई उजाला दाग़दार नहीं होता। बल्कि अब तो लगता

यकीनन इस समय बच्चों को अतिरिक्त पढ़ाई करने की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप एक स्टडी प्लान बनाएं। मसलन, बच्चा पूरे दिन में कितनी देर पढ़ाई करेगा और उसे कितनी देर का ब्रेक लेना है। एक बार में वह कितने पार्ट को कवर करेगा, इन सबकी प्लानिंग पहले ही कर

जब तक देश में सामाजिक भेदभाव समाप्त नहीं हो जाता, इस वर्ग को आरक्षण की सुविधा मिलती रहेगी। देश में न्याय, सौहार्द, समानता कायम कर ही डा. भीमराव अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है… मनुष्य के जीवन की हर चुनौती वह चाहे सामाजिक, सांस्कृतिक या फिर आर्थिक क्षेत्र हो, का सामने करने में

हम जब कभी भी, चाहे वह राजनीतिक चिंतक हो या सामाजिक कार्यकर्ता, बाबा साहेब अंबेडकर के बारे में सोचते हैं तो उन्हें हम अधिकांशतः एक दलित नेता के रूप में ही दर्शाते हैं। परंतु डा. अंबेडकर को मात्र दलित नेता कहना उनकी विद्वता व उनके द्वारा किए गए सामाजिक तथा आर्थिक तंत्र में कार्यों को

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com वैसे उसने अपने इन व्रतों के लिए महीना पहले ही चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया था। महीना पहले ही उसने अपनी व्रतधारी सहेलियों से व्रत में व्रत के लिए उपभोग हेतु बाजार में क्या क्या नया आया है, उनसे यह पूछ इसकी लिस्ट बनानी, बतानी शुरू कर दी थी, घर के सारे

अतः कम ही सही, लेकिन श्रमिक को कुछ रोजगार मिलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि श्रम की उत्पादकता को  बढ़ाया जाए। श्रम की उत्पादकता बढ़ाने के दो प्रमुख उपाय हैं। एक यह कि उत्तम मशीनों का उपयोग किया जाए जिससे कि उसी कुशलता के स्तर का श्रमिक अधिक उत्पादन कर सके। दूसरा यह है

देश की आज़ादी व स्वाभिमान के लिए बलिदान देकर शौर्यगाथाओं के मजमून लिखने वाले वीरभूमि के शूरवीरों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलनी चाहिए। साथ ही हिमाचल रेजिमेंट भी दी जाए… देश की आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को 30 पहाड़ी रियासतों के एकीकरण के साथ हिमाचल प्रदेश स्वतंत्र भारत की इकाई के रूप

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं दसियों बार तेल की कीमतें बढ़ने और दो बार दाम घटने के बाद जब तेल 10 पैसे सस्ता हुआ तो पंडित जॉन अली खुशी से फूले न समाए। महीनों से गैराज में बंद स्कूटर को उन्होंने धूप के दर्शन कराए। झाड़ने-पौंछने के बाद स्कूटर को स़फेद हाथी की तरह

अब देश में नई ई-कॉमर्स नीति तैयार करते समय सरकार का दायित्व है कि ई-कॉमर्स से देश की विकास आकांक्षाएं पूरी हों तथा बाजार भी विफलता और विसंगति से बचा रहे। नई ई-कॉमर्स नीति के तहत सरकार के द्वारा देश के बढ़ते हुए ई-कॉमर्स बाजार में उपभोक्ताओं के हितों और उत्पादों की गुणवत्ता संबंधी शिकायतों