वैचारिक लेख

इन विभिन्न बाधाओं के निराकरण से भारत में खिलौना उद्योग को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि सरकार देश को खिलौनों का वैश्विक हब बनाने और खिलौनों के वैश्विक बाजार में चीन को टक्कर देने की रणनीति को शीघ्र आकार देने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें

हमें जल व अन्य वातावरण को अपने पूर्वजों की देन नहीं समझना है, बल्कि इसे तो हमने अपनी आने वाली पीढ़ी से उधार स्वरूप लिया है, जिसे हमने जिस मात्रा व रूप में लिया है, उसे उसी रूप व मात्रा में दोबारा वापस करना है। ऐसी मानसिकता व धारणा के साथ जब सभी व्यक्ति जल

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक सुबह उठा ही था कि बाहर लोकतंत्र टहलता हुआ मिल गया। फटी हुई जींस पहने उसके घुटने दिखाई दे रहे थे। जींस ने घुटनों में छेद कर दिए थे, इसलिए घिसट रहा था। ताज्जुब हुआ भारतीय लोकतंत्र भी जींस में। कहां तो पहले धोती पहने चलता था। सिर पर गांधी टोपी

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक पिछले दिनों पांच राज्यों के चले चुनावों में नेताओं की ताबड़तोड़ रैलियां तथा हिमाचल के कांगड़ा जिला में मुख्यमंत्री जयराम जी का दौरा चर्चा का विषय बना रहा। दो दिन पहले मंडी के सांसद का संदिग्ध परिस्थितियों में निधन होना या आत्महत्या करना भी हर किसी की जुबान पर

प्रख्यात पर्यावरणविद जब विखंडित शिक्षण होता है तभी आर्थिक लोभ-लालच बढ़कर हिंसक रूप धारण करता है। अतिक्रमण, प्रदूषण, शोषण हमारी हिंसक शिक्षा की ही देन है। अतिक्रमण तो हमारी प्रबंधकीय शिक्षा की प्रमुख देन है। सभी प्रबंधकों को बाकायदा वही पढ़ाया जाता है। संवेदनशील विज्ञान ही हमें आज भी आगे बढ़ा सकता है। इसी रास्ते

डा. ओपी जोशी स्वतंत्र लेखक अंग्रेजी कैलेंडर का मार्च महीना एक ओर जहां वसंत ऋतु के आगमन का आभास देता है, तो वहीं दूसरी ओर पर्यावरण से जुड़े कई मुद्दों के दिवसों से भी भरपूर है। पर्यावरण से जुड़े वन्य-जीवन, वन, पेड़, जल, गौरेया, तितली एवं ऊर्जा बचत के दिवस इसी माह में आते हैं।

प्रत्यूष शर्मा लेखक हमीरपुर से हैं हम सब जैव वनस्पतियों का संरक्षण करें और अधिक से अधिक पेड़-पौधों की प्रजातियों को तैयार करें। युवाओं को वनों, जड़ी-बूटियों व हर्बल पौधों की पहचान व जानकारी प्रदान करें ताकि वे बहुमूल्य संपदा का संरक्षण करने को आगे आएं… सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन के रूप में वन आरंभ

उन्हें हिंदुस्तान का लोकतंत्र दिखाई नहीं देता। आंखों के चश्मे के कारण लोकतंत्र की प्रतिमा भी तानाशाही दिखाई देती है। विदेशी चश्मे और हिंदुस्तान पर दोबारा राज करने की इच्छा को किनारे रखकर यदि सोनिया परिवार देखने की कोशिश करेगा तो उसे स्पष्ट दिखाई देगा कि लोकतंत्र हिंदुस्तान का स्वभाव है… कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल

पिछले कुछ समय से यह देखने को मिल रहा है कि हिमाचल प्रदेश में कई वर्षों से युवा कंपीटीशन की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है। कहीं न कहीं इसके पीछे उनकी अध्ययन सामग्री व उनकी कार्य के प्रति लगन जिम्मेदार हो सकती है। यदि आप तन-मन-धन से अपनी