वैचारिक लेख

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com यह सही है कि कभी चाणक्य ने कहा था कि अप्रिय सत्य बोलने से मौन रहना बेहतर है। लेकिन आज यार लोग तो इससे कहीं आगे निकल गए। ईमानदार सत्य का दीवाला निकल गया और लुभावना झूठ बोलने वाला जि़ंदगी के मैदान में मंजि़ल दर मंजि़ल विजय प्राप्त करता चला गया। सबसे

प्रो. मनोज डोगरा लेखक हमीरपुर से हैं इन हमलों के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि पाकिस्तान के ये सरपरस्त आतंकी सैनिकों पर हमले करके इन जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं। ये आतंकी आए दिन कहीं न कहीं खून की होली खेलते रहते हैं। इन आतंकियों के पीछे और कोई

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com हे कोरोना! यत्र तत्र, सर्वत्र कहीं तू सत्यवान के साथ सावित्री बनकर बैठा है तो कहीं तू सावित्री बनकर सत्यवान के साथ ऐंठा है। कहीं तू प्रिय भाई बनकर बहन को परेशान किए है तो कहीं तू, प्यारी बहना बनकर भाई को क्वारंटाइन किए है। कहीं तू बहन के पास भाई के

डा. वाईके शर्मा पूर्व प्रिंसीपल, आयुर्वेद महामारी के चलते वृद्ध व्यक्तियों को अपने घर पर 1 से 2 माह की खाद्य सामग्री एवं अपनी आवश्यक औषधियों का संग्रह करना चाहिए। वयोवृद्ध व्यक्तियों की देखरेख के लिए परिवार का विशेष व्यक्ति सुनिश्चित होना चाहिए ताकि घर से बाहर निकलने वाले व्यक्ति उनके संपर्क में न आएं।

डा. वरिंदर भाटिया पूर्व कालेज प्रिंसीपल यूनेस्को के अनुसार आज 191 देशों में 25 करोड़ नौजवान उच्च शिक्षा से और लगभग 120 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा के पारंपरिक रूप से वंचित हो गए हैं। जाहिर है इस महामारी ने जितना नुकसान दुनिया की अर्थव्यवस्था, कारोबार, रोजगार, कृषि और आवागमन को पहुंचाया है, इससे कहीं ज्यादा

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक इसी प्रकार सरकार यदि बिजली पर लगाई गई एक्साइज ड्यूटी की भी वृद्धि कर दे तो बिजली की खपत कम होगी। हम देश के पर्यावरण को भी बचाएंगे क्योंकि ऊर्जा को बनाने में हम कार्बन का उत्सर्जन बहुत कर रहे हैं और अपनी नदियों को नष्ट कर रहे हैं। जो लोग

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान उस पर सस्ते उत्पादन के लिए एक ओर प्राकृतिक कच्चे मालों का मूल्यांकन अन्यायपूर्ण तरीके से कम आंका जाता है, दूसरी ओर सस्ते श्रम की खोज और श्रम की जरूरतों को घटाने की क्षमता के विकास के लिए ऑटोमेशन को प्रोत्साहित करके रोजगार के अवसरों को समाप्त करते जाने

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं पंडित जॉन अली यूं तो बेहद ईमानदार आदमी थे। सरकार की एक-एक पाई का ध्यान रखते थे। लेकिन उनकी हैसियत के हिसाब से सरकार उन्हें जो सुविधाएं देती, वह उसका भरपूर लाभ उठाने से ़कतई गुरेज़ नहीं करते। अपनी एॅन्टाइट्लमेंट के हिसाब से वह सरकार से मिलने वाले डी०ए०

नीलम सूद लेखिका पालमपुर से हैं अज्ञानता, अनपढ़ता, अंधविश्वास और धार्मिक कट्टरवाद ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है। भारतीय संविधान के दोहरे मापदंड जनसंख्या नियंत्रण के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोधक हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ और हिंदू लॉ की अलग-अलग धाराओं से स्थिति बेकाबू हो चुकी है। विगत वर्षों में जनसंख्या नियंत्रण