वैचारिक लेख

कंचन शर्मा लेखिका शिमला से हैं हमारे देश ही क्या पूरे विश्व में चिकित्सकों को भगवान का रूप माना गया है और कोरोना वायरस के इस विश्व युद्ध में आज हमारी सेना नहीं अपितु चिकित्सक लड़ रहे हैं। चिकित्सक अपने परिवार से दूर रहकर अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का

राजेंद्र मोहन शर्मा रिटायर्ड डीआईजी जनता चाहती है कि पुलिसमैन सिकंदर की तरह प्रशिक्षित हो, लिंकन की तरह कूटनीतिज्ञ हो, सोलोमन की तरह बुद्धिमान हो, सिंह की तरह सतर्क हो, उफनती नदी में छलांग लगाने वाला हो तथा अपराध होने पर फरिश्ते की तरह मौके पर पहुंचने वाला हो, चाहे भले ही उसका वेतन एक

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक भारत में कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। लाकडान को तीन मई तक बढ़ा दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस  से संक्रमितों की संख्या 13387 हो गई है और अब तक लगभग 437 लोगों

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार ग्राम पंचायतें सक्रिय थीं और भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा हो रही थी जहां एक महिला पंचायत प्रधान ने पहल की और पूरे गांव को साफ  कर दिया और सरकार के अधिकारी भी उसके साथ जुड़ गए। उस क्षेत्र में कोरोना का कोई मामला नहीं है। मैंने सोचा कि इसे

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक बीमार तो मैं भी हुआ था, वह भी घनघोर रूप से। सरकारी अस्पताल में दिखाया तो डाक्टर ने कमीशन के कैप्सूल दिए, जिससे मेरे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और हारकर मुझे एक प्राइवेट अस्पताल की शरण में जाना पड़ा। वहां का डाक्टर बहुत भला था, डेढ़ इंच मुस्कान उसके होंठों

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक मानव का सर्वांगीण विकास शिक्षा के बिना अधूरा है। शिक्षा की परिभाषा में साफ-साफ  लिखा है कि यहां शारीरिक व मानसिक दोनों तरह से बराबर विद्यार्थियों का विकास करना है जिससे वह आगे चलकर जीवन को सफलतापूर्वक खुशहाल जी सकें। शारीरिक विकास के लिए खेलों के माध्यम से फिटनेस कार्यक्रम

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार हमारा मुंह सोचता नहीं है, शब्द नहीं चुनता, वाक्य नहीं घड़ता, ये सारे काम मस्तिष्क के हैं। अर्थात, हम सुनते भी दिमाग से हैं और बोलते भी दिमाग से हैं, कान सिर्फ वातावरण से आवाजें पकड़ने का यंत्र है, यह ‘रिसीवर’ मात्र है, और मुंह सिर्फ  आवाज रिलीज करने का यंत्र

राकेश शर्मा लेखक, कांगड़ा से हैं इस समय में राष्ट्रभक्ति और देश सेवा करने का केवल एक ही तरीका है और वह है पुलिस और प्रशासन का भरपूर सहयोग। सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसले मानव जाति की रक्षा और कल्याण के लिए हैं, लेकिन कुछ लोग इस समय में भी बहुत ही घटिया मानसिकता

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com मत समझिए कि हम इस देश की तेजी से बढ़ती हुई आबादी को असंख्य बता उसकी तुलना इस देश के बेहिसाब चूहों से करने जा रहे हैं। वैसे तो इस देश के चूहों ने बढ़-चढ़ कर लोगों की चूहापंथी का मुकाबला करने का प्रयास किया है। भ्रष्ट नौकरशाही अगर अच्छे भले अनाजों