वैचारिक लेख

प्रो. सुरेश शर्मा लेखक, घुमारवीं से हैं जी हां ‘मोबाइलेरिया’। यह कोई चिकित्सकों द्वारा दिया गया नाम नहीं है और न ही यह चिकित्सीय शब्दकोश की शब्दावली में आता है। यह शब्द सामान्य विश्लेषण तथा अवलोकन से उत्पन्न हुई एक अभिव्यक्ति है, जिसे परिभाषित करना एवं समझना बहुत ही आवश्यक है। सेल्यूलर प्रौद्योगिकी द्वारा आविष्कृत

नरेंद्र चौधरी स्वतंत्र लेखक पिछले तीन दशक में 20,000 से अधिक लोग इसके प्रभाव से मारे गए हैं। इस फैक्टरी के आसपास का क्षेत्र व जलस्रोत प्रदूषित हैं और वहां के रहवासी आज भी भारी धातुओं, जैसे-आर्सेनिक, पारा, कैडमियम आदि से उत्पन्न प्रदूषण का खतरा झेल रहे हैं। हादसे में जीवित बचे लोग व उनके

कर्म सिंह लेखक, मंडी से हैं आज का युवा इतना अल्प संयमी हो गया है कि हल्की सी बात को भी समझने के लिए तैयार ही नहीं है। इसी परिप्रेक्ष्य में लाखों की संख्या में युवा हर वर्ष अपना समय बर्बाद करते हैं तथा उनके हाथ में निराशा के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होता

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com बडे़ दिनों से उस दोस्त आदमी से बातचीत नहीं हुई थी। कारण, एक दूसरे से सत्ता हथियाने के लिए गहरे लूटमारी मतभेदों के बीच उथली व्यावहारिक समानताएं तलाशते उनका न्यूनतम साझा कार्यक्रम उल्ट-पुल्ट रहा था। जब उनसे फुर्सत मिली तो उनको फोन किया,‘बधाई बंधु ! और प्याज कितना लाए अबके? जनता को

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक वित्तीय घाटे को नियंत्रण करने की नीति मूलतः भ्रष्ट सरकारों पर अंकुश लगाने के लिए बनाई गई थी। सत्तर के दशक में दक्षिण अमरीका के देशों के नेता अति भ्रष्ट थे। वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक से ऋण लेकर उस रकम को स्विस बैंक में अपने व्यक्तिगत खातों में

ओ.पी. शर्मा लेखक, शिमला से हैं यशपाल का जन्म 3 दिसंबर 1903 को फिरोजपुर, पंजाब में हुआ था, परंतु उनके माता-पिता के परिवार और उनके पूर्वजों की एक शाखा हिमाचल के हमीरपुर क्षेत्र के भूंपल गांव के वासी थे। उनके दादा गरडू राम विभिन्न स्थानों पर व्यापार करते तथा भोरंज तहसील में  टिक्कर के खेतिहर

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं पंडित जॉन अली अपने पुत्र को पूरे जोश-ओ-खरोश से महाराष्ट्र प्रहसन की मिसाल देकर प्रबंधन का पाठ पढ़ा रहे थे। उत्सुकता में, मैं भी उनकी खिड़की के पास कान लगा कर खड़ा हो गया। गीता के कर्म और फल सिद्धांत को उद्धृत करते हुए पंडित जी बोले, ‘महत्त्वकांक्षा तो

प्रवीण शर्मा पालमपुर कितनी गुडि़यां इस देश के अंधे कानून की आड़ में हैवानियत का शिकार होंगी। भारतीय कानून में अब कानून की देवी की आंखों से पट्टी खोलने का वक्त आ गया। आज हैवानियत का शिकार हो रही बेटियां क्रांतिकारियों व देवी-देवताओं के इस देश में सुरक्षित नहीं हैं। लक्ष्मी पूजन, दुर्गा पूजन, सरस्वती

कंचन शर्मा लेखिका, शिमला से हैं आज भारत उस मुकाम पर पहुंच चुका है जहां तीन तलाक से मुक्ति मिल चुकी है, कश्मीर में धारा 370 से मुक्ति मिल चुकी है, अयोध्या जैसी समस्या का समाधान किया जा चुका है, समान आचार संहिता लागू करने की बात की जा रही है, हम टेक्नोलॉजी की ऊंचाइयों