वैचारिक लेख

चुनाव परिणाम आने के बाद ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, लालू यादव, स्टालिन, अखिलेश यादव इत्यादि सभी ने इस बैठक में आने से इंकार कर दिया तो कांग्रेस को अपनी इंडी की यह बैठक ही स्थगित करनी पड़ी...

क्या सरकार अन्य विभागों में नौकरी लगे पूर्व खिलाडिय़ों व प्रशिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाकर या उन्हीं के विभाग में उन्हें खेल प्रबंधन व प्रशिक्षण देने का अधिकार देकर हिमाचल प्रदेश की करोड़ों रुपए से बनी इन खेल सुविधाओं का सदुपयोग कर राज्य में खेलों को गति नहीं दे सकती है? अभी भी समय है कि सरकार इन खेल मैदानों का रखरखाव ठीक ढंग से करवाए...

मैंने पचास पुस्तकें पता नहीं किस नशे में लिख लीं। लेकिन पुरस्कार के नाम पर स्थानीय नगरपालिका ने मुझे गणतंत्र दिवस पर माला पहनाकर सम्मानित किया है। नकद राशि वाला मुझे एक भी पुरस्कार नहीं मिला है। मैं आजकल बस यही सोचता हूं कि कोई बड़ा पुरस्कार कैसे मारा जा सकता है। किताबें हैं और साहित्य में समग्र रूप से योगदान भी है, लेकिन कोई सरकार या संस्था मुझे कोई पुरस्कार नहीं दे रही। मैंने किताबें लिखने में अपने जीवन के साठ वसंत पूरे कर लिए हैं। विचार करता हूं तो पाता हूं कि मुझे केवल किताब लिखकर ही तसल्ली नहीं करनी चाहिए, अपितु भागा-दौड़ी भी करनी चाहिए। मुझ से जूनियर तीन-तीन किताबें लिखकर कई पुरस्कार बटोर चुके हैं। समझ में तो आने लगा

जिस प्रकार आज धड़ल्ले से फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर अश्लीलता परोसी जा रही है, वह भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और भारत सरकार को निश्चित रूप से ऐसी साइट्स को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक कर सख्त कानूनी प्रावधानों को समाज हित में लागू करना चाहिए...

ऐसे में बढ़ती आबादी का बड़ा हिस्सा बेरोजगार, अर्धशिक्षित अथवा अशिक्षित तथा साधनहीन होगा। इस स्थिति को न बदला गया तो बढ़ती आबादी सचमुच अभिशाप बन जाएगी। स्थिति को बदलने के लिए सबसे पहले कस्बों और गांवों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के तेज विकास के लिए काम करना होगा, उनके लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवानी होंगी तथा उन्हें रोजगारपरक उद्यमिता की शिक्षा देनी होगी। कंज्यूमर गुड्स कंपनियों को आज ग्रामीण

आजकल इस देश की धरा वीरों से वंचित हो गई लगती है। लेकिन आजकल कुछ नए वीरों का पैदा हो जाना एक ऐसे बदलाव की ओर इशारा कर रहा है, कि जिसके कारण यह ऊर्जाहीन होती धरा सनसनीखेज खबरों से भर जाती है। गोदी मीडिया को पुचकार मिलती है। पहले वीरता के अभाव ने पूरे देश में अवसाद और बेचारगी को जन्म दे दिया था। अब लोग मास्क, नकाब पहनने की बात बहुत पीछे छोड़ आए हैं। वायरस के भय से कमरों में बंद होकर जीने की मजबूरी खत्म हुई। फिर भी बेकारी बढ़ रही है, महंगाई ने बंटाधार करना शुरू कर दिया। एक समय लगा था महामारी की विदाई बेला

यदि आप अकेलापन महसूस कर रहे हैं तो ऐसे में सेल्फकेयर आपका सबसे अच्छा दोस्त बन सकता है। खुद को अपनी देखभाल में व्यस्त रखें, हेल्दी डाइट लें, नियमित एक्सरसाइज करें, स्किन केयर, हेयर केयर और अपनी अन्य पसंदीदा गतिविधियों में भाग लें। ये सभी गतिविधियां आपको व्यस्त रखते हुए बेहतर महसूस करने में मदद करेंगी। इसके साथ ही ये सभी गतिविधियां मानसिक स्वास्थ्य से लेकर शारीरिक एवं त्वचा स्वास्थ्य के लिए भी कमाल की हो

जिले के उच्च पदस्थ सेवानिवृत्त व सेवारत अधिकारीगण, कार्मिक तथा सामान्य जन इस गांव के लोगों के साथ मानसिक व भावात्मक रूप से जुडक़र, उनका हौसला बढ़ा रहे हैं। गांव के लोगों को आशा है, प्राकृतिक आपदा से उत्पन्न इन दुश्वारियों से निजात पाने की उनकी उम्मीदें शीघ्र ही विश्वास में बदल जाएंगी। बहरहाल, सभी यही मानकर अपने आपको तसल्ली दे रहे हैं। समय-समय पर प्रिंट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया लिंडूर गांव की स्थिति के बारे

मैं साहित्यकारों में अभी तक इतना आदरणीय नहीं हुआ हूं कि मुझे किसी जयंती वाले के कार्यक्रम में सादर बुलाया जाए। इसलिए अबके भी मैं उनकी जयंती वाले कार्यक्रम में जोड़ तोड़ का आमंत्रित था। वैसे जोड़ तोड़ वालों के वैसे वैसे काम मजे से हो जाते हैं जैसे आदरणीय से आदरणीय के भी नहीं होते। उस वक्त पता नहीं ये मेरा दुर्भाग्य था या कि जयंती वाले का सौभाग्य कि वे गलती से मेरे साथ वाली खाली कुर्सी पर आ विराजे सबसे पीछे वाली रो में। वैसे जो वे जयंती वाले थे तो कायदे से उन्हें