वैचारिक लेख

पीके खुराना वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार मैं जब सवेरे सैर के लिए निकलता हूं तो सैर करते हुए युवाओं को देखकर मन खुशी से भर जाता है लेकिन उनमें से बहुत से ऐसे हैं जो लंबे समय से सैर कर रहे हैं पर स्वस्थ नहीं हैं। खुद मैं भी अज्ञानता का शिकार रहा और अब कुछ-कुछ

टी.सी. सावन लेखक, शिक्षाविद हैं सभ्य समाज के निर्माण में एक अध्यापक अपने जीवन का संपूर्ण हिस्सा अर्पित करता है और जीवन भर नपी-तुली जिंदगी जीता हुआ इस समाज के लिए बड़े-बड़े डाक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, चिंतक, नेता, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक पैदा करता है। उस महान विभूति को सादर नमन है जो करुणा, सहनशीलता और

सुरेश सेठ साहित्यकार वह विजय गर्व से मदमा रहे थे। जयघोष करने वालों का अपार जनसमूह उमड़ आया था। वह इन्हें अभयदान देते हुए मंद-मंद मुस्करा रहे थे। यह अभयदान इस देश का वह स्वर्णिम युग लौटा लाने के उनके उस वचन में छिपा था, कि जब इस देश की डाल-डाल पर सोने की चिडि़या

कुमार प्रशांत स्वतंत्र लेखक कहानी इतनी ही थी कि कोलकाता में किसी डाक्टर की, किसी मरीज के परिजन ने पिटाई कर दी। बस,‘डॉक्टरोसेफलाइटिस’ पैदा हुआ और देखते-देखते देश भर के डाक्टर इसकी चपेट में आ गए। डाक्टर की पिटाई बहुत बुरी बात है। पिटाई के कारणों में गए बिना भी कहा जा सकता है कि

सुरेश शर्मा लेखक, कांगड़ा से हैं प्रशंसा, पुरस्कार या शाबाशी पाने की इच्छा करना व्यक्ति का स्वाभाविक गुण है। पुरस्कार वह होता है, जो किसी व्यक्ति को उसकी उपलब्धियों के आधार पर हजारों श्रेष्ठ व्यक्तियों में से चयन कर प्रदान किया जाए… कर्म करो तथा फल की इच्छा मत रखो। श्रीमद भगवत गीता में कहे

अशोक गौतम साहित्यकार (पुरस्कृत बंधुओं को बधाई के बाद क्षमा याचना सहित) अबके जब उन्होंने पुरस्कार हेतु पेपर मंगवाए थे तो मुझ जैसे नासमझ ने उन्हें बहुत समझाया था, ‘मास्साब! दो-चार महीने ये पढ़ाना-बढ़ाना छोड़ सच झूठ के इधर-उधर से अपनी बहुआयामी कार्यकुशलता के कागज इकट्ठा करो तो पुरस्कार की बात बने,’ पर मेरे समझाने

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   वर्तमान समय में जो रुपए में गिरावट आ रही है इसका एक प्रमुख कारण तेल के बढ़ते आयात हैं। हमारी ऊर्जा की जरूरतें बढ़ रही हैं और तदानुसार हमें तेल के आयात अधिक करने पड़ रहे हैं। इस समस्या को और गहरा बना दिया है ईरान के विवाद ने।

विपन शर्मा लेखक, चंबा से हैं अब माननीयों का वार्षिक यात्रा भत्ता 25 हजार से बढ़ाकर चार लाख कर दिया गया है। इस तरह अपने वेतन-भत्तों में वृद्धि का फैसला खुद ही माननीयों ने ले लिया है। और हो भी क्यों न, आखिर यह मंत्रियों सहित प्रदेश के 68 विधायकों की सुख-सुविधा बढ़ाने का सवाल

जगदीश बाली स्वतंत्र लेखक जब कभी कोई व्यक्ति जीवन में बड़ी सफलता या उपलब्धि प्राप्त करता है, तो हर किसी के मन में ये सवाल जरूर उठता है कि उसने किस स्कूल से शिक्षा हासिल की है। इस सवाल के पीछे आशय यह होता है कि जिस स्कूल से उसने शिक्षा प्राप्त की है, उस