वैचारिक लेख

जगदीश बाली स्वतंत्र लेखक मैं उसी कश्मीर की बात कर रहा हूं,  जिसकी खूबसूरती का दीदार होते ही कभी शहंशाह जहांगीर ने कहा था- अगर धरती पर स्वर्ग है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है। मगर अफसोस! यह वही कश्मीर है, जहां केसर की खुशबू हिंसा व दहशत के अंधेरे में गुम होकर

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार दरअसल यह अनुच्छेद पंडित नेहरू और उनके मित्र शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के षड्यंत्र का परिणाम था। शेख अब्दुल्ला नेहरू को ब्लैकमेल कर रहे थे और भारतीय संविधान की आड़ में जम्मू-कश्मीर को अपनी जागीर की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे। अनुच्छेद 370 उसमें शेख की सहायता कर रहा था।

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक सितंबर में होने वाली विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में  हिमाचल का यह गबरू भारत का प्रतिनिधित्व करता नजर आएगा। सेना की तरफ से खेलते हुए चंबा के बकलोह निवासी वीएस थापा ने ओलंपिक तक मुक्केबाजी में सफर तक किया था। आशीष चौधरी जिला मंडी की तहसील धर्मपुर में तहसील कल्याण अधिकारी

अजय पाराशर स्वतंत्र लेखक जब से गांव की सबसे बड़ी पार्टी के दो भाई बुआ को अपने साथ भगा लाए हैं, बुआ के तीन सगे भतीजे-भतीजियां और कुछ रिश्तेदार बौरा बैठे हैं। बुआ का घर अपने मौहल्ले में सबसे सुंदर था और बुआ स्वयं भी सौंदर्य की त्रिमूर्ति थी, लेकिन विडंबना थी कि आजादी के

रामविलास जांगिड़ स्वतंत्र लेखक विधायक तोड़कर लाने वाले गिरोह ने मेरे पास लाकर विधायक खड़े कर दिए। कहा कि फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हो जाओ और जल्दी से मुख्यमंत्री बन जाओ। बस झूठ के पंख लगाओ और राजशाही की मौज उड़ाओ। हम आपको मुख्यमंत्री बनने का खुलेआम ऑफर दे रहे हैं और बदले में

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं भाखड़ा बांध जिला को विस्थापन के गहरे दंश दे गया, जिसके जख्म आज तक जिंदा हैं। 58 सालों से सियासी व्यवस्था के आश्वासनों को सुनते उस दंश के जख्म और गहराते चले गए, मगर विस्थापन की त्रासदी से पैदा हुई समस्याओं का पूर्ण समाधान नहीं हुआ। विस्थापित लोग

पीके खुराना वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार प्रधानमंत्री की असीम शक्तियों के सामने हर दूसरा व्यक्ति कठपुतली जैसा है। सांसदों के वेतन-भत्ते तथा उनको मिली अन्य सुविधाओं पर अनाप-शनाप धन खर्च होता है, लेकिन यदि 543 सांसदों में से कानून बनाने की भूमिका सिर्फ मंत्रिमंडल की ही है, तो फिर 543 सांसद चुनने और उन पर धन

सुरेश सेठ साहित्यकार ‘भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में इश्क की एक हकीकत नहीं कुछ और भी है।’ अपने चाक दामन और दागदार उजाले में जिस शायर ने हमें यह सुनाया, बेशक वह साहिर लुधियानवी नहीं थे। आजकल मुर्दा इश्क की छांव में कोई उजाला दागदार नहीं होता, बल्कि अब तो लगता

प्रो. वीरेंद्र कश्यप पूर्व लोकसभा सांसद इस नीति में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि शिक्षा का परिणाम मानव व्यक्तित्व में सर्वांगीण विकास के रूप में होने के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा-जानने के लिए सीखना, करने के लिए सीखना, साथ रहने के लिए सीखना तथा होने के लिए सीखना पर