वैचारिक लेख

कंचन शर्मा लेखिका शिमला से हैं   मुझे नहीं लगता कि किसी भी परिवार, माता-पिता को अपनी बेटियों के प्रेम करने पर आपत्ति होती है, लेकिन वे इस आशंका से जरूर घबरा जाते हैं कि न जाने लड़का और उसका परिवार कैसा होगा। हालांकि ऐसा नहीं है कि अरेंज मैरेज में लड़कियां सदा सुखी रहती

वरिंदर भाटिया पूर्व कालेज प्रिंसीपल   भारत की तरफ से प्रमुख वकील हरीश साल्वे ने पाकिस्तान की हर उस कड़ी को तोड़ दिया, जिसके आधार पर वह कुलभूषण जाधव को दोषी मान रहा था। बहरहाल! कानूनी और कूटनीतिक जीत के बाद मुख्य सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान यहीं रुक जाएगा या इसको पुनः सुरक्षा

अशोक गौतम साहित्यकार अभी घर से सौ कदम पढ़ाने के भूले तरीकों को याद करता निकला ही था कि अचानक किसी की आवाज आई। पर पता ही न चला कि यह आवाज आगे से आ रही है या पीछे से, ऊपर से या नीचे से। असल में क्या है कि सच कहने वाली आवाजों का

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   चीन द्वारा 80 के दशक में लागू की गई आर्थिक विकास नीति को आज हम लागू नहीं कर पाएंगे। यही कारण है कि पिछले पांच सालों में मेक इन इंडिया सफल नहीं हुआ है और वर्तमान बजट में भी वित्त मंत्री द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आने का आह्वान करना

शक्ति चंद राणा लेखक, बैजनाथ से हैं जिस शिक्षा के बल पर हमारे किसान बिन बादल बताने की काबिलीयत रखते थे कि आज बारिश होगी, उस दिव्य ज्ञान की आज बेहद जरूरत है। आज उसी तकनीक के बलबूते हमारे कृषि वैज्ञानिक अलग-अलग तरह की सब्जियां, फल, हर्बल्स से बनने वाली दवाइयां बनाने का काम करते

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री   खुशहाली के पैमाने पर वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट की तरह अन्य कई रिपोर्टें बता रही हैं कि आर्थिक-सामाजिक खुशहाली के मुद्दे पर भारत बहुत पीछे है और भारत में आर्थिक असमानता का भयावह चेहरा है। ऐसे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2019-20 में दो से पांच करोड़

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं   सामाजिक विकास के लिए नशामुक्त व अपराध मुक्त वातावरण जरूरी है। बेरोजगारी की मार झेल रहा प्रदेश नशे के बढ़ते प्रचलन को रोके बिना उन्नत राज्यों की सूची में शामिल नहीं हो सकता और नशे का बढ़ता अनैतिक कारोबार राज्य के आर्थिक अस्तित्व पर कुठाराघात साबित होगा…

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक बाल सफेद होने का अब कोई मतलब ही नहीं रह गया है। पहले ये ही सफेद बाल व्यक्तित्व की पहचान थे। बाल सफेद होने पर आदमी को समझदार, शिष्ट तथा गरिमामय माना जाता था। राजा दशरथ ने एक बार कान के पास एक सफेद बाल देखा, तो उन्होंने राजपाट छोड़कर संन्यास

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   हो सकता है परिवार में यह फैसला हो ही गया हो कि गद्दी पर प्रियंका की ताजपोशी कर दी जाए, लेकिन यदि ताजपोशी होनी ही है, तो यह काम इस प्रकार किया जाए कि यह बहुत भव्य प्रकरण होना चाहिए। इस प्रकार के पद के दावेदार को सामान्य