भरत झुनझुनवाला

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं इस कठिन परिस्थिति का सामना करने की सरकार की रणनीति है कि भाखड़ा एवं टिहरी जैसे नए बांध बनाए जाएं। जैसे कि लखवार व्यासी तथा पंचेश्वर में प्रस्तावित हैं। पहाड़ में होने वाली वर्षा के पानी को इन डैमों में जमा कर लिया जाए। वर्षा धीरे-धीरे

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं इसी प्रकार किसान फ्री या सस्ती बिजली उपलब्धता से किसान पानी की अधिक खपत करने वाली फसलों की खेती कर रहा है। प्रश्न उठता है कि पूर्व में ही मर रहे किसान पर पानी के दाम बढ़ाकर अतिरिक्त बोझ डालना क्या उचित होगा? इस समस्या का

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं संरक्षणवाद को अपनाने में मुख्य समस्या सरकारी नौकरशाही की है। आज भारत सरकार के कुल बजट में लगभग पचास प्रतिशत रकम सरकारी कर्मचारी के वेतन एवं पेंशन में खप रही है। भारत सरकार को इनके वेतन अदा करने के लिए भारी मात्रा में बाजार से ऋण

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं विश्व बैंक का कहना है कि भारत सरकार को ऋण लेकर हाइवे आदि में निवेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि सरकार द्वारा निवेश करने में भ्रष्टाचार की संभावना बनी रहती है। इसलिए भारत सरकार का वित्तीय घाटा हटने से निवेश आना शुरू होगा और सरकार द्वारा कम किए

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं सरकार को चाहिए कि फसलों की खरीद के दाम को बढ़ाने के बजाय किसान को सीधे भूमि के आधार पर सबसिडी दे। वर्तमान में फूड कारपोरेशन दाल को ऊंचे दाम पर खरीदेगी तथा इसे सस्ते दाम पर बेचेगी। इस लेन-देन में फूड कारपोरेशन को लगा हुआ

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं अमरीका एवं भारत की तुलना करें तो विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार साठ के दशक में भारत की अर्थिक विकास दर 3.4 फीसदी प्रति वर्ष थी, जबकि अमरीका की 4.3 फीसदी। सत्तर एवं अस्सी के दशक में तेल के मूल्यों में वृद्धि के बावजूद भारत

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं जनधन योजना से जितनी रकम बैंकों में जमा हुई है, उसकी लगभग तिहाई रकम ही ऋण के रूप में गरीबों को दी गई है। दो-तिहाई रकम जन धन के माध्यम से उद्यमियों को पहुंचा दी गई। खाद्य सबसिडी की कृपा से गरीब को सस्ता अनाज अवश्य

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं दूसरी समस्या तेल के बढ़ते दामों की है। इससे छुटकारा दिलाने के लिए सरकार पर दबाव पड़ रहा है कि तेल पर वसूली जा रही एक्साइज ड्यूटी में कटौती करे। यदि सरकार ऐसा करती है, तो एक्साइज ड्यूटी की वसूली कम होगी और उसके अनुसार सरकार

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं वर्तमान दूसरे शंकराचार्य, देश की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन अथवा सबसे बड़ा व्यापारिक संगठन-इन सस्थाओं के अध्यक्षों का कालेजियम बनाया जा सकता है। इस कालेजियम को जिम्मेदारी दी जाए कि वह सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति करे। ऐसा करने से सुप्रीम कोर्ट के जजों की