पीके खुराना

पीके खुराना वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार गूगल अब सिर्फ एक सर्च इंजन ही नहीं रह गया है, बल्कि यह एक डेटा और इंटरनेट कांग्लोमेरेट बन चुका है। यह एक ऐसा दैत्य है, जो हमें लगता है कि बोतल में बंद है, पर दरअसल अब यह बोतल से बाहर है और हमारे जीवन को कई तरह से

पीके खुराना वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार हमारे स्कूलों और कालेजों में हमें ‘धन के लिए काम करने’ की शिक्षा दी जाती है, ‘धन से काम लेने’ की शिक्षा नहीं दी जाती है। इसी से हम अपने आर्थिक साधनों का सही उपयोग नहीं कर पाते और नौकरी चले जाने के डर से तनाव भरा जीवन जीते रहते

पीके खुराना वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार सत्ता में आने पर नेताओं के लिए अपने वादों को भूल जाना इसलिए आसान है, क्योंकि जनता भी तालियां बजाने के बाद सब कुछ भूल जाती है। भीड़ की शक्ति होती है, चुनाव के बाद भीड़ बिखर जाती है और लोग अकेले रह जाते हैं। भीड़ के भाड़ में तो

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार   हमारे देश में अभी तक आम लोग यह नहीं समझ पाए हैं कि सरकार का काम रोजगार देना नहीं है, बल्कि उसका काम यह है कि वह ऐसी नीतियां बनाए, जिससे व्यापार और उद्यम फल-फूल सकें और रोजगार के नए-नए अवसर पैदा होते रहें। इस नासमझी का ही परिणाम है

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार जब समस्याएं नई हों, तो समाधान भी नए होने चाहिएं, पुराने विचारों से चिपके रहकर हम नई समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते। दुनिया बदल गई है और हर पल बदल रही है। इसके लिए हमें नए विचारों का स्वागत करना होगा। समस्याओं का हल नए सिरे से खोजना होगा और

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार   26/11 की बदनाम आतंकवादी घटना में जहां 195 निर्दोष लोग मारे गए, वहीं भारतीय सड़कों पर हर रोज औसतन 390 लोग जान गंवाते हैं। यानी सड़कों पर हर रोज दो-दो 26/11 घटते हैं। दुखद सत्य यह भी है कि सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले आधे से ज्यादा लोग युवा

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार हम सब वजीर बन गए हैं। मंत्रीगण, सांसद, पार्टी के पदाधिकारी, मीडिया, जज, चुनाव आयोग,  जनता यानी हम सब, जी हां, हम सब राजा के वजीर हो गए हैं। सच से हमारा कोई लेना-देना नहीं, देशभक्ति का नाटक चल रहा है और हम सब उसमें अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं। राजा

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार कलिंग युद्ध के बाद युद्ध क्षेत्र में क्षत-विक्षत लाशें और विधवाओं के हाहाकार से त्रस्त सम्राट अशोक ने भी खुद से ही पूछा – तुम कब ठहरोगे? अब शायद यही प्रश्न हमें आज के शासकों से पूछना है। हर शासक चाहता है कि वह अनंत समय तक राज करे। उसके राज्य

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार जिस प्रकार मोदी का जलवा आंध्र प्रदेश में नहीं चला, वैसे ही पंजाब में भी मोदी लहर का कोई असर नहीं था। इसके दो मुख्य कारण हैं। पहला तो यह कि भाजपा पंजाब में है ही नहीं और दूसरा यह कि शिरोमणि अकाली दल की कार्यशैली से नाराज लोगों को कैप्टन