पीके खुराना

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं मैं अमरीकी प्रशासनिक प्रणाली को लागू करने की वकालत करता हूं। अमरीकी राष्ट्रपति देश का मुखिया तो होता है, लेकिन कानून बनाने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती, कानून सिर्फ संसद बनाती है। राष्ट्रपति, संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को लागू करता है और उनके अनुसार

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं सरकार की कमियों पर सरकार की निंदा कर देना मात्र विपक्ष की परिभाषा नहीं है। जब तक विपक्ष देश के विकास की कोई वैकल्पिक योजना पेश नहीं करता, तब तक उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। यह देश का दुर्भाग्य है कि सत्तापक्ष हड़बड़ी में है और

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं मीडिया एक जिम्मेदार संस्था है, उसके बावजूद पेड न्यूज, फेक न्यूज, पत्रकारों और उपसंपादकों का अधूरा ज्ञान, अधिकांश मीडिया घरानों में प्रशिक्षण का नितांत अभाव, स्ट्रिंगर प्रथा आदि ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनके कारण मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। दारुल-कजा के मामले में

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं आज हमें सोचना होगा कि हम कैसा भारत चाहते हैं? क्या हम चपरासियों-क्लर्कों का देश बनाना चाहते हैं? क्या हम नशे और अपराध में डूबे बेरोजगार युवाओं का देश बनाना चाहते हैं? ंक्या हम सिर्फ राजनीतिक तिकड़मबाजियों और जुमलों का देश बनाना चाहते हैं? क्या हम

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं हमारी सरकारें अकुशलता की प्रतिमूर्तियां हैं। असंवेदनशील नौकरशाही और जनता से कटे नेतागणों की सरकार किसी समस्या का समाधान नहीं, बल्कि खुद एक समस्या है। प्रशासन और सरकारें तभी प्रभावी हो सकती हैं, यदि वे स्थानीय स्तर पर जनता से जुड़ सकें और जनता की समस्याओं

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं यदि आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली लागू हो जाए, तो यह चुनाव सुधार की ओर एक बड़ा कदम होगा और हर जायज-नाजायज तरीके से वोट खरीदने की आवश्यकता ही समाप्त हो जाएगी। सिस्टम यदि मजबूत हो, तो नैतिक मापदंडों से जीता हुआ उम्मीदवार अपने बाद के जीवन

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं पिछले चार वर्षों में हमने लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलते देखा है। नरेंद्र मोदी विकास के नाम पर नेता बने थे। गुजरात माडल उनके नजरिए का प्रतीक था। मोदी ने बहुत से अच्छे काम किए, लेकिन भीड़ को साथ लेकर चलने की उनकी लालसा ने उन्हें

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं कर्नाटक की क्षणिक जीत के बाद मोदी और शाह खुद को फिर से अजेय साबित करने में लगे ही थे कि सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी आशाओं पर पानी फेर दिया। अंततः कर्नाटक हाथ से निकल गया। उसके बाद लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में मिली करारी हार

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं यदि सिस्टम मजबूत हो, बेईमानी पर तुरंत सजा होती हो, तो ये लोग बेईमानी की कोशिश नहीं करते। लेकिन यदि वे यह देखें कि बेईमानी करने वाला फल-फूल रहा है, उसे कोई सजा नहीं मिल रही, बल्कि वह बेईमानी के बावजूद जीवन का ज्यादा आनंद ले