कुलदीप चंद अग्निहोत्री

पिछली बार बातचीत करने के लिए नेहरू ने शेख मोहम्मद अब्दुल्ला को भेजा था, इस बार उन्हीं के पुत्र और पौत्र फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को भेजा जा सकता है।

सोवियत संघ के पतन के बाद ग्रामकी का यह सिद्धांत अमेरिका के विश्वविद्यालयों में पुन: प्रकट होने लगा। लेकिन कल्चरल माक्र्सवाद के पैरोकारों को लगता है भारत इस क्रांति के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है। यह सनातन राष्ट्र हजारों सालों के झंझावातों को झेलता हुआ भी अपनी आत्मा या चिति को बचाए हुए है। यह गतिशील भी है और सनातन भी है। इसलिए जब तक भारत को विखंडित नहीं किया जाता, तब तक कल्चरल माक्र्सवाद का यह रथ दलदल से बाहर नहीं निकल सकेगा। शायद हमारे अपने उच्चतम न्यायालय में भी यह बहस शुरू हो गई है कि किसी के लिंग का निर्धारण करने का अधिकार किसी दूसरे को नहीं है। प्रोफेशनल आंदोलनकारियों

यही कारण था कि जब दुनिया के बाकी देश दिल्ली में आकर भारत की प्रशंसा कर रहे थे, इंग्लैंड के प्रधानमंत्री अपने सनातनी हिंदू होने पर गर्व कर रहे थे, तब राहुल गांधी इंडिया गठबंधन के प्रतिनिधि के तौर पर विदेशों में जाकर बता रहे थे कि यदि भारत में इसी प्रकार चलता रहा तो देश का पतन हो जाएगा। उनको वही भारत चाहिए था जो अंग्रेज छोड़ कर गए थे। राहुल एक बार महात्मा गांधी का हिंद स्वराज पढ़ लें तो उन्हें सब

यही कारण है कि इस्लाम पंथ, ईसाई पंथ या यहूदी पंथ के पैरोकार भारत के समाज का अध्ययन भी इसी मनोविज्ञान के सहारे करते हैं। इसलिए भारतीय/हिंदू समाज को लेकर

यानी सैयदा के पूर्वजों ने तो देसी मुसलमानों के पूर्वजों को हिंदुओं से इस्लाम पंथ में मतांतरित किया था। इसलिए उनके लिए निहायत जरूरी था कि वे स्वयं को गुलाम नबी आजाद के इस विश्लेषण से अलग करतीं और वह उन्होंने अपने तरीके से किया भी

अंग्रेज जाने से पहले पाकिस्तान बना कर ही जाना चाहते थे। लेकिन वे चाहते थे कि इसके लिए प्रस्ताव कांग्रेस पास करे। अब अंग्रेज सरकार के लिए एक ही काम बचा था कि किसी तरह कांग्रेस विभाजन के पक्ष में आधिकारिक प्रस्ताव पारित कर दे...

ऋषि सुनक को उनकी पार्टी के किसी नेता ने नहीं कहा कि आप मुरारी बापू की कथा में क्यों गए थे? विपक्षी दलों की ओर से नरेन्द्र मोदी पर सबसे बड़ा आरोप यही है कि वे मंदिरों में जाते हैं। सबसे बढ़ कर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए किए गए शिलान्यास

कहते हैं इतिहास बड़ा क्रूर होता है। अंग्रेज आ गए। अशरफ समुदाय जल्दी ही अंग्रेजों के साथ खड़ा हो गया। पहले तो वह केवल देव मंदिरों को ही तोड़ता था, लेकिन उसने भारत माता को ही खंडित करने की रणनीति अपना ली। 1947 में भारत खंडित हो गया। भारतीयों की अपनी सर

एक समय था जब पंडित जवाहर लाल नेहरु ने राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को इसलिए हडक़ा दिया था कि वे कुम्भ में चले गए थे जो भारतीय संस्कृति का पुण्य प्रवाह है। सरदार पटेल को इसलिए अपमानित होना पड़ा था कि उन्होंने सोमनाथ के मंदिर को पुन: बनाने का प्रयास किया था। डा. राजेन्द्र प्रसाद के तो इस अवसर पर दिए गए भाषण का ही सरकारी आकाशवाणी ने बहिष्कार कर दिया था। वे दिन थे जब भारत पर इंडिया का राज था। लेकिन दिन बदले। भारत स्वयं ही जागृत हो गया। कभी सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा था, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी। भारत जाग गया है। इसलिए इंडिया कसमसा रहा है...

मणिपुर में मैतेयी और कुकी समुदाय को लेकर पिछले दो महीनों से भी ज्यादा समय से विवाद चल रहा है। यह विवाद 3 मई को शुरू हुआ था। यह विवाद हिंसक हो गया है, इसलिए दोनों समुदायों के सौ से भी अधिक लोग मारे जा चुके हैं।