प्रो. मनोज डोगरा, लेखक हमीरपुर से हैं

अगर सोशल मीडिया का अध्ययन भारत के संदर्भ में करें तो सोशल मीडिया ने समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ने और खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर दिया है। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में भारत में तकरीबन 350 मिलियन सोशल मीडिया यूज़र हैं और

इन 51 वर्षों में एनएसएस ने निःस्वार्थ भाव से ‘स्वयं से पहले आप’ आदर्श वाक्य के साथ समाज सेवा के क्षेत्र में एक विशेष आयाम प्राप्त कर लिया है। यह पहचान आगे भी इसी प्रकार रहेगी, यह विश्वास स्वयंसेवियों के प्रयासों को देख कर दृढ़ होता है। सरकार को भविष्य में भी इस प्रकार के

‘ह’ से हिंदी और ‘ह’ से ही है हिंदुस्तान, तभी तो है हमारा देश महान। भले ही ये पंक्तियां सुनने में काफी उत्साह व राष्ट्र के प्रति भाषा प्रेमियों के प्यार को व्यक्त करती हों, मगर वास्तविकता से भी कोई अनजान नहीं है। भारत राष्ट्र हिंदी व संस्कृत भाषा के अथाह ज्ञान भंडार का स्रोत

जीवन जीने के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान पर्याप्त नहीं होता। हमारे भीतर साहस, हौसला, धैर्य, नैतिकता, करुणा जैसे मानवीय गुण भी होने आवश्यक हैं और ये सारे गुण एक सच्चा गुरु ही हमारे भीतर भर सकता है। इन गुणों के साथ होने पर ही विद्यालय में अर्जित किताबी ज्ञान का उपयोग किया जा सकता है…

बताया जाता है कि सतलुज घाटी में 140 हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स लाने की तैयारी भविष्य में है। यानी यह इलाका भी उत्तराखंड के चमोली और केदारनाथ जैसे हादसों की चपेट में कभी भी आ सकता है। पर्यावरणविदों का कहना है कि हिमालय के इलाकों में खासतौर से सतलुज और चिनाब घाटी में कोई भी प्रोजेक्ट शुरू

हिमाचल आने वाले प्रत्येक पर्यटक से प्रदूषण फैलाने का टैक्स वसूलना चाहिए। साथ में ही आपदा प्रबंधन के अंतर्गत भी रकम वसूली जानी चाहिए, ताकि इनकी वजह से, हो न हो, कभी प्रदेश में आपदा या कोई अन्य संकट उत्पन्न हो जाए तो जरूरतमंदों की सहायता हो सके। तब जाकर इन्हें अक्ल आएगी कि क्या

हिमाचल व देश की राजनीति से एक राजा का यूं जाना सबको क्षुब्ध कर गया। सबकी आंखों में आंसू थे। बुशहर रियासत व हिमाचल प्रदेश के लोगों के दिलों के राजा वो कहलाते थे। नाम से ही नहीं, वो काम से भी लोगों के दिलों पर राज किया करते थे। स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह जी

भारत में गरीबी, अशिक्षा और जातीय राजनीति की वजह से जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का कोई फायदा नजर नहीं आता है। लोगों को जागरूक और शिक्षित कर ही इस मामले का हल निकाला जा सकता है। भारत के तकरीबन हर परिवार में लोगों की संतान के तौर पर पहली पसंद लड़का ही होता है। इस

होटल, रेस्टोरेंट, छोटे ढाबों के मालिक पूरी तरह से बेरोजगार और प्रभावित हो चुके हैं। आज अगर एक अनुमान लगाया जाए तो हिमाचल प्रदेश का पर्यटन पूर्णतः ठप हो चुका है। कोरोना महामारी के कारण पर्यटकों के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए होटलों, ट्रैवल एजेंटों, टैक्सी कैब, ग्रुप पर टूर ऑपरेटर, मनोरंजन पार्क, एडवेंचर

आज घरों में कैद विद्यार्थी सिर पर हाथ लिए बैठने और अपने भविष्य की चिंता करने के अलावा किसी अन्य स्थिति में नजर नहीं आ रहा है। मानो मानसिक दबाव, तनाव, चिंता और कोरोना की भयंकर लहर सब कुछ नष्ट करने को आतुर सी हो, ऐसा प्रतीत होता है। लेकिन इन युवा विद्यार्थियों को चिंता