प्रताप सिंह पटियाल

जल प्रबंधन की परिपाटी का उच्च स्तर तथा धार्मिक गौरव व आध्यात्मिक महत्त्व को समेटे मुकद्दस पारंपरिक जलस्रोतों का अस्तित्व बचाना होगा। पुरखों की अमूल्य विरासत पेयजल तंत्र की उत्तम व्यवस्था पनघट संस्कृति के जीर्णोद्धार के लिए यदि सरकारी दरवाजे खुले तो जल संकट का यकीनी तौर पर समाधान हो सकता है… देवभूमि हिमाचल प्रदेश

यदि सैन्य अभियानों के सबूत चाहिए तो सैन्य भर्ती की मापदंड प्रक्रिया पूरी करके सेना का हिस्सा बनकर कड़े सैन्य प्रशिक्षण से गुजर कर सियासत व परिवार से कोसों दूर देश की सरहदों पर संगीनों के साए में वर्षों तक सैनिक का वास्तविक किरदार अदा करना होगा। सेना पर बेतुकी बयानबाजी बंद करनी होगी, सैन्य

जोशीमठ जैसी आपदाओं को प्राकृतिक आपदा का नाम देने से पहले पहाड़ों पर इनसानी दखलअंदाजी से हो रही घटनाओं पर रायशुमारी होनी चाहिए। इनसानी सभ्यता के मुस्तकबिल को महफूज रखने के लिए भूगर्भ वैज्ञानिकों की नसीहत व निर्देशों को संजीदगी से लेना होगा। जोशीमठ को हर कीमत पर बचाना होगा… पृथ्वी पर कुदरत की सबसे

स्मरण रहे विश्व युद्धों में भाग लेने वाले भारतीय सैनिकों का मंजिल-ए-मकसूद भी अंग्रेजों की सफ्फाक हुक्मरानी से भारत की आजादी ही था। बहरहाल सेना दिवस के अवसर पर ‘कायर हुनु भन्दा मर्नु राम्रो’ जैसे ध्येय वाक्य को सार्थक करने वाले सैनिकों को नमन है… ‘कायर हुनु भन्दा मर्नु राम्रो’ अर्थात् कायर की तरह जीने

स्मरण रहे हजारों वर्ष पुरानी गौरवशाली सभ्यता वाला भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ जैसी आदर्श संस्कृति तथा राष्ट्रभक्ति के विचारों का वारिस रहा है। अत: सियासत का मकसद जो भी हो, मगर जहन में नजरिया राष्ट्रवाद का ही होना चाहिए। हिंद की सरजमीं को अपने रक्त से सींचकर गुलामी की दास्तां से मुक्त करके आजाद भारत का

यदि देश के हुक्मरान सेना की 17वीं डिवीजन के कमांडर मे. ज. ‘सगत सिंह राठौर’ द्वारा 1967 में नाथुला सेक्टर में चीनी सेना पर की गई माकूल कार्रवाई को अमल में लाएं तो जंग की दहलीज पर बैठकर वार जोन में आने के ख्वाब देख रहा डै्रगन अक्साई चिन पर अफसोस जाहिर करेगा। इतिहास साक्षी

आखिर बांग्लादेश के रामना रेसकोर्स गार्डन में भारतीय सेना की ‘पंजाब रेजिमेंट’ के जरनैल ‘जगजीत सिंह अरोड़ा’ ने मशरिकी पाक के सिपाहसालार ‘आमीर अब्दुल्ला खान’ नियाजी को सरेंडर के दस्तावेज पर दस्तखत करने के लिए पेन थमाकर जिन्ना की ‘टू नेशन थ्योरी’ का एहसास पूरी शिद्दत से करा दिया था। पाकिस्तान के 93 हजार जंगी

देश का हर चुनाव किसी की प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता है, किसी का सियासी मुस्तकबिल दांव पर लगा होता है। किसी को अपनी सियासी विरासत बचानी होती है, मगर इक्तदार हासिल होने के बाद हुक्मरानों के सियासी आश्वासनों के आगे आम लोगों की उम्मीदें दम तोड़ जाती हैं। इंतखाबी तशहीर में किए वादे अंजाम तक

जघन्य अपराधों के बढ़ते ग्राफ से देश की तमाम व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यौन उत्पीडऩ, धर्मांतरण तथा लव जिहाद जैसी साजिश के चलते महिलाशक्ति के हकूक देश के संविधान तक ही सीमित रह चुके हैं। देश के हुक्मरान महिला सशक्तिकरण की दुहाई जरूर देते हैं, मगर वास्तव में स्थिति कुछ और ही

यदि मुल्क की सियासी कयादत इच्छाशक्ति दिखाए तो विश्व की सर्वोत्तम भारतीय थलसेना सरहदों की बंदिशों को तोडक़र डै्रगन का भूगोल बदलने में गुरेज नहीं करेगी। अत: हमारे हुक्मरानों को समझना होगा कि शांति का मसीहा बनकर अमन की पैरोकारी करने के लिए एटमी कुव्वत से लैस सैन्य महाशक्ति बनना भी जरूरी है। रेजांगला दिवस