प्रताप सिंह पटियाल

देश का हर चुनाव किसी की प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता है, किसी का सियासी मुस्तकबिल दांव पर लगा होता है। किसी को अपनी सियासी विरासत बचानी होती है, मगर इक्तदार हासिल होने के बाद हुक्मरानों के सियासी आश्वासनों के आगे आम लोगों की उम्मीदें दम तोड़ जाती हैं। इंतखाबी तशहीर में किए वादे अंजाम तक

जघन्य अपराधों के बढ़ते ग्राफ से देश की तमाम व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यौन उत्पीडऩ, धर्मांतरण तथा लव जिहाद जैसी साजिश के चलते महिलाशक्ति के हकूक देश के संविधान तक ही सीमित रह चुके हैं। देश के हुक्मरान महिला सशक्तिकरण की दुहाई जरूर देते हैं, मगर वास्तव में स्थिति कुछ और ही

यदि मुल्क की सियासी कयादत इच्छाशक्ति दिखाए तो विश्व की सर्वोत्तम भारतीय थलसेना सरहदों की बंदिशों को तोडक़र डै्रगन का भूगोल बदलने में गुरेज नहीं करेगी। अत: हमारे हुक्मरानों को समझना होगा कि शांति का मसीहा बनकर अमन की पैरोकारी करने के लिए एटमी कुव्वत से लैस सैन्य महाशक्ति बनना भी जरूरी है। रेजांगला दिवस

हिमाचल की बिजली से हमसाया सूबे रौशन हुए। चरमरा चुकी देश की कृषि अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिली। भारत खाद्यान्न क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना। मगर बिजली व पानी के लिए कुर्बानी देकर देश के कृषि व औद्योगिक क्षेत्र में इंकलाब लाने वाले भाखड़ा व पौंग के हजारों विस्थापित परिवारों को आखिर क्या मिला… चुनावी मौसम

सैन्यबलों में युवाओं की भर्ती का पैमाना राज्यों की जनसंख्या के आधार पर नहीं चाहिए, बल्कि शौर्य बलिदान की गौरवशाली विरासत, वीरता पदकों के शानदार इतिहास व भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर होना चाहिए। पुलिस स्मृति दिवस पर अर्ध सेना बलों के शहीदों को नमन… भारत के समस्त पुलिस बल 21 अक्तूबर का दिन ‘पुलिस

अंग्रेजी शिक्षा के कारण ही चिकित्सा की शिक्षा महंगी हुई, नतीजतन देश की हजारों प्रतिभाएं डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए यूक्रेन, कैनेडा व आस्ट्रेलिया जैसे देशों में जाने को मजबूर हुई। विद्यार्थियों में राष्ट्रवाद के जज्बात पैदा करने के लिए शिक्षा व्यवस्था मातृभाषा में होनी चाहिए… ‘यूनेस्को’ ने सन् 1994 से 5 अक्तूबर का दिन

14 मई 1948 को वजूद में आए इजराइल को भारत सरकार ने 17 मई 1950 को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे दी थी, मगर इजराइल की सरजमीं पर भारतीय शूरवीरों ने 23 सितंबर 1918 को हाइफा को फतह करके सल्तनत, उस्मानियां की चार सौ वर्षों की हुक्मरानी का सूर्यास्त कर दिया था। इजराइल

पाक पैटन टैंकों की पेशकदमी को खेमकरण की दहलीज पर धराशायी करने वाली भारतीय सेना लाहौर को फतह करके ‘मिनार ए पाकिस्तान’ का भारत में इलहाक कर देती, लेकिन पाक हुक्मरान सलामती कौंसिल के इजलास में तशरीफ ले गए और जंगबंदी की गुहार लगाई। नतीजतन 23 सितंबर 1965 को सीजफायर का ऐलान हुआ… आज़ादी के

हॉकी के उस महान जादूगर को सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की मांग देश में एक मुद्दत से उठ रही है। युद्धभूमि से लेकर वैश्विक खेल पटल तक तिरंगा फहराने वाले सैनिकों का सम्मान होना चाहिए। खेल मंत्रालय को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना होगा। खेल दिवस पर ध्यान चंद को राष्ट्र शत-शत

लाजिमी है आजादी दिवस पर उन क्रांतिवीरों का स्मरण किया जाए जिन्होंने अपना स्र्वोच्च बलिदान देकर बर्तानिया हुकूमत का अंजाम तय करके भारत से अंग्रेज निज़ाम को रुखसत किया था। आज़ादी के बाद हमारे राजाओं ने लोकतंत्र की बहाली के लिए अपनी रियासतों का भारत में विलय किया था। राजाओं के उस त्याग को याद