मैदाने जंग में दुश्मन की बहादुरी का एहतराम करके शत्रु सैनिकों को रणभूमि में खिराज-ए-अकीदत पेश करने वाले जज्बात भारतीय सेना की महानता को जाहिर करते हैं। पाक सेना से भारतीय सरजमीं को मुक्त कराने में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले ‘नग्गी युद्ध’ के शूरवीरों को सेना नमन करती है...
पश्चिमी मोर्चे पर भयंकर जंग में सेना की ‘नौ पंजाब’ बटालियन ने अमृतसर के नजदीक ‘रानियां’ क्षेत्र में पाकिस्तान की 18वीं फ्रंटियर फोर्स व पाक टैंकों के एक बड़े हमले को पांच दिसंबर 1971 के दिन सरहद के उस पार ही ध्वस्त कर दिया था। युद्ध में विशिष्ट वीरता के लिए मेडल दिए गए...
नौसेना की ‘किलर स्क्वाड्रन’ ने द्वारका का इंतकाम कराची विध्वंस करके पूरा किया था। अत: चार दिसंबर को भारतीय नेवी अपना ‘नौसेना’ दिवस मनाती है। कराची को खाक में मिलाने वाले समंदर के योद्धाओं को देश शत्-शत् नमन करता है। कराची पर हमला करके भारतीय नौसेना ने सन 1971 के युद्ध का अंजाम अवश्य ही तय कर दिया था...
सरहद के उस पार पाक सहित दुनिया के कई मुल्क भारत के खिलाफ आतंकियों की खुली हिमायत कर रहे हैं। इसके बावजूद यदि देश महफूज है तो इसके पीछे शहादत के गुमनाम ज्योति स्तम्भ देश के हजारों सैनिकों का बलिदान है। रणबांकुरों का इतिहास शिक्षा पाठ्यक्रम का हिस्सा बनना चाहिए
बहरहाल 21 नवंबर 1962 को युद्ध विराम हुआ था। मौत को सामने देखकर भी मैदाने जंग में डटे रह कर फिदा-ए-वतन हो जाना, सैनिकों में सरफरोशी की इस तमन्ना को शूरवीरता की पराकाष्ठा कहें, वतन के लिए मोहिब्बे वतन के जज्बात या मुल्क की हशमत के लिए शहादत का जज्बा। वालोंग युद्ध के शूरवीरों को देश नमन करता है...
नशाखोरी के खिलाफ युद्ध का आगाज करके पहाड़ की शांत शबनम पर नशे का चिराग गुल करना होगा ताकि वीरभूमि की शिनाख्त वाले राज्य का रुतबा व शोहरत बरकरार रहे। देवभूमि की धरा नशाभूमि न बने। अपराध मुक्त समाज की कल्पना को हकीकत में बदलने के लिए नशाखोरी का नेटवर्क मरघट में तब्दील करना होगा...
बेकसूर लोगों पर आग बनकर बरस रहा बारूद कितना अमानवीय है, इस विषय पर भी गंभीरता से विचार होना चाहिए। इजरायल को ललकारना खुद के सर्वनाश को दावत देना है। इससे पहले कि इजरायल-हमास का युद्ध तीसरी आलमी जंग का रूप अख्तियार करे, युद्ध रोकने के प्रयास हों...
भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विभाजन के बाद पाक सेना में जाने वाले सैन्य अफसरों के लिए छह अगस्त 1947 को नई दिल्ली में एक विदाई पार्टी का आयोजन किया गया था। एडमिरल माऊंटबेटन, फील्ड मार्शल औचिनलेक व ले. ज. करियप्पा जैसे गणमान्य व्यक्ति उस विदाई भोज में शामिल थे। विदाई पार्टी में ले. ज. करियप्पा ने कहा कि ‘हमने इतने वर्ष इक_े सेना में कार्य किया व विश्व युद्ध लड़े। उम्मीद है कि अलग होने के बाद भी ये भावनाएं बनी रहेंगी’। पाक सेना की तरफ से ब्रिगेडियर ए. एम. रजा ने कहा कि हम भारतीय सेना की परंपराओं को बनाए रखेंगे। मैं भारतीयों
जब बात राष्ट्र के स्वाभिमान की हो तो बेगुनाहों का रक्त बहाने वाली मानसिकता पर ‘आंख के बदले आंख व दांत के बदले दांत’ के सिद्धांत को अपनाना पड़ता है, मगर आंख के बदले आंख विश्व को अंधा बना देगी, गांधी जी के इस कथन पर भी विचार होना चाहिए। दहशतगर्दी की हिमायत नहीं होनी
वायुसेना की विजयगाथा में दास्तान-ए-शुजात की एक समृद्ध विरासत स्थापित करने वाले जांबाज वायुवीरों की शूरवीरता का इतिहास यदि शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल हो तो छात्र वर्ग को प्रेरणा मिलेगी। सभी को वायुसेना दिवस की शुभकामनाएं… ‘नभ: स्पृशं दीप्तम’ अर्थात आकाश को छूने वाले दीप्तिमान। भारतीय वायुसेना का यह आदर्श वाक्य श्रीमद्भागवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय