भारत के पड़ोसी मुल्कों तथा कई अन्य देशों में विदेशी खूफिया एजेंसियां भारत विरोधी ताकतों की हिमायत कर रही हैं। अत: विश्व की चौथी ताकतवर सैन्यशक्ति की हैसियत रखने वाले भारत को अपनी ताकत का एहसास कराना होगा। देश के सियासी नेतृत्व को आगामी नीति पर विचार करना चाहिए...
उन क्रांतिवीरों के नाम पर कोई बड़ा शिक्षण संस्थान, खेल स्टेडियम या राष्ट्रीय राजमार्ग भी नहीं है। प्रश्न यह है कि क्या बर्तानिया हुकूमत के खिलाफ लडऩे वाले वजीर राम सिंह पठानिया, मेजर दुर्गामल व कैप्टन दल बहादुर के बलिदान से युवा पीढ़ी परिचित है...
स्मरण रहे जब देश की सरहदें आतंक के मरकज पाकिस्तान तथा तोहमत व फरेब के तालिब-ए-इल्म चीन जैसे शातिर मुल्कों से लगती हों तो जरूरत से ज्यादा सहनशीलता तथा शांति का राग अलापना कायरता का प्रतीक साबित हो सकता है...
पाक हुकूमत के कई वजीरों ने भी ‘मजलिस-ए-शूरा’ में खड़े होकर कारगिल जंग की मुखाल्फत की थी। कारगिल में पाक फौज को मफलूज करने वाले हथियारों का खौफनाक शोर 26 जुलाई 1999 तक थम चुका था। शहीद सैनिकों के बलिदान का सम्मान होना चाहिए...
भारतीय सेना के ऑपरेशन विजय के आगे पाक मिशन कोह-ए-पैमा पाक सेना के लिए इस कदर आत्मघाती साबित हुआ कि दुश्मन अपनी कयामत की दुआ मांगने पर मजबूर हो चुका था। कारगिल जंग में भारतीय शूरवीरों ने पाक सेना की तजवीज को नेस्तनाबूद किया...
बहरहाल आगाज-ए-जवानी में गन कल्चर की उल्फत में डूब रहे युवाओं से अपील है कि यदि हथियारों से खेलने का शौक है, तो दुनिया की सर्वोत्तम भारतीय थल सेना का हिस्सा बनें। सेना में प्रशिक्षण के साथ कई किस्म के आधुनिक हथियारों से मुखातिब होने का मौका मिलेगा...
यदि अलगाववाद व कट्टरपंथ की पैरवी करने वाली जहनियत भी जम्हूरियत की सबसे बड़ी पंचायत में तशरीफ ले जाएगी तो ऐसी विचारधाराओं का संगम राष्ट्र के लिए गंभीर खतरा बनेगा। सियासत का मकसद केवल सत्ता की दहलीज पर पहुंचने के लिए ही रह गया है...
लोकतंत्र के पर्व में शिकस्त व जीत का सिलसिला जारी रहेगा, मगर अहम पहलू यह है कि लोकतंत्र में लोगों का भरोसा कायम रहना चाहिए। देश की सियासत
चुनावी दौर में मतदाताओं की खामोशी तथा प्रजातंत्र की ताकत युवा वेग के चेहरे पर उदासीनता की झलक जम्हूरियत की तबीयत को नासाज कर देगी। बढ़ती जनसंख्या तथा बेरोजगारी देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा कर सकती है...
हुक्मरानों को हिमाचल प्रदेश के सैन्य बलिदान से मुखातिब होना होगा। सशस्त्र सेनाओं में वीरभूमि के दमदार सैन्य इतिहास के मद्देनजर राज्य के सैन्य भर्ती कोटे में बढ़ोतरी होनी चाहिए। युवाओं के मुस्तकबिल से जुड़े इस मुद्दे पर सूबे की लीडरशिप को राष्ट्रीय स्तर प