राकेश शर्मा, लेखक जसवां से हैं

इस जलवायु को शुद्ध और साफ बनाए रखने की जिम्मेदारी केवल प्रकृति की ही नहीं है, बल्कि इनसान को अपने इस कत्र्तव्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है। इनसान कई बार अपने छोटे-छोटे फायदे के लिए कुदरत की इस दरियादिली को नजरअंदाज करते हुए प्रकृति के साथ बहुत बेरहमी से पेश आता है। यही

हमारे एक वोट के न डालने से अच्छा उम्मीदवार हार और गलत उम्मीदवार जीत सकता है। अपने मत का मूल्य न पहचान कर यदि मतदाता चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा न लें तो चुनाव एक खिलवाड़ बनकर रह जाएगा। सजग, सावधान और जागरूक मतदाता ही चुनावों को सार्थक बनाने की भूमिका निभा सकता है। अत: अपने

स्वामी विवेकानंद के युवाओं के लिए ये संदेश जितने प्रासंगिक उस समय थे उससे कहीं अधिक प्रासंगिक आज के समय में हैं। युवाओं को प्रेरित करने वाले इन संदेशों के कारण ही स्वामी विवेकानंद की जन्मतिथि को भारत में युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज के दौर में युवा नई-नई समस्याओं का

प्रदेश के मुख्यमंत्री पहले दिन से व्यवस्था परिवर्तन की बात कर रहे हैं। इसके लिए बड़े और कड़े निर्णयों की आवश्यकता है और यदि सरकार इसी तरह निर्णय आने वाले समय में भी लेती है तो सरकार का यह प्रयास सफल हो सकता है। सरकार को जनता से किए वादे भी पूरे करने हैं… नई

इस तरह की घटनाओं के बाद कुछ दिन के लिए जरूर सभी लोग सोचते हैं, लेकिन जैसे ही समय बीतता है तो सारी बातें मानस पटल से ओझल हो जाती हैं और फिर से कोई हादसा हमें आतंकित कर देता है। इसलिए सामाजिक सुरक्षा के इस मुद्दे पर गहनता से सोचने की जरूरत है… ऊना

महात्मा गांधी जी हों या सुभाष चंद्र बोस या फिर शहीद भगत सिंह, इन सभी ने देश की आजादी के लिए बेहतरीन प्रयास किए और इनके प्रयासों और बलिदानों के कारण ही हम आज एक ऐसे देश के नागरिक हैं जिसकी विश्व में एक अलग पहचान है। देश की आजादी को भीख कहना इन सभी

फिटनेस से अच्छी नींद ली जा सकती है और इससे हमारी मांसपेशियां भी मजबूत बनती हैं। इससे हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और हमारा शरीर रोगों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत महामारी के इस दौर में महसूस की गई है… आजकल मोबाइल

हर बार एक जैसे प्रयासों से अलग परिणामों की चेष्टा करना व्यर्थ है। इसलिए इस बार के प्रयास में कुछ परिवर्तन किए जाने चाहिए ताकि परिणामों में बदलाव की अपेक्षा की जा सके। उन विद्यालयों को प्रोत्साहित करने के लिए भी योजना बनानी चाहिए जहां पर एक निश्चित अवधि के अंदर कोई भी संक्रमण का

राजनीति और समजसेवा दोनों अलग-अलग पहलू हैं। इनका एक-दूसरे के साथ कोई मुकाबला नहीं है। भले ही राजनीति को भी सेवा का एक साधन माना जाता है, लेकिन वर्तमान समय में राजनीति का गिरता स्तर इसको सामाजिक सेवा के बराबर खड़ा नहीं करता है। इसलिए समाज सेवा के कार्य की शालीनता को सहेजने की जरूरत

सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में कर्मचारियों की अहम भूमिका रहती है। इसलिए इन सेवारत कर्मचारियों को संतुष्ट करके इनसे प्रदेश के विकास में श्रेष्ठ योगदान प्राप्त करने के लिए सरकार को पुरानी पेंशन बहाली के लिए समय पर कदम उठाना बहुत आवश्यक है… बेरोजगारी के थपेड़ों की मार को झेलते हुए जब प्रदेश का युवा