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भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक गेहूं, मक्का आदि अनाज हमारे अपने खेत में आज भी हो जाता है, मगर उसे न खाकर हम सस्ते डिपो से मिलने वाले बिना प्रोटीन के आटे की रोटी खा रहे हैं। हमारे खाने से हमें मिलने वाला परंपरागत प्रोटीन, जो हमें दूध, गेहूं व दालों से मिलता था, आज

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार असल जीवन में डॉन जैसे अपराधी या तो पुलिस के हाथों मारे जाते हैं या फिर उनके प्रतिद्वंद्वी उनकी हत्या कर देते हैं और बहुत बार तो खुद उनके साथियों में से ही कोई उनकी जीवन लीला समाप्त कर देता है। अपराध फिल्मों में दर्शकों के लिए चाट-मसाला खूब होता है।

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान   वन धीरे-धीरे समाज की अंतर्चेतना में बसने वाली सामाजिक धरोहर के सिंहासन से उतार कर वन विभाग की संपत्ति बना दिए गए। यह भी नहीं समझा कि यह कितना बड़ा नुकसान वन व्यवस्था के लिए दीर्घकाल में साबित हो सकता है। इसी के चलते वन माफिया और वन

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   सरकारी बैंकों को बेचकर उस रकम का सरकार के अधीन ही दूसरे कार्यों में निवेश करने से सरकार की भूमिका छोटी नहीं होती है, बल्कि सरकार की भूमिका में गहराई आएगी। मेरा तर्क अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका को झुठलाने का नहीं, बल्कि उसको गहराने का है, जैसे परिवार

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   केवल सत्ता के लिए मुस्लिम लीग से हाथ मिला लेना, एक प्रकार से सोनिया कांग्रेस का राष्ट्रवादी कदम ही माना जाएगा। यदि आज नेहरू-पटेल और महात्मा गांधी की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जिंदा होती, तो क्या वह मुस्लिम लीग के हाथों अपनी यह दूसरी पराजय स्वीकार कर लेती? वह

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार अगर कोई है जिसने संस्थानों की स्वतंत्रता को नष्ट किया है तथा उनकी कार्यशैली को कुप्रभावित किया है, तो यह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी हैं। उन्होंने विपक्ष को रैलियां करने की अनुमति नहीं दी तथा कुछ मामलों में केंद्रीय एजेंसियों के कामकाज में अवरोध खड़े किए। लोकतंत्र

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक 24 दिनों में तीन मैराथन दौड़कर लिम्का बुक में अपना नाम भी सुमन रावत दर्ज करा चुकी हैं। 1988 में चंद्र प्रकाश मेहता से शादी कर आज सुमन रावत मेहता बेटी रुद्राक्षी व बेटे राहुल की मां है। 1984 से प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में अपना खेल प्रशासक

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार मुद्दों को लेकर चर्चा के मामले में मीडिया में कोई ज्यादा उत्साह नजर नहीं आता। उसके बजाय मीडिया की ओर से भी ऐसी कोशिशों की कमी नहीं है, जहां अनावश्यक और अप्रासंगिक बातों को मुद्दा बनाया जा रहा है। मीडिया तो जनता का प्रतिनिधि हुआ करता था, फिर आखिर मीडिया का

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक कुल आकलन इस प्रकार बैठता है। सरकारी बैंक अकुशल हैं, जबकि प्राइवेट बैंक इनकी तुलना में कुशल हैं। सरकारी बैंक की जवाबदेही आधी है, जबकि प्राइवेट बैंक में इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती है। सामाजिक दायित्व में सरकारी और प्राइवेट बैंक लगभग बराबर पड़ते हैं। अतः कुल मिलाकर सरकारी बैंकों